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शनिवार, 24 अक्टूबर 2009

विधायकी नहीं रही तो पान की दुकान ही सही


कभी चाय की दुकान उनके परिवार की जीविका का साधन हुआ करती थी और अब पान की दुकान से होने वाली आय पर उनका परिवार निर्भर है। वैसे तो न जाने कितने परिवार चाय और पान की दुकान से होने वाली आय पर पर जीते हैं लेकिन जब बात किसी एक पूर्व विधायक की हो तो चौंकना लाजिमी है। जी हां, लखनऊ में एक ऐसे पूर्व विधायक हैं, जिनका परिवार एक पान की दुकान से होने वाली आय पर चल रहा है। पूर्व विधायक हैं चौधरी तारा चंद्र सोनकर। वह 1985 में लखनऊ जिले की मोहनलालगंज विधानसभा सीट से विधायक हुए थे। हाल के वर्षो में राजनीति में जो बदलाव आया, उसमें विधायक तो बड़ी बात किसी स्थानीय निकाय का एक बार सभासद निर्वाचित हो जाने के बाद उसके परिवार की पूरी जीवन शैली में बदलाव आ जाता है लेकिन तारा चंद्र सोनकर जैसे बिरले ही हैं जो पांच साल विधायक रहने के बाद भी अपने परिवार को जिंदा रखने के लिए चाय या पान की दुकान पर निर्भर रहना पड़ता है। विधायक बनने से पहले भी तारा चंद्र सोनकर लखनऊ के बर्लिंग्टन चौराहे से उदयगंज जाने वाली सड़क पर एक किनारे चाय की छोटी सी दुकान से अपने परिवार को पाला करते थे। तीन बेटों व पांच बेटियों की परवरिश भी उन्होंने चाय बेचकर की। कांग्रेस से उनका पुराना जुड़ाव था। 1985 में मोहनलालगंज से उन्हें चुनाव लड़ने का टिकट मिला और पहली बार में ही उन्होंने जीत दर्ज कर ली। कार्यकाल खत्म होने के बाद उनका जीवन फिर अपने होटल के इर्दगिर्द ही सिमट गया। बेटों के रोजगार की कोई मुकम्मल व्यवस्था न होने और चाय की दुकान में मंदी छाने से उन्होंने पान की दुकान खोल ली। बेटे बिल्लू सोनकर ने पान की दुकान तो जरूर संभाली, लेकिन चौधरी ताराचंद सोनकर भी दुकान पर सुबह दस से शाम पांच बजे तक समय देने लगे। इस दौरान बतौर पूर्व विधायक क्षेत्र के लोग अगर अपनी किसी समस्या को लेकर उनके पास आ जाते हैं तो उसे भी वह सुनते हैं और पूरी कोशिश उसके निदान के लिए करते हैं। छितवापुर के मूल निवासी ताराचंद के पास एक मोटर सायकिल है, जो बेटा चलाता है।

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