
केंद्रीय नेतृत्व को थकाने के बाद अंतत: शुक्रवार को भाजपा नेता वसुंधरा राजे ने राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी से मिलकर अपना इस्तीफा सौंपा। कुछ घंटों बाद पार्टी के संसदीय बोर्ड ने उसे स्वीकार भी कर लिया। चुनावों में लगातार हार से पस्त भाजपा की ओर से अनुशासन को लेकर जितनी सख्ती दिखाई जा रही है उतनी ही तारें टूटती भी जा रही हैं। अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी को तीन महीने तक टालने के बाद शुक्रवार को वसुंधरा राजे ने नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा तो दे दिया, लेकिन जमकर अपनी भड़ास भी निकाली। तीन लाइन के इस्तीफे के साथ तीन पेज का शिकायती पत्र संसदीय बोर्ड के सभी सदस्यों को भेजा गया। सूत्र बताते हैं कि पत्र में उन्होंने इस्तीफा लेने के तरीके पर आपत्ति जताते हुए संगठन के कई पहलू पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 1952 से लेकर वर्षो तक उनकी मां विजया राजे सिंधिया के कार्यो की भी पार्टी ने अवहेलना की है। पत्र में पार्टी के कुछ नेताओं की भूमिका और खेमेबाजी पर भी सवाल उठाया गया है। उन्होंने कहा है कि हाल के चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन के लिए कई लोग जिम्मेदार हैं। उन्हें भी इस्तीफा देना चाहिए था। कुल मिलाकर उन्होंने फिर से वही सारे मुद्दे छेड़ दिए हैं जिसपर पार्टी लगाम लगाने की कोशिश करती रही है। शुक्रवार की शाम बोर्ड ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया, लेकिन यह अंत तक साफ नहीं हो पाया कि उन्होंने इस्तीफा किसे दिया। यह संकेत है कि उन्होंने इस्तीफा आडवाणी को ही सौंपा। गौरतलब है कि राजस्थान में हुई पार्टी की हार के बाद से ही उनपर इस्तीफा देने का दबाव था, लेकिन वह लगातार इसे टालती आ रही थीं। परेशान पार्टी ने शुक्रवार को आगे की कार्रवाई के लिए बोर्ड की बैठक बुलाई थी, लेकिन उसे शाम तक के लिए टाल दिया। इस बीच वसुंधरा ने अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफा स्वीकार होने के बाद शाम को वसुंधरा ने अटल बिहारी वाजपेयी से भी मुलाकात की। बाहर पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में उन्होंने खुद को पार्टी की अनुशासित कार्यकर्ता बताया। इधर बोर्ड की बैठक के बाद पार्टी नेता अनंत कुमार ने बताया कि महाराष्ट्र, हरियाणा और अरुणाचल प्रदेश में विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए केंद्र से पर्यवेक्षक भेजे जाएंगे। राज्यसभा में पार्टी के नेता अरुण जेटली और अनंत कुमार महाराष्ट्र जाएंगे। जबकि विजय गोयल और थावर चंद गहलोत हरियाणा के पर्यवेक्षक हैं। विजय चक्रवर्ती अरुणाचल प्रदेश जाएंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें