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शुक्रवार, 11 सितंबर 2009
विजेंद्र ने पक्का किया देश का पहला पदक
भारतीय मुक्केबाजी के गोल्डेन ब्वाय विजेंद्र कुमार ने एक बार फिर तहलका मचाते हुए विश्व चैंपियनशिप में देश का पहला पदक पक्का कर दिया। वह इटली के मिलान में चल रही विश्व चैंपियनशिप के मिडिलवेट वर्ग के सेमीफाइनल में पहुंच गए। दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी और शीर्ष वरीयता प्राप्त विजेंद्र ने यूक्रेन के सर्जेइ देरेवियांचेंको को 12-4 से हराया। वह इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के अंतिम चार में पहुंचने वाले पहले भारतीय बन गए। विजेंद्र ने जीत के बाद कहा कि मैं सातवें आसमान पर हूं। मैं इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता। मैंने भारत के लिए एक और मिथक तोड़ा है और मैं बहुत खुश हूं। ओलंपिक कांस्य पदक विजेता विजेंद्र का सामना अब पूर्व लाइट हैवीवेट विश्व चैंपियन अब्बोस अतोएव से होगा जो इसी साल मिडिलवेट वर्ग में लौटे हैं। विजेंद्र ने उजबेकिस्तान के इस मुक्केबाज को जून में चीन में हुई एशियाई चैंपियनशिप में हराया है। विजेंद्र ने कहा कि मेरा हमेशा से मानना रहा है कि हमें विरोधी से डरना नहीं चाहिए। इससे प्रदर्शन पर असर पड़ता है। मैं पिछले रिकार्ड के बारे में नहीं सोच रहा। आखिरकार 11 मिनट में मेरा प्रदर्शन ही तो मायने रखेगा। खेल रत्न पुरस्कार प्राप्त इस मुक्केबाज ने कहा कि पहले ही दौर में उसने अपने विरोधी को आंक लिया था। पहला दौर 1-1 से बराबरी पर रहा। छह फुट लंबे विजेंद्र को कद का भी फायदा मिला। उन्होंने दूसरे दौर में 5-3 की बढ़त बना ली। आखिरी दौर में उन्होंने काफी आक्रामकता दिखाई और अपने विरोधी को हावी नहीं होने दिया। उन्होंने यह दौर 6-0 से जीता। राष्ट्रीय कोच गुरबख्श सिंह संधू ने हरियाणा के इस मुक्केबाज की तारीफ करते हुए कहा कि वह कभी अपना आपा नहीं खोता और निर्णायक लम्हों में भी नियंत्रित रहता है। विश्व के दूसरे नंबर के मुक्केबाज विजेंद्र ने सेमीफाइनल बाउट से पहले कहा कि उन्हें इस चैंपियनशिप में बीजिंग ओलंपिक में जीते गए पदक का रंग बदलने का पूरा भरोसा है। इस शीर्ष वरीय का सामना उजबेकिस्तान के अब्बोस अतोएव से होगा। उन्होंने कहा कि अभी काम आधा हुआ है क्योंकि मैं इस बार कांस्य से ही संतोष नहीं करूंगा। इस 23 वर्षीय भारतीय को पिछले महीने खेल रत्न पुरस्कार दिया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें जीत दर्ज करने का पूरा भरोसा है क्योंकि उन्होंने एशियाई चैंपियनशिप में अतोएव को दो महीने पहले शिकस्त दी थी।
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