नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अरूणा शानबाग को दया मृत्यु देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने मुम्बई की नर्स अरूणा शानबाग की इच्छामृत्यु के लिए पिंकी विरानी की अपील खारिज कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने तमाम पार्टियों को सुनने के बाद माना है कि भारत का कानून इस बात की इजाजत नहीं देता है कि किसी को भी इच्छा मृत्यु की इजाजत दी जाए। सर्वोच्च अदातल ने करीब 110 पन्नों में इस अपील पर अपना फैसला दिया। न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू और न्यायधीश ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने गत दो मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने कहा कि आदमी खुद अपनी इच्छा मृत्यु की अपील नहीं कर सकता है। बल्कि उसका परिवार इसके लिए अपील कर सकता है। परिवार की अपील पर हाईकोर्ट की मंजूरी से इस पर फैसला दे सकता है। अरूणा यौन उत्पीड़न का शिकार होने के बाद पिछले 37 साल से अस्पताल में निष्क्रिय जीवन व्यतीत कर रही है। अरूणा के लिए इच्छामृत्यु के लिए याचिका लेखिका पिंकी विरानी ने दायर की थी। गौरतलब है कि अरूणा किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल में नर्स के रूप में कार्यरत थी। 27 नवम्बर 1973 को अस्पताल के सफाई कर्मचारी ने उसका यौन उत्पीड़न किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने तमाम पार्टियों को सुनने के बाद माना है कि भारत का कानून इस बात की इजाजत नहीं देता है कि किसी को भी इच्छा मृत्यु की इजाजत दी जाए। सर्वोच्च अदातल ने करीब 110 पन्नों में इस अपील पर अपना फैसला दिया। न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू और न्यायधीश ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने गत दो मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने कहा कि आदमी खुद अपनी इच्छा मृत्यु की अपील नहीं कर सकता है। बल्कि उसका परिवार इसके लिए अपील कर सकता है। परिवार की अपील पर हाईकोर्ट की मंजूरी से इस पर फैसला दे सकता है। अरूणा यौन उत्पीड़न का शिकार होने के बाद पिछले 37 साल से अस्पताल में निष्क्रिय जीवन व्यतीत कर रही है। अरूणा के लिए इच्छामृत्यु के लिए याचिका लेखिका पिंकी विरानी ने दायर की थी। गौरतलब है कि अरूणा किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल में नर्स के रूप में कार्यरत थी। 27 नवम्बर 1973 को अस्पताल के सफाई कर्मचारी ने उसका यौन उत्पीड़न किया था।
नर्सों ने जताई खुशी
अरूणा की इच्छा मृत्यु की याचिका खारिज होने पर नर्सो ने खुशी जताई है केईएम अस्पताल की नर्स प्रमिला कुशे ने कहा कि जब तक उनकी देखभाल करने के लिए हम लोग हैं कोर्ट को उन्हें इच्छा मृत्यु नहीं देना चाहिए। हम खुश है कोर्ट ने हमारी आवाज सुनी।
SHE IS NOT IN POSITION TO APPLY. SECONDLY DESIRE TO DIE AND MERCY TO DIE. BOTH ARE WRONG.
जवाब देंहटाएंEVERY MATTER DOESN'T FALL UNDER JURISDICTION.
SHE IS BEING SERVED WITH GRACE AND PLEASURE BY HER SISTERS.
SO COURT CAN SAY AT THE STARTING WHEN PINKI APPLIED FOR THAT SHE CAN'T WHY. WHY COURT HAS TAKEN TOO MUCH TIME AND HAVE GIVEN JUDGEMENT OF 110 PAGES. COURTS ARE DOING WHAT THEY LIKE. WE INDIAN ARE HELPLESS THESE DAYS.