डॉ सुखपाल सावंत खेडा,
डबवाली,
पिछले दो दिनों से जारी भीषण बारिश ने मध्य प्रदेश के पूर्वी इलाके में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए। समूचे महाकौशल अंचल में पड़ रही मूसलाधार बरसात से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। होशंगाबाद में नर्मदा नदी के खतरे के निशान से ऊपर बहने के कारण बुधवार की रात से ही हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को बाढ़ प्रभावित जिलों का हवाई सर्वेक्षण कर कलेक्टरों को निर्देशित किया कि नुकसान का आकलन कर प्रतिवेदन जल्द तैयार कर ले। उधर, बुंदेलखंड अंचल में सूखे का जायजा लेने आए केंद्रीय अध्ययन दल को भी भारी बरसात से रूबरू होना पड़ा। किसानों ने इस दल को बताया था कि समय पर पानी न बरसने के कारण खरीफ फसल चौपट हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि भीषण सूखे की शिकायत पर केंद्रीय दल इसका आकलन करने मध्य प्रदेश पहुंचा था, लेकिन राज्य में पहुंचते ही उसे ऐसी मूसलाधार बारिश का सामना करना पड़ा जिसकी किसी ने शायद ही कल्पना की हो। पूर्वी मप्र में सोमवार से जारी बारिश का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जबलपुर, नरसिंहपुर, पचमढ़ी, टीकमगढ़, सागर आदि में भारी बरसात के चलते हालात गंभीर हो गए हैं। महाकौशल क्षेत्र में मूसलाधार बारिश के कारण नर्मदा और सहायक नदियां में उफान आ गया है। होशंगाबाद के सेठानी घाट पर बुधवार की रात नर्मदा खतरे के निशान से तीन फीट ऊपर बह रही थी। हवाई सर्वेक्षण पर निकले मुख्यमंत्री चौहान ने पाया कि होशंगाबाद की कई बस्तियों और खेतों में नर्मदा का पानी भरा हुआ है। यही हाल नरसिंहपुर जिले का भी है। यहां बरमान घाट पर नर्मदा पूरे वेग के साथ बह रही है। पचमढ़ी का सड़क संपर्क दो दिन के बाद गुरुवार को जुड़ पाया है। रायसेन जिले में बारना बांध के ओवर फ्लो होने के कारण एक दर्जन गांवों को खाली कराने का निर्णय लिया गया। होशंगाबाद के निकट सोहागपुर कस्बे में पलमती नदी में बाढ़ आने के कारण उसका पानी घरों में प्रवेश कर गया। मानसून के अंतिम दिनों में हुई इस बरसात ने प्रदेश की अधिकांश नदियों और बांधों को लबालब कर दिया है। तवा बांध के सभी तेरह और संजय सरोवर बांध के तीन फाटकों को खोल कर पानी बाहर करना पड़ा। इसके अलावा हलाली, केरवा, बारना, बरगी आदि में भी पानी खतरे के निशान के आसपास है। वहीं गांधीसागर, इंदिरासागर, बाणसागर आदि के जल स्तर में भी अच्छी खासी बढ़ोत्तरी हुई है। हालांकि बांधों के लबालब होने से विद्युत उत्पादन भी बढ़ा है। 2 सितंबर को जहां जल विद्युत उत्पादन केवल 83 मेगावाट रह गया था वहीं वह 8 सितंबर को बढ़कर 403 मेगावाट हो गया। थर्मल पावर के उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। उधर, सूखे का आकलन करने आए केंद्रीय अध्ययन दल ने पिछले दो दिनों में सागर, दमोह, पन्ना, टीकमगढ़ आदि जिलों का दौरा किया। जिस समय केंद्रीय दल का दौरा चल रहा था उस समय इनमें से अधिकांश जिलों में भीषण बरसात हो रही थी। जिस दल ने चारों तरफ सूखे से फटी धरती की उम्मीद की थी मूसलाधार वर्षा के कारण उसे चारों तरफ पानी और हरियाली नजर आई। हालांकि यह भी सच है कि इन इलाकों में मानसून के आखिरी दौर में इतनी बारिश हुई है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें