डबवाली न्यूज़ :भोपाल राजधानी से सटे हुए बैतूल अंचल की एक घटना ने केंद्र और राज्य सरकार की आदिवासियों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की कलई खोलकर रख दी है। दरअसल, जिले के कोरकू आदिवासी दुकाली ने गरीबी से तंग आकर अपने दो बच्चों को सारणी के एक आश्रम को दान कर दिया। इस इलाके को आदिवासी कल्याण मंत्री विजय शाह का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है। वन ग्राम जुआझर का रहने वाला दुकाली और उसकी पत्नी जंगलों से लकड़ी चुन शहर में बेचकर जैसे-तैसे अपना घर परिवार चलाते हैं। जुआझर में 17 परिवार रहते हंै, जो आदिवासी और अति गरीब हंै। केंद्र एवं प्रदेश सरकार कई योजनाओं के क्रियान्वयन का दावा करती हैं, लेकिन हकीकत में जुआझर सभी सुविधाओं से महरूम है। यही नहीं दुकाली को आज तक किसी भी सरकारी योजना से कोई सहायता नहीं मिली। लिहाजा गरीबी के चलते उसने अपने पुत्र श्यामलाल (10) और रामलाल (6) को सारणी के जय बाबा मठारदेव वृद्धाश्रम में पिछले सप्ताह दान कर दिया। आश्रम के संचालक एवं सेवानिवृत्त शिक्षक सीएस वराठे कहते हैं कि आज भी कोरकू समुदाय को दो वक्त के भोजन के लिए जंगलों की खाक छाननी पड़ रही है। यह घटना ऐसे वक्त हुई है जब मुख्यमंत्री शिवराज आदिवासियों में पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए वनवासी यात्रा पर निकलने की तैयारी कर रहे हैं। बैतूल क्षेत्र आदिवासी कल्याण मंत्री विजय शाह के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। वह खुद भी आदिवासी समुदाय से हैं। केंद्र में आदिवासी विभाग का नेतृत्व करने वाले कांतिलाल भूरिया भी मध्य प्रदेश के हैं। जिला प्रशासन बच्चे दान करने की घटना से पूरी तरह पल्ला झाड़ रहा है। बैतूल जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी बीएस जामोद कहते हैं कि आदिवासी बच्चे रखें या दान करें, इससे उन्हें कोई लेना देना नहीं है।
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