योजना आयोग जिसके मुखिया है अर्थशाश्त्र के ज्ञाता प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह है उनकी टीम ने गरीबो का मजाक उड़ाते हुए गरीबी की नयी परिभाषा बताई है उनके मुताबिक़ शहर में एक व्यक्ति एक दिन में अपने ऊपर अगर ३२ रूपए खर्च करता है तो वो गरीब नहीं है…और गाँव के व्यक्ति के लिए यही आंकड़ा २६ रूपए है.. इतना ही नहीं MMS यानि मनमोहन सिंह जी ने बाकायदा एक दैनिक बजट भी पेश किया है जोकि कुछ इस प्रकार है- अनाज के लिए-५.५० रूपए, दाल के लिए-१.०२ रूपए दूध के लिए २.३३ रूपए , सब्जी के लिए -१.९५ रूपए , तेल के लिए-१.५५ रूपए , फल के लिए-४४ पैसे , चीनी के लिए- ७० पैसे ,नमक और मसाले के लिए-७८ पैसे , अन्य फ़ूड आइटम्स के लिए- १.५१ रूपए ,ईंधन के लिए-३.७५ रूपए……
लगता है योजना आयोग के मुखिया अपना मानसिक संतुलन खो बैठे है…अपने को गरीबो की हमदर्द होने का ढोंग करने वाली कांग्रेस पार्टी के नेता कौनसी दुनिया में जी रहे है..सच्चाई से कितना दूर है योजना आयोग…इन्हें शर्म भी नहीं आती गरीबी की ऐसी परिभाषाएँ देने में ..लेकिन शर्म आये भी तो कैसे आखिर ये तो ठहरे नेता इनके अन्दर बेशर्मी तो कूट-कूट कर भरी होती है ….चोरी पे चोरी ऊपर से सीना जोरी- ये परिभाषा कम थी की जो कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का बयान आया – सभी आंकड़े रीसर्च और सर्वे के बाद प्रस्तुत किये गए है…अभिषेक जी लगता है रीसर्च और सर्वे के बजाये योजना आयोग के सदस्यों और उनके मुखिया ने खेल-खेल में अपनी-अपनी जवानी के दिनों के ऊपर रीसर्च कर के ये दैनिक बजट तैयार किया है..इस नयी परिभाषा के पीछे भी इनकी गन्दी चाल है वो ऐसे की जब देश में ये परिभाषा लागू हो जायेगी तो देश में हकीकत में बढती हुई ग़रीबी आंकड़ो में कम हो जायेगी और जब गरीबी आंकड़ो में कम हो जायेगी तो इससे सरकार को तीन फायदे होंगे..१- गरीबो को मिलने वाली सेवाओं में सरकार कटौती कर देगी..२- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की गरीब देश की छवि कम होगी..३- और इन झूठे आंकड़ो का सबसे बड़ा फायदा तो यह है की २०१४ के चुनाव में वोट मांगने के लिए एक मुद्दा मिल जाएगा की हमारी सरकार ने गरीबी कम की… पर ये पब्लिक है ये सब जानती है…और वैसे भी अगर ३२ और २६ रूपए कमाने वाला व्यक्ति गरीब नहीं होता है तो हमारे नेताओ का भी मासिक ३८४० रूपए का मासिक वेतन मिलना चाहिए..क्यों सरकार अपनी सभी गन्दी चाले जनता के ऊपर आजमाती है ? दिन पर दिन बढती महंगाई महंगे होते खद्या पदार्थ पेट्रोल के दाम तो आसमान को छु रहे है और अब LPG सिलेंडर की भी सब्सिडी हो जायेगी एक वर्ष में केवल ६ सिलेंडर ही प्राप्त होंगे इससे अधिक पर और अधिक भुगतान करना पड़ेगा इस सबसे झूजना तो जनता को ही पड़ता है…मंत्रियो का क्या जो हज़ारो करोडो के मालिक है उनके लिए ये १०००,५०० रूपए क्या मायने रखते होंगे…योजना आयोग द्वारा प्रस्तुत किया गया गरीबी का नया पैमाना पूर्ण रूप से अव्यवाहरिक है..अगर योजना आयोग इसे व्यवहारिक समझता है तो इस पैमाने को वह स्वयं खुद के ऊपर लागू कर के देखे तब उसे हकीक़त का अहसास होगा…सरकार के लिए तो मै इतना ही कहना चाहता हूँ ” विनाशकाले विपरीत बुद्धि” जब किसी का अंत होना होता है तो उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है…*जय हिंद जय भारत*
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