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मंगलवार, 31 मई 2011

आखिर क्या है डंडे का फंडा………..!,स्वीटी ह्त्याकांड में बनाये गये आरोपियों के परिजन देंगे हाई-कोर्ट में दस्तक

आई.जी.बोले : जिसने छापा था , जिसने छापा था उसी से पूछ लो
ए.एस.पी. बोली : घटनास्थल से मिला था डंडा, अभी चल रही है जांच
आरोपी के परिजन भी नहीं मानते और ना ही मान रहे हैं स्वीटी के परिजन तो
फिर कौन है हत्यारा……?

(thepressreporter.com): कुरुक्षेत्र के बहुचर्चित स्वीटी ह्त्याकांड में अचानक पुलिस के हाथ लगे डंडे का आखिर फंडा क्या है , यह ना तो लोगों की समझ में आ रहा है और ना ही मृतक स्वीटी के परिजनों का | आखिर डंडे में ऐसी क्या खासियत रही , जिसके सहारे पुलिस पहले तो अमृतसर पहुंची और फिर आरोपियों तक | खुद आई. जी. के.के.संधू पत्रकारों को पूर्व में बता चुके हैं कि आरोपियों का सुराग मौके पर मिले एक विशेष डंडे तथा वारदात में इस्तेमाल कि गई गाडी से लगा | गाडी बरामद होने की बात तो हजम की जा सकती है लेकिन मौके पर बरामद हुए डंडे का असली फंडा अभी भी राज बना हुआ है | आखिर डंडे के सहारे पुलिस हत्यारोपियों तक कैसे पहुंच गई , यह पेचीदा सवाल ना तो स्वीटी के परिजनों के गले उतर रहा है और ना ही पुलिस खुलकर इसके बारे में बताना चाहती है | आई.जी. के.के. संधू से जब बात की तो उनका यह कहना था कि डंडे की बात……आप उसी से पूछ लें , जिसने छापा था | हमें तो कुछ नहीं पता | दुसरा उन्होंने यह कह कर और भी संशय कर दिया कि इस मामले में सरकार से बात करें मैं कुछ भी नहीं बता पाउँगा | इस बात से साफ़ जाहिर है कि सरकार कहीं ना कहीं असली आरोपियों को पर्दे के पीछे रह कर बचा रही है | कुरुक्षेत्र की ए.एस.पी. पारुल कुश से भी यही सवाल पूछा गया | उन्होंने इस बात की पुष्टि तो की कि डंडा घटनास्थल से मिला था लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि पुलिस डंडे के सहारे हत्यारोपियों तक कैसे पहुंच गयी तो उन्होंने बताया कि इस मामले की गहनता से जांच की जा रही है इसलिए वह खुलकर नहीं बता पाएंगी | रिमांड के बाद सारी सच्चाई खुलकर सामने आ जायेगी | देखा जाए तो आई.जी. और ए.एस.पी. के बयानों में असमानता देखने को मिल रही है | खुद आई.जी. पत्रकारों से कह चुके हैं कि डंडे से हत्यारोपियों तक पहुँचने के लिए काफी मदद मिली | यह बात प्रकाशित भी हुई लेकिन अब वह यह क्यों कह रहे हैं कि आप उन्हीं से पूछिए , जिन्होंने छापा है | यह बात समझ से परे की है मगर कुरुक्षेत्र की नवनियुक्त ए.एस.पी. बोल रही हैं कि डंडा घटनास्थल से मिला था और डंडे से मदद भी मिली | आपको बता दें कि खुद आई.जी. ने कहा था कि डंडा अमृतसर से खरीदा गया था जो कि एक ख़ास किस्म का था और आरोपियों ने मौके पर इसे छोड़ दिया था लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि रिमांड के दौरान पूछताछ से ही इस वारदात के असली कारणों का खुलासा भी हो सकेगा | पुलिस की बात मान भी ली जाए कि रिमांड के दौरान सब कुछ पता चलेगा लेकिन पुलिस को यह तो बताना चाहिए कि डंडे से आखिर कैसे मदद मिली | डंडा अमृतसर से खरीदा गया , यह पुलिस को कैसे पता चला लेकिन पुलिस को यह तो स्पष्ट करना चाहिए कि यह डंडा उन्होंने कहाँ से लिया था और पुलिस उस तक कैसे पहुंची ? यदि पुलिस कि यह बात मान भी ली जाए तो भी सवाल खड़ा होता है कि अमृतसर के जिस दुकानदार से डंडा खरीदा गया था क्या वह आरोपियों को जानता था ? उसने पुलिस के वहां पहुंचते ही क्या इन तीनों के नाम लिए थे ? सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि क्या जिस दुकानदार से डंडा खरीदा गया , वह खुद आकर अदालत में गवाही भी देगा ? बहरहाल पुलिस जो भी कहे लेकिन अभी तक डंडे का फंडा समझ से परे की बात लगती है | हैरानी यह भी है कि घटनास्थल से बरामद हुआ डंडा आखिर उस समय सामने क्यों नहीं आया , जब स्वीटी के परिजन सडकों पर खड़े होकर बवाल मचा रहे थे | सी.बी.आई. की उठी जांच के बाद जब प्रदेश सरकार ने इसकी जांच सी.बी.आई को सौंपने का एलान किया तो अचानक चौब्बीस दिन पहले बरामद किये गये डंडे ने करिश्मा किया और पुलिस आरोपियों तक पहुंच गयी | पुलिस भले ही सच का दावा कर रही हो लेकिन स्वीटी के परिजन इस बात पर सवाल क्यों उठा रहे हैं कि पकड़े गये तीनों आरोपी केवलमात्र लीपापोती हैं | स्वीटी के पिता रणधीर सिंह ने तो यहाँ तक कहा था कि पुलिस असली सबूतों को मिटाने के लिए लीपापोती कर रही है ताकि असली अपराधी बच सकें | स्वीटी के पिता ने यह भी सवाल उठाया था कि जब वह अपनी बेटी के मामले को लेकर तत्कालीन एस.पी. सुलतान सिंह से मिले थे तो उन्होंने यह क्यों कहा था कि अब तो बहुत रात हो चुकी है सुबह देखेंगे | क्या जांचकर्ताओं ने तत्कालीन एस.पी. सुलतान सिंह से ऐसे गैर-जिम्मेदाराना ब्यान को लेकर कोई जांच की यदि नहीं तो क्यों नहीं की ? स्वीटी के पिता ने यह भी सवाल उठाया था कि पुलिस को दी अपनी शिकायत में जब उन्होंने सुनील व उसकी गैंग का नाम शक के आधार पर बताया था तो पुलिस ने पूछताछ क्यों नहीं की | उनकी संतुष्टि सुनील का नाम देने के बाद क्यों नहीं की गयी ? स्वीटी हत्याकांड में नामजद हुए तीन आरोपियों में से एक आरोपी के परिजन साफ़ कह चुके हैं कि उन्हें जान-बुझकर फंसाया जा रहा है जबकि स्वीटी हत्याकांड से उनके विक्की का कोई लेना-देना नहीं है | विक्की की पत्नी आत्महत्या करने तक की बात कह चुकी है | उसने तो बकायदा यहाँ तक कह दिया है कि वह भी एक महिला है | यदि उसके साथ भी बेइंसाफी हुई तो इसका जिम्मेदार भी प्रशासन होगा | दूसरी बात यह भी सामने आ रही है कि जिन को पुलिस ने आरोपी बनाया है उनके गांववाले व परिजनों का यह कहना कि तीनों आरोपियों को नगला-मेघा जिला करनाल की सीमा से उठाया गया है और गिरफ्तारी दौ दिन बाद शहाबाद से दिखाई ये बात कहाँ तक सच है इस बात का कोई जवाब ना तो कुरुक्षेत्र पुलिस के पास है और ना ही करनाल पुलिस के पास ? वहीं एक और बात यह भी सामने आ रही है कि जिन लोगों को हत्या का जिम्मेदार बनाया गया है , उनके परिजन जल्द ही हाई-कोर्ट में दस्तक देंगे | इससे पुलिस की मुश्किलें भी थोड़ी बड़ सकती हैं | बहरहाल स्वीटी के मामले को लेकर कईं ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब शायद सी.बी.आई की जांच गर हुई तो बाहर आ सकतें हैं |

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