नई दिल्ली/लखनऊ, एजेंसिया : चीनी के 50 रुपये प्रति किलो बिकने के आसार के बीच विभिन्न नेताओं के बीच तू-तू, मैं-मैं शुरू हो गई है। चीनी के बढ़ते दामों को लेकर चौतरफा आलोचना से घिरे कृषि एवं खाद्य मंत्री शरद पवार ने सोमवार को चीनी के चढ़ते दामों के लिए एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार पर ठीकरा फोड़ा तो मुख्यमंत्री मायावती ने उन पर पलटवार किया। मायावती ने कहा कि कृषि मंत्री का बयान न केवल गैरजिम्मेदाराना है, बल्कि संवेदनहीन भी। खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि आयातित कच्ची चीनी कांडला बंदरगाह पर दो माह से अधिक समय से पड़ी हुई हैं, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार चीनी मिलों को इसके प्रसंस्करण की अनुमति नहीं दे रही है। पवार ने कहा कि अगर चीनी मिलों ने प्रसंस्करण किया होता तो हर महीने अतिरिक्त ढाई लाख टन चीनी की उपलब्धता बढ़ी होती और इससे कीमतें कम हुई होतीं। यूपी सरकार को कच्च्ची चीनी के प्रसंस्करण पर लगे प्रतिबंध को उठाए जाने के बारे में पत्र लिखे जाने का जिक्र करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि हम उन्हें समझा पाने में सफल नहीं रहे। उनके मुताबिक वे उत्तर प्रदेश की समस्या को मूल्य मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के साथ सुलझाएंगे। सीसीपी की कल बैठक होनी है जिसमें खाद्य सामग्रियों विशेषकर चीनी की मूल्य वृद्धि के बारे में विचार विमर्श किया जाएगा। ज्ञात हो कि दिल्ली में खुदरा बाजार में चीनी की कीमत 45 रुपये प्रति किलो चल रही है जो जनवरी 2009 के मुकाबले दोगुने से अधिक है। शरद पवार का बयान सार्वजनिक होने के कुछ ही देर बाद लखनऊ में मुख्यमंत्री मायावती ने एक बयान जारी कर यह कहते हुए उनकी खबर ली कि यह एक जिम्मेदार मंत्री का सबसे अधिक गैर जिम्मेदाराना और संवेदनहीन बयान है। बसपा प्रमुख ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि मूल्य वृद्धि पर अंकुश लगाने के स्थान पर केंद्रीय मंत्री उकसावे वाले बयान देते रहे। उनके अनुसार केंद्रीय मंत्रियों के ऐसे बयानों ने कालाबाजारियों और जमाखोरों का मनोबल ही बढ़ाया कि मुद्रास्फीति मे अभी और वृद्धि होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसानों के असंतोष को देखते हुए उनकी सरकार ने प्रदेश में कच्च्ची चीनी के परिवहन को स्थगित करने का परामर्श रेलवे बोर्ड को दिया था।
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