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शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

स्कूल में सरेआम छेड़छाड़ व नोंच खसोट

डॉ सुखपाल सावंत खेडा,
डबवाली,
स्कूल के माहौल और पढ़ाई को सुधारने का दावा दिल्ली सरकार भले ही बढ़-चढ़ कर करें, लेकिन सरकार के इस दावे को खजूरी खास स्थित सरकारी स्कूल में हुई इस घटना ने झूठा साबित कर दिया है। स्कूल में सरेआम छेड़छाड़ व नोंच खसोट की घटना हुई पर शिक्षक व प्रधानाचार्य कमरों में बैठे रहे। यह कोई इस स्कूल में पहली घटना नहीं हैं। लड़कों द्वारा छेड़छाड़ की घटना यहां आम है। पर स्कूल प्रशासन ने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया। स्कूल के छात्रों की हरकतों की बारे में स्कूल प्रशासन को पता था। बावजूद इसके एहतियात के तौर पर कोई कदम नहीं उठाया गया। दहशतजदा छात्राओं बताया कि बृहस्पतिवार की सुबह छात्र भूखे भेडि़यों की तरह उन पर टूट पडे़ थे। विद्यालय में छात्र-छात्राओं की कक्षाएं तो अलग-अलग पाली में चलाई जाती हैं। लेकिन परीक्षाएं साथ-साथ ली जा रही थीं। दसवीं की छात्रा नुजहत फातमा भी परीक्षा देने के लिए क्लास रूम में बैठी थी। नुजहत ने बताया कि पेपर 9 बजे शुरू होना था, लेकिन 9.30 बजे तक क्लास रूम में कोई भी शिक्षक नहीं पहुंचा। उसी समय अचानक कुछ छात्र कक्षा के बाहर आ गए। छात्राओं को यह समझ ही नहीं आया कि छात्र यहां कैसे आ गए, क्योंकि जहां पर छात्राओं की परीक्षा होती है। यहां किसी भी छात्र की जाने की मनाही होती है। जब छात्रों के बीच यह घोषणा की गई कि वह बारिश की वजह से परीक्षा नहीं ले पा रहे हैं, इसलिए ऊपर के कमरों में जाएं तो उस समय कोई भी शिक्षक नहीं था जो छात्रों को कतारबद्ध होकर ऊपर भेजे या छात्रों को ऊपर भेजने से पहले छात्राओं को एक ओर की कक्षाओं में कर दें। दसवीं की छात्रा रफत फातमा की के अनुसार अचानक छात्र ऊपर आ गए और छेड़छाड़ शुरू कर दी। उन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं था। इसके बाद तो उन्होंने ऐसा किया, जिसे बयां नहीं किया जा सकता है। उनका एक ही उद्देश्य था, छात्राओं की अस्मत से खिलवाड़। वह भूखे भेडि़यों की तरह छात्राओं पर टूट पड़े। इतना कुछ हो रहा था, लेकिन स्कूल में मौजूद दर्जनों शिक्षक कमरों में बैठे रहे। उपद्रवी छात्रों से बचकर जो छात्राएं इधर-उधर छुप रहीं थीं, उन्हें वे पकड़ कर बाहर ला रहे थे। चारों ओर चीख-पुकार मच गई। छात्राएं कुचली जाने लगीं तब शिक्षक बाहर निकल कर आए। लेकिन स्थिति बेकाबू हो चुकी थी। शिक्षकों के शोर मचाने और बचाव करने का कोई असर नहीं पड़ा। सातवीं कक्षा की छात्रा सदफ बताती हंै कि यहां अक्सर इस तरह की घटना होती रहती हंै। जब छात्राओं की दिन में 12. 30 बजे छुट्टी होती है, तब छात्र दूसरी पाली में पढ़ने के लिए प्रवेश करते हैं। इस दौरान वे अक्सर छेड़खानी करते हैं। लेकिन स्कूल के प्रधानाचार्य व शिक्षक कोई कदम नहीं उठाते हैं। अगर किसी ने ऊपर शिकायत कर दी तो शिक्षक उस छात्रा के पीछे ही पड़ जाते हैं। ज्योति और पिंकी भी कहती हैं कि स्कूल प्रशासन का रवैया छात्राओं के प्रति बेरुखा है

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