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सोमवार, 7 मार्च 2011

भय मुक्त हरियाणा,भ्रष्टाचार मुक्त हरियाणा कितना कारगार ?

चार साल पहले नंबर वन हरियाणा,

मीडिया को विज्ञापन भरपूर दे कर दिखाया, असल में जमीनी हकीकत पर फेल

अनिल लाम्बा
भूमि-अधिग्रहण नीति में अनेक खामियों के चलते हरियाणा में हुड्डा सरकार के हुए छ: साल पूरे
करनाल (अनिल लाम्बा) : मुख्यमंत्री हुड्डा अपने ही मुंह मियाँ-मिट्ठू बन कर प्रदेश की जनता को बरगलाते हुए छ: साल पूरे करने में कामयाब तो हुए हैं लेकिन असल में जमीनी हकीकत पर फेल हो कर रह गए हैं | आपको बता दें क़ि दो हज़ार पांच के चुनावों में जब कांग्रेस को अपार सफलता मिली थी तब प्रदेश में हुड्डा के नेतृतव में चुनाव नहीं लड़ा गया था | हुड्डा को प्रदेश क़ी बागडौर कांग्रेस क़ी चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने सौंपी थी ना क़ि हरियाणा क़ि जनता ने, हुड्डा के प्रदेश क़ी बागडौर संभालते ही सबसे पहले गुडगाँव में श्रमिक प्रकरण हुआ उसके बाद गोहाना जैसी घटनाओं ने हुड्डा सरकार के जहां पसीने छुडा दिए वहीं हरियाणा में मजबूत विपक्ष के ना होते हुड्डा सरकार ने चैन क़ी सांस तो ली किन्तु अपनी ही सरकार में अपने ही विरोधियों से हुड्डा खासे परेशान भी रहे | इसी बीच हुड्डा सरकार ने एक बारगी नहीं बल्कि बार-बार नंबर वन हरियाणा, भय मुक्त हरियाणा,भ्रष्टाचार मुक्त हरियाणा का राग अलापा किन्तु हरियाणा के धरातल पर ये फेल हो कर रह गया, इस पर भी हुड्डा ने संज्ञान नहीं लिया अपितु   के मार्फ़त विज्ञापन दे एक झूठ को सच में बदलने का भरपूर प्रयास भी किया और साथ ही सरकारी खजाने को चपत भी लगती रही | इतने पर भी हुड्डा ने सच को जानने तक का प्रयास ना कर उस कहावत को भी चरितार्थ कर दिया क़ि अँधेरी रात में सूरज का दिखाना | मुख्यमंत्री हुड्डा द्वारा जो अंधरी रात में हरियाणा क़ि जनता को सूरज दिखाया गया था वो सूरज स्वयं मुख्यमंत्री को दो हज़ार नौ के चुनावों में नज़र आ गया | हरियाणा क़ी जनता ने हुड्डा सरकार को मात्र चालीस सीटों पर ही निपटा दिया और हरियाणा क़ी जनता ने विपक्ष के हाथ मजबूत कर हुड्डा सरकार क़ी परेशानियों को और भी बढ़ा दिया | इसके बाद हुड्डा सरकार ने बैसाखियों का सहारा ले कर अपनी सरकार खड़ी तो कर ली किन्तु मिर्चपुर काण्ड व हिसार काण्ड ने हुड्डा सरकार को अन्दर तक से हिला कर रख दिया | बैसाखियों के सहारे खड़ी क़ी गई हुड्डा सरकार को जहाँ विपक्ष ने आड़े हाथों लिया वहीं इनके अपनों ने भी इनकी टांग खिंचाई शुरू कर दी | अभी ये मामले ठन्डे भी ना हुए थे क़ि एक निजी चैनल ने हुड्डा सरकार पर भूमि-अधिग्रहण में भ्रष्टाचार का मामला उजागर कर दिया और देखते ही देखते समूचे विपक्ष सहित इनके अपनों ने भी इस प्रकरण पर हुड्डा सरकार क़ी जमकर खिंचाई क़ी | इस पर हुड्डा इतना बौखला गए क़ि उन्होंने सीधा- सीधा अपनों को चेतावनी दे डाली क़ि मेरी कुर्सी क़ी तरफ न देखो ये मुझे सोनिया गांधी के आशीर्वाद से मिली है और जब तक सोनिया गांधी का आशीर्वाद है तब तक मैं ही मुख्यमंत्री रहूंगा | लेकिन सवाल यह भी उठ रहा है क़ि मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अब यह बोल रहे हैं क़ि उन्हें तो जनता ने मुख्यमंत्री बनाया है | यह बात हुड्डा भी जानते हैं क़ि विधानसभा चुनावों में सतासठ सीटें लेने वाली कांग्रेस इस बार चालीस के आंकड़े पर फिसल गई | सरकार बनाने के लिए सात निर्दलीय विधायकों को साथ लेना पड़ा और उन्हें मंत्री बना कर उनके मुताबिक़ के मंत्रालय भी देने पड़े | कहीं सात विधायक कांग्रेस के लिए मुसीबत बीच में ही खड़ी न कर दें इसलिए पिछले दरवाजे से हजकां में सेंध लगाकर हजकां के पांच विधायकों को रातों-रात विधानसभा अध्यक्ष क़ी मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल करवा दिया गया | क्योंकि हुड्डा जानते थे क़ि निर्दलीय विधायक कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे | इसलिए इनके ऊपर पांच हजकां के विधायक लाद कर क्यों न इनका राजनीतिक वजन कम कर दिया जाए | भले ही विपक्ष के प्रहार से घबराकर हुड्डा यह बात क्यों न कह रहे हों क़ि उन्हें तो जनता ने मुख्यमंत्री बनाया है | यह बात राजनीतिक गलियारों में बेशक कही हुई अच्छी लगती हो मगर विधानसभा चुनावों में जनता द्वारा कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत ना दिया जाना यह साबित कर रहा है क़ी प्रदेश क़ि जनता कांग्रेस को नकार रही है | क्योंकि चालीस में से दस सीटें तो ऐसी थी जहां जीत का अंतर ही काफी कम था | यानी जनता का मूड कांग्रेस क़ी सरकार को लाना नहीं था | मगर हुड्डा शातिरयाना हिसाब से सरकार बना गए | यह बात हुड्डा भले ही ना कहें लेकिन प्रदेश क़ी जनता तो यही कह रही है | अब तो बिरेंदर सिंह डूमरखां राष्ट्रीय कांग्रेस में जबरदस्त वजूद दिखाते हुए राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव बन गए हैं | यही नहीं सोनिया गाँधी ने उन्हें त्वजों देते हुए तीन राज्यों का प्रभारी तक बना दिया है | मतलब साफ़ है क़ि हुड्डा जल्दी से भाव ना खा जाएं इसलिए हाईकमान ने उन्हें संकेत देते हुए उनके राजनीतिक धुरविरौधी बिरेन्द्र सिंह को राष्ट्रीय कांग्रेस में अहम् पद दे कर हुड्डा को चेतावनी भी दी गयी है | बहरहाल तौ केंद्र क़ी यू. पी. ऐ. सरकार को द्रमुक द्वारा अलग हो जाने के बाद उन पर ही खतरे के बादल मंडराते दिखाई दे रहे हैं | यदि केंद्र में कांग्रेस हिली तो हरियाणा में कांग्रेस को उड़ते हुए भी देर नहीं लगेगी | 


 

मीडिया

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