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बुधवार, 26 मई 2010

राठौड़ की मुस्कुराहट सलाखों के पीछे

रुचिका मामले में दोषी हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपीएस राठौड़ की चिर-परिचित हंसी मंगलवार को गायब हो गई। चंडीगढ़ की जिला अदालत ने इस मामले में उसकी सजा 6 महीने से बढ़ाकर डेढ़ वर्ष कर दी। उसके बाद सीबीआई ने राठौड़ को गिरफ्तार कर चंडीगढ़ के बुड़ैल जेल भेज दिया। हालांकि राठौड़ ने कोर्ट से फैसले की प्रति हासिल करने के लिए खूब ड्रामा किया, लेकिन अदालत ने उसकी एक नहीं सुनी। आखिरकार उसे जेल जाना ही पड़ा और अब उसकी रात वहीं कटेगी। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश गुरबीर सिंह की अदालत ने पूर्व डीजीपी की अपील को खारिज करते हुए यह सजा सुनाई। राठौड़ को पिछले वर्ष 21 दिसंबर को सीबीआई मजिस्ट्रेट की अदालत ने छह माह कैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ उसने जिला अदालत में अपील दायर की थी। कोर्ट ने सीबीआई और शिकायतकर्ता पक्ष की सजा बढ़ाने संबंधी अपील को स्वीकार कर राठौड़ की सजा बढ़ा कर डेढ़ साल कर दिया। इसके अलावा अदालत ने शिकायतकर्ता मधुप्रकाश के खिलाफ हलफनामे में गड़बड़ी को लेकर दायर राठौड़ की पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर दिया। फैसले के समय कोर्ट रूम खचाखच भरा हुआ था। लगभग दो दशक पुराने इस मामले में अदालत ने चंद मिनटों में ही फैसला सुना दिया। लेकिन फैसले की कापी हासिल करने के लिए राठौड़ और उसकी पच्ी आभा द्वारा किए गए बखेड़ा के कारण काफी समय लग गया। सजा सुनाने के बाद जज ने सीबीआई से राठौड़ को गिरफ्तार कर बुड़ैल जेल ले जाने का निर्देश दिया। सीबीआई अधिकारी दिन में 3.20 बजे राठौड़ को लेकर कोर्ट रूम से बाहर निकले और उसे सफेद रंग तवेरा गाड़ी पर बैठाकर बुड़ैल जैल के लिए रवाना हो गए। उसे 3.55 बजे जेल में दाखिल करा दिया गया। राठौड़ अपनी पत्नी के साथ दो बजे कोर्ट पहंुचा था। कोर्ट की कार्यवाही के दौरान रुचिका के पिता सुभाष चंद्र गिरहोत्रा, शिकायतकर्ता मधुप्रकाश, उनके पति आनंद प्रकाश व वकील पंकज भारद्वाज भी मौजूद थे। दूसरी ओर पूर्व डीजीपी की पत्नी आभा राठौड़ हताश दिख रही थी। जिला अदालत में मामले पर सुनवाई पिछले पांच महीने से चल रही थी। आभा ने राठौड़ के खराब स्वास्थ्य का मसला उठाया : अदालत के फैसले के बाद भी सीबीआई के वकील सीएस शर्मा और राठौड़ की पत्नी आभा राठौड़ के बीच पूर्व डीजीपी के स्वास्थ को लेकर बहस हुई। आभा राठौड़ ने पूर्व डीजीपी के खराब स्वास्थ्य और हाल ही में हुई बाईपास सर्जरी का हवाला दिया। साथ ही आभा ने कहा कि राठौड़ ने चेक अप के लिए मंगलवार शाम चार बजे पीजीआई में डाक्टर से समय लिया हुआ है। सीबीआई के वकील ने इसका विरोध करते हुए चेकअप का फैसला जेल अधीक्षक पर छोड़ने को कहा। इसके बाद अदालत ने जेल भेजने का निर्देश देते हुए चेकअप का फैसला जेल अधीक्षक पर छोड़ दिया। आदेश की प्रति के लिए न्यायाधीश के समक्ष अड़े : आभा राठौड़ और पूर्व डीजीपी आदेश की प्रति लेने के लिए कोर्ट रूम में डटे रहे। राठौड़ का कहना था कि जबतक उन्हें आदेश की प्रति नहीं मिल जाती, वह यहां से हिलेंगे नहीं। राठौड़ ने तीखे लहजे में न्यायाधीश से सवाल किया कि उनकी सजा को बढ़ा दिया गया, ऐसे में वह आदेश की प्रति लेने के हकदार है। अदालत ने साफ किया कि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। अदालत ने कानून के हिसाब से आवेदन करने को कहा। इतना ही नहीं राठौड़ के बुड़ैल जेल जाने के काफी देर बाद तक आभा राठौड़ आदेश की प्रति लेने के लिए कोर्ट रूम में बैठी रही। तैनात थे 150 सुरक्षा कर्मी : अदालत के भीतर और बाहर लगभग डेढ़ सौ सुरक्षा कर्मी तैनात थे। इसमें से कुछ सुरक्षा कर्मी सादी वर्दी में थे। राठौड़ पर और भी हैं मामले पंचकूला पुलिस ने जनवरी में राठौड़ के खिलाफ तीन नई एफआईआर दर्ज की थी। इन एफआईआर को बाद में हरियाणा पुलिस ने सीबीआई को सौंप दिया था और अब सीबीआई इन मामलों की जांच कर रही है। यह मामले अब हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं।
कब क्या हुआ
12 अगस्त, 1990 : राठौड़ पर अपने कार्यालय में रुचिका से छेड़छाड़ का आरोप लगा 16 अगस्त, 1990 : मुख्यमंत्री हुकुम सिंह और गृह सचिव को शिकायत 18 अगस्त, 1990 : पंचकूला के पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई डीडीआर 3 दिसंबर, 1990 : डीजीपी आरआर सिंह ने राठौड़ को दोषी पाया, रिपोर्ट जमा करवाई, एफआईआर की सिफारिश (बाद में नए डीजीपी आरके हुड्डा और गृह सचिव जेके दुग्गल ने विभागीय कार्रवाई और चार्जशीट की सिफारिश की) 20 दिसंबर, 1990 : रुचिका को अनुशासनहीनता के आरोपों के चलते सेक्रेड हार्ट स्कूल से निकाला गया 12 मार्च, 1991 : गृह मंत्री संपत सिंह ने विभागीय कार्रवाई के सुझाव के लिए फाइल मुख्यमंत्री हुकुम सिंह को भेजी 13 मार्च, 1991 : हुकुम सिंह ने सहमति दी 28 मई, 1991 : राज्यपाल धनिकलाल मंडल के शासनकाल के दौरान राठौड़ के खिलाफ चार्जशीट को मंजूरी 6 अप्रैल, 1992 : रुचिका के भाई आशु पर कार चोरी का मामला दर्ज 30 मार्च, 1993 : रुचिका के भाई आशु पर कार चोरी का एक और मामला। बाद में कार चोरी के कुल 11 मामले दर्ज हुए। 23 अक्टूबर, 1993 : रुचिका के भाई आशु गिरोत्रा को पुलिस ने उठाया, दो माह तक जेल में बंद रखा 28 दिसंबर, 1993 : रुचिका ने जहर खाकर आत्महत्या की 29 दिसंबर, 1993 : रुचिका की आत्महत्या के बाद आशु को छोड़ा गया अप्रैल, 1994 : राठौड़ पर से आरोप हटाए गए 4 नवंबर, 1994 : राठौड़ को प्रमोशन मिली, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बने नवंबर, 1997 : रुचिका की सहेली आराधना के पिता आनंद प्रकाश ने आरआर सिंह की रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए हाईकोर्ट में दस्तक दी 21 अगस्त, 1998 : हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच के निर्देश दिए 10 अक्टूबर, 1999 : हरियाणा के डीजीपी बने 3 जनवरी, 2000 : सीबीआई ने मामला दर्ज किया 16 नवंबर, 2000 : सीबीआई ने राठौड़ मामले में चार्जशीट दायर की 5 दिसंबर, 2000 : हरियाणा डीजीपी पद से राठौड़ हटाए गए, छुट्टी पर भेजा गया मार्च 2002 : राठौड़ सेवानिवृत अक्टूबर 2001 : अंबाला कोर्ट में राठौड़ पर धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए मजबूर का आरोप लगा जुलाई 2002 : राठौड़ डीजीपी पद से रिटायर हुए वर्ष 2003 : हाईकोर्ट ने राठौड़ पर लगाई गई धारा 306 निरस्त की मई 2006 : मामला पटियाला स्थित सीबीआई कोर्ट में ट्रांसफर हुआ दिसंबर 2008 : राठौड़ की जज के आचरण को लेकर केस पटियाला से अंबाला ट्रांसफर करने की अर्जी 5 नवंबर, 2009 : हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ की सीबीआई अदालत को मामला रेफर करने को कहा 17 नवंबर 2009 : चंडीगढ़ के सीबीआई मजिस्ट्रेट की अदालत में रोजाना बंद कमरे में शुरू हुई एक महीने के लिए सुनवाई 21 दिसंबर : सीबीआई मजिस्ट्रेट ने राठौड़ को छह माह की सजा सुनाई, जमानत मिली 26 दिसंबर, 2009 : गृह मंत्रालय ने राठौड़ को कारण बताओ नोटिस कर पूछा क्यों न उनसे पुलिस मेडल छीन लिया जाए। 5 जनवरी, 2010 : आत्महत्या के लिए उकसाने पर राठौड़ के खिलाफ नए सिरे से एफआईआर दर्ज 11 जनवरी, 2010 : राठौड़ ने फैसले के खिलाफ चंडीगढ़ की सेशन कोर्ट में अपील दायर की 25 जनवरी, 2010 : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से राठौड़ को अंतरिम जमानत मिली 4 फरवरी, 2010 : सीबीआई ने धारा 354 के तहत सजा बढ़ाने की अपील दायर की 8 फरवरी, 2010 : पेशी के दौरान राठौड़ पर वाराणसी के उत्सव शर्मा ने चाकू से किया हमला। 15 मार्च 2010 : केंद्र ने राठौड़ से पुलिस सर्विस मेडल वापस लेने के निर्देश दिए 3 से 11 मई 2010 : लगातार नौ दिनों तक अतिरिक्त सत्र न्यायालय के बंद कोर्ट रूम में मामले की चली सुनवाई, फैसले के लिए 20 मई निर्धारित 20 मई 2010 : फैसला 25 मई के लिए टला 25 मई 2010 : राठौड़ की अपील खारिज, डेढ़ वर्ष की सजा, बुड़ैल जेल भेजा गया।

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