दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दाउद इब्राहीम के कथित सहयोगी रोमेश शर्मा को फैशन डिजाइनर कुंजुम बुद्धिराजा हत्याकांड में बरी कर दिया। उसे निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
उच्च न्यायालय ने सह आरोपी तेजिंदर वेर्दी को भी बरी कर दिया। पहले उसे

न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और सुरेश केट ने शर्मा और विर्दी उर्फ डॉली की अपील को मान लिया जबकि चार अन्य की अपील को खारिज कर दिया जिन्होंने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने हत्या की जो वजह बताई है हमारा मत उसके उलट है कि रोमेश शर्मा और कुंजुम के बीच प्यार था और दोनों एक दूसरे के साथ रहना चाहते थे। इससे यह साबित नहीं होता कि शर्मा उससे (कुंजुम) से परेशान था।
न्यायाधीशों ने यह टिप्पणी अभियोजन पक्ष के इस तर्क को खारिज करते हुए दी कि शर्मा कुंजुम से छुटकारा पाना चाहता था क्योंकि वह उसकी कथित अवैध गतिविधियों के बारे में जान गई थी।
अदालत ने अभियोजन पक्ष की इस बात को भी नकार दिया कि शर्मा ने कुंजुम के अंतिम संस्कार के समय नाटकबाजी की थी। पीठ ने कहा कि एक दुखी प्रेमी का अपनी प्रेमिका के शव पर गिरना और फिर शादी की रस्म अदा करना प्यार को स्थाई रखने की अभिव्यक्ति हो सकती है और कोई जरूरी नहीं है कि यह नाटकबाजी हो।
एक अन्य मामले में यहां तीस हजारी अदालत में पेश किए गए शर्मा ने कहा कि उसे बरी किया जाना सच की जीत है। मेरा न्यायपालिका में पूरा विश्वास है। 15 फरवरी, 2008 को निचली अदालत ने शर्मा, वेर्दी, मिश्र, हेमचंद, सांताराम और रमेश को कुंजुम हत्याकांड में दोषी ठहराया था जिसकी 20 मार्च 1999 को दक्षिणी दिल्ली के जय माता दी फार्म हाउस में हत्या कर दी गई थी।
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