
सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद इंदिरा आवास नहीं मिला तो भाकपा माले के नेतृत्व में महादलितों ने खाली जमीन पर ही घर बनाना शुरू कर दिया। बस्ती का नामकरण माले नगर किया गया है। यह अलग बात है कि अभी तक जमीन का बंदोबस्त नहीं हुई है और यह गैरकानूनी है। जिस जगह गांव का निर्माण हो रहा है वह निर्जन स्थान था। यहां लोग कभी माओवादियों से बहुत खौफ खाते थे। अब मेहनत और पसीना यहां रोशनी की तलाश वाले गीतों में ढलकर रात भर गूंजती है। गांव के निर्माण में लगे लोगों की मानें तो पहले इनकी जिंदगी बस किसी तरह बीत रही थी। सरकार ने जब महादलितों के लिए विकास योजनाएं शुरू कीं तो पंचायत मुख्यालय तक इनकी भी दौड़ शुरू हो गई, पर निराशा ही हाथ लगी। जिला अधिकारी के जनता दरबार में भी इनकी नहीं सुनी गई। दौड़ लगा कर थक चुके ग्रामीणों ने तक स्वयं ही मेहनत करने की ठानी। भाकपा माले की स्थानीय कमेटी ने उन्हें भरोसा दिलाया और हिम्मत दी। मकान बनाने के लिए जमीन की खोज शुरू हुई तब कुछ दूरी पर उन्हें ऊसर जमीन मिल गयी। महादलित यहां आ पहुंचे और घरों का निर्माण शुरू कर दिया। महादलित सौ घरों के गांव का निर्माण कर रहे हैं। पहले महादलित खजूर के पत्ते से बनी झोपडि़यों में रहते थे। बरसात होने पर इनकी परेशानी बढ़ जाती थी। इनके पास एक गज भी जमीन नहीं है। बड़ी आबादी निरक्षरता का दंश झेल रही है। पीने के पानी के लिए इन्हें कोसों दूर जाना पड़ता है। हालांकि जहां गांव का निर्माण शुरू किया जा रहा है वहां पहुंचने के लिए सड़क तो है परंतु अन्य सुविधाएं नदारद। स्थानीय मुखिया पति टीपी सिंह कहते हैं कि महादलितों का इंदिरा आवास बीपीएल सूची के आधार पर बनवाया जा रहा है। जब इन महादलितों का नंबर आएगा तो इनका भी आवास बनेगा। बीडीओ सह सीओ विवेक कुमार ने बताया कि बिना बंदोबस्ती किए हुए जमीन पर घर का निर्माण अवैध है। उन्हें महादलितों द्वारा घर का निर्माण करने की जानकारी ही नहीं है।
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