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बुधवार, 28 अक्टूबर 2009

माओवादियों के कब्ज़े से निकली ट्रेन

ट्रेन के ड्राईवर को रिहा करा लिया गया है
दिल्ली से भुवनेश्वर जा रही राजधानी एक्सप्रेस के अग़वा ड्राइवर को माओवादियों के चंगुल से रिहा करा लिया गया है और अब ट्रेन पूरी सुरक्षा में दिल्ली के लिए रवाना हो गई है.

ग़ौरतलब है कि मंगलवार की दोपहर माओवादियों ने पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम में राजधानी एक्सप्रेस के ड्राइवर को अग़वा कर ट्रेन को अपने क़ब्ज़े में लिया था. इसमें 300 से ज़्यादा यात्री इसमें फंसे हुए थे.

केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने बताया, '' 'ट्रेन बिल्कुल सुरक्षित है. सारे यात्री सुरक्षित हैं. सीआरपीएफ और राज्य पुलिस मौके पर है और पूरा इलाक़ा सुरक्षा बलों के नियंत्रण में है.''

सरकार को राजधानी एक्सप्रेस से माओवादियों का क़ब्ज़ा हटाने के लिए सुरक्षाबलों से भरी एक दूसरी ट्रेन वहाँ भेजनी पड़ी.

गोलीबारी

पुलिस अधिकारी कुलदीप सिंह ने बीबीसी को बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही बड़ी तादाद में पुलिस बल को रवाना किया गया है पर इन पुलिसबलों को माओवादियों की ओर से गोलीबारी का सामना भी करना पड़ा.

हालांकि माओवादी नेता किशन जी ने इस अपहरण की ज़िम्मेदारी लेने से इनकार किया है लेकिन माओवादियों के सहयोगी माने जाने वाले एक संगठन ने इसकी ज़िम्मेदारी ली है.

इस संगठन के असित महतो ने कहा कि जब माओवादियों की ओर से बंद का आहवान किया गया है तो फिर ट्रेनों के चलने का क्या मतलब है. अगर ट्रेनें चलेंगी तो उन्हें किसी भी तरह से रोका जाएगा.

उन्होंने यह भी कहा कि हज़ारों की तादाद में लोगों ने ईंट-पत्थर फेंककर रेलगाड़ियों को रोका है. हालांकि राजधानी के मसले में रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि किसी ने शार्ट सर्किट करके सिग्नल बदल दिया और ड्राइवर को गाड़ी रोकनी पड़ी.

रिपोर्टों के अनुसार ट्रेन जिस वक़्त झाड़ग्राम स्टेशन के पास पहुँच रही थी और घने जंगलों वाले इलाके से गुज़र रही थी उसी वक़्त अचानक रेल सिग्नल लाल हो गया. ड्राइवर ने गाड़ी को रोका.

गाड़ी रुकते ही कुछ हथियारबंद लोगों ने ट्रेन के इंजन को घेर लिया. कपड़ों से मुंह ढके ये लोग इंजन पर चढ़ गए और इंजन से इन लोगों ने चालक आनंद राव को अगवा कर लिया.

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