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बुधवार, 16 सितंबर 2009

धक्कम-पेल में भी चली निर्दलीयों की रेल


( डॉ सुखपाल सावंत खेडा)- : हरियाणा के चुनावी इतिहास में आजाद प्रत्याशियों का अच्छा-खासा हस्तक्षेप रहा है। वह चुनाव आयोग के लिए (चुनाव खर्च और समय की बर्बादी के लिहाज से) सरदर्द हो सकते हैं लेकिन बड़े-बड़े दिग्गज भी उनसे डरते हैं। यही वजह है कि हर बार सैकड़ों आजाद उम्मीदवार चुनावी दंगल में उतरते हैं। हर बार बड़ी संख्या में निर्दलीय विधानसभा पहुंचते हैं। प्रत्याशियों की जमानत जब्त से आज तक निर्वाचन विभाग को मिली कुल राशि का 70 प्रतिशत हिस्सा आजाद उम्मीदवारों से ही सरकारी कोष में आया है। हर चुनाव में आजाद प्रत्याशियों ने ताल ठोंकी और अपनी अहमियत भी दिखाई। 1967 में हरियाणा के पहले विधानसभा चुनाव से लेकर 2005 के विधानसभा चुनाव तक 7384 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में उतरे, पर 6990 की जमानत जब्त हो गई। प्रदेश के गठन के बाद से अब तक 93 निर्दलीय ही विधानसभा पहुंचे। यह आजाद विधायक विभिन्न अवसरों पर तत्कालीन राज्य सरकारों के लिए कभी सहयोगी बनकर सामने आए तो कभी उन्होंने प्रदेश में राजनीतिक संकट भी पैदा कर दिए हैं। आश्चर्यजनक पहलू यह है कि इन आजाद उम्मीदवारों का मत-प्रतिशत कई राष्ट्रीय पार्टियों से भी कई गुणा अधिक रहा है। 1967 के विधानसभा चुनाव में 260 आजाद उम्मीदवारों ने मोर्चा संभाला पर 196 जमानत गंवा बैठे और 16 उम्मीदवार जीत कर विधानसभा पहुंचे। उस समय इन आजाद उम्मीदवारों ने 32.67 प्रतिशत वोट हासिल कर रिकार्ड कायम किया था। 1968 के चुनाव में 161 निर्दलीयों ने चुनाव लड़ा, 129 की जमानत जब्त हुई और मात्र छह विधायक चुने गए। मत प्रतिशत भी घटकर 17.11 रह गया। 1972 के चुनाव में निर्दलीयों का मत प्रतिशत 23.54 प्रतिशत रहा। 207 ने किस्मत आजमाई, 170 की जमानत जब्त हुई, 11 विधायक चुने गए। 1977 में जनता पार्टी की लहर के कारण आजाद उम्मीदवारों का जलवा कुछ कम हुआ और राज्य में 439 निर्दलीय चुनावी अखाड़े में उतरे और सात विधायक चुने गए। इनका मत प्रतिशत बढ़कर 28.64 हो गया है। हालांकि 390 जमानत गंवा बैठे। 1982 के विधानसभा चुनाव में 835 आजाद प्रत्याशियों ने जनता के बीच दस्तक दी, मगर लोगों ने 796 की जनता ने जमानत जब्त करा दी। 1967 के इतिहास को दोहराते हुए 16 आजाद विधायक चुने गए, मगर उनका मत प्रतिशत कुछ घटकर 27.06 रह गया। 1987 में 1042 आजाद उम्मीदवारों में से 1017 जमानत गंवा बैठे और छह विधायक चुनकर आए। 1991 का चुनाव बेहद रोचक रहा। 1412 निर्दलीयों ने चुनाव लड़ा, लेकिन पांच ही जीत पाएा। 1397 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। इस बार रिकार्ड सबसे कम निर्दलीय विधानसभा पहुंचे। 1996 में सर्वाधिक 2067 आजाद उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा और 10 विधायक बने। वर्ष 2000 में 519 निर्दलीयों में से 483 की जमानत जब्त हुई 11 विधायक बने। वर्ष 2005 के चुनाव में सिर्फ 442 आजाद उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा जिसमें से 411 की जमानत जब्त हो गई और 10 विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे।

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