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गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

अंबेडकर पर राहुल-माया टकराए

अंबेडकर नगर/लखनऊ अंबेडकर नगर में दलितों के जिस मसीहा की जयंती पर राजनीतिक घमासान मचा था, उसमें दोनों ही पक्ष अपने-अपने रुख से टस से मस नहीं हुए। माया सरकार ने राहुल को अंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण नहीं करने दिया तो कांग्रेस महासचिव ने मंच पर ही उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर उनके प्रति सम्मान व्यक्त किया। दस मिनट के अपने संबोधन में राहुल ने मायावती के मूर्तिप्रेम पर अपरोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि केंद्र से वह गरीबों के लिए धन भेजते हैं, लेकिन लखनऊ आकर न जाने वह कहां चला जाता है। जवाब मायावती ने लखनऊ से दिया। उन्होंने कहा कि इन स्थलों-स्मारकों का किसी भी स्तर पर कितना ही विरोध क्यों न हो, उनकी पार्टी और सरकार तिल भर भी नहीं झुकेगी। राहुल गांधी जिस वक्त मंच पर चढ़े, उस वक्त अंबेडकर नगर का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस पार कर रहा था, लेकिन राहुल के भाषण ने प्रदेश के सियासी पारे को और बढ़ा दिया। राहुल ने कहा कि वह जब गरीबों के घर जाते हैं, उनकी बात करते हैं तो कुछ लोगों को ऐतराज होता है। लोग सवाल उठाते हैं कि राहुल ऐसा क्यों कर रहे हैं। प्रदेश सरकार को तो मनरेगा और शिक्षा के अधिकार जैसे कानून भी पसंद नहीं आ रहे, जबकि दोनों का सबसे ज्यादा लाभ दलितों को मिलना है। राहुल ने चुनौती देने के अंदाज में कहा, मैं गरीबों की आवाज उठाता रहूंगा। युवाओं के लिए रोजगार लाऊंगा। सवाल करने वाले सवाल करते रहें, हम पीछे हटने वाले नहीं। उन्होंने व्यंगात्मक लहजे में कहा कि वह प्रदेश के विकास के लिए पैसा भेजते हैं, लखनऊ पहुंचकर वह पैसा न जाने कहां चला जाता है? राहुल की इच्छा कार्यक्रम स्थल से 500 मीटर की दूरी पर स्थित डा. अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने की भी थी, किन्तु प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। उसका कहना था कि राहुल चाहे तो बसपा रैली के बाद ऐसा कर सकते हैं। इसके लिए उसने सुरक्षा का हवाला दिया। राहुल गांधी ने यहां से दस यात्राओं को भी रवाना किया। उधर, लखनऊ में मायावती ने साफ कहा कि स्थलों-स्मारकों का किसी भी स्तर पर कितना ही विरोध क्यों न हो, उनकी पार्टी और सरकार तिलभर भी नहीं झुकने वाली। आजादी के 63 वर्षो के दौरान, कांग्रेस ने 50 सालों तक केंद्र में और 38 वर्षो तक यूपी में राज किया। इस दौरान उसने अपनी जातिवादी मानसिकता के चलते न केवल बाबा साहब बल्कि अन्य की घोर उपेक्षा की। उसने बाबा साहब को भारत रत्‍‌न से सम्मानित करना भी उचित नहीं समझा। केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकार होने पर बसपा के दबाव में डॉ. अंबेडकर को भारत रत्‍‌न से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि आज जब बसपा सरकार भव्य स्मारक, पार्क, विश्र्वविद्यालय, जिला आदि बनाकर इन महापुरुषों को उचित आदर सम्मान दे रही है तो कांग्रेस, भाजपा और अन्य विरोधी पार्टियों को बहुत बुरा लग रहा है। ये पार्टियां इन मामलों को कोर्ट कचहरी तक में खींचने का काम कर रही हैं। बसपा प्रमुख ने कहा कि चाहे जितना विरोध हो, बसपा सरकार इन महापुरुषों को आदर सम्मान देने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेगी।

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