
कंप्यूटर के युग में भी पंजाब पुलिस का खुफिया विभाग पुराने ढर्रे पर ही काम कर रहा है। खुफिया विभाग आज भी जानकारी जुटाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करता है। इसके लिए बकायदा खुफिया विभाग के मुलाजिमों को बीस रुपये प्रति माह साइकिल एलाउंस भी दिया जाता है। सरकार की ओर से दिया जाने वाला बीस रुपये का साइकिल एलाउंस विभाग की कार्यप्रणाली और खुफिया मुलाजिमों की क्षमता पर कई तरह के सवाल खड़े करता है। इतना ही नहीं खुफिया विभाग के जवानों को 25 रुपये प्रतिमाह किट मेन्टेनेंस और 100 रुपये प्रति माह राशन मनी के नाम पर दिए जाते हैं, जो कमरतोड़ मंहगाई के दौर में मजाक सा है। 24 घंटे ड्यूटी करने वाले विभाग के इन जवानों का स्केल दिन में छह घंटे ड्यूटी करने वाले जेबीटी अथवा बीएड अध्यापक से भी कम है। हालांकि इन जवानों को कई बार वेतन आयोग द्वारा अध्यापकों के वेतनमान के बराबर लाने की भी कोशिश की गई। पंजाब विधानसभा में सबसे पहले खुफिया विभाग के कर्मचारियों के हक में सवाल रिटायर डीएसपी नरोट मेहरा व विधायक विशंभर दास ने उठाया था। मगर अभी तक सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। विधायक दास का कहना है कि आज जिस तरह से आतंकियों व अपराधियों से चुनौती मिल रही है, उसके लिए खुफिया विभाग को मजबूत व कर्मचारियों को उत्साहित करने की जरूरत है। आईजी हेडक्वार्टर पराग जैन भी मानते है कि आज युवा पीढ़ी को इस क्षेत्र में आने के लिए उत्साहित किए जाने की जरूरत है। जल्द ही पंजाब में कम्यूनिटी ओरिएंटेड पुलिस बनाई जा रही है। इसके अलावा जवानों को प्रोफेशनल ट्रेनिंग उनके वेलफेयर और उनको ऊंचा उठाने के लिए विभिन्न प्रोग्राम बनाए गए हैं, जो सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद लागू कर दिए जाएंगे। आईजी जोनल संजीव कालड़ा ने भी माना कि लंबे अरसे से इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया है। पुलिस मुलाजिमों और खुफिया विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों पर जितना काम का बोझ है उस हिसाब से न तो उनके पास सुविधाएं है और न ही उन्हें मेहनत का पूरा फल मिल रहा है। हालांकि उन्होंने विभाग की तरफ से सरकार को कुछ सुझाव दिए थे। इस संबंध में एक वेलफेयर बैठक इस माह के अंत या अगले माह के शुरू में आयोजित की जाएगी। बैठक में कुछ अहम फैसले लिए जाने की संभावना है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार इन सुझावों पर अमल करते हुए कर्मचारियों की दिक्कतों को दूर करने की कोशिश करेगी।
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