नई दिल्ली, सुरक्षा बलों के लिए खरीद का मामला एक बार फिर दागदार हो गया। 26/11 का हमला और हेमंत करकरे की मौत भी जवानों के जीवन-मरण से जुड़े साजो-समान की खरीद-फरोख्त के तंत्र की खामियां दूर नहीं कर सकी। इसका सबूत है अर्द्धसैनिक बलों के जवानों के लिए गृह मंत्रालय में 59,000 नई बुलेटप्रूफ जैकेटों की खरीद प्रक्रिया का रद होना। मंत्रालय ने नए सिरे से बुलेटप्रूफ जैकेटों के लिए टेंडर मंगाए हैं। नतीजतन, भ्रष्टाचार की कीमत हमारे जवान चुकाएंगे और आतंकवादियों, उग्रवादियों और नक्सलियों की गोलियों की बौछार से बचाने वाली बुलेटप्रूफ जैकेट के लिए उन्हें अब और इंतजार करना होगा। इन 59,000 बुलेटप्रूफ जैकेटों के लिए आई निविदाओं में एक को परीक्षण में पास कर दिया गया था। तकनीकी मूल्यांकन समिति (टीईसी) और टेंडर सलाहकार कमेटी (टीएसी) को सभी ठेकेदारों की बुलेटप्रूफ जैकेट जांच कर उपयुक्त को चुनना था। पहली और सबसे अहम रिपोर्ट डीआरडीओ के तहत आने वाली टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेट्री (टीबीआरएल) को तैयार करनी थी। टीबीआरएल के संयुक्त निदेशक आरके वर्मा व अन्य ने एक कंपनी की बुलेटप्रूफ जैकेट पास कर दी। इस पर बवाल मचा और जब मामला टेंडर एडवाइजरी कमेटी (टीएसी) के सामने पहुंचा तो उसके सामने शिकायतों का अंबार लग गया। इसी बीच आरके वर्मा व बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने वाली कंपनी के बीच किसी सौदेबाजी को सीडी पर भी रिकार्ड कर लिया गया। मामला ज्यादा गंभीर होता देख गृह मंत्रालय ने 23 दिसंबर को इस पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी। बाद में वर्मा ने स्वीकार भी कर लिया कि सीडी में उनकी ही आवाज है। छानबीन के बाद गृह मंत्रालय ने टीबीआरएल के परीक्षण को रद कर दिया। अब सभी ठेकेदारों से नए सिरे से उनके सैंपल मंगाए गए हैं। इस घालमेल के बाद गृह मंत्रालय ने डीआरडीओ से एक से ज्यादा वैज्ञानिक व तकनीकी विशेषज्ञ को बुलेटप्रूफ जैकेटों के नमूनों का परीक्षण करने और रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। डीआरडीओ से वर्मा के खिलाफ जांच बैठाने और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा गया है। अगली बार नमूनों के परीक्षण में कोई गड़बड़ न हो, इसके लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतने और साफ व सख्त निविदा प्रक्रिया बनाने को कहा गया है।
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मंगलवार, 12 जनवरी 2010
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