
बड़े नेता हैं तो उधारी भी मिल जाती है। तभी तो वे कर्ज लेकर उड़नखटोले से देश भर में घूमते रहते हैं। यह कहानी लालू प्रसाद की पार्टी राजद की है। उनकी पार्टी पर एयरलाइंस कंपनियों की उधारी भी लाख-दो लाख नहीं बल्कि 2.6 करोड़ रुपये की है। अगर पार्टी को तुरंत उन कंपनियों की ही रकम चुकानी हो तो उसकी जमीन-जायदाद सब बिक जाए। सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून का इस्तेमाल करते हुए दैनिक जागरण ने राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों के चंदे की पूरी पड़ताल की तो यह खुलासा हुआ। देनदारी तो सभी पार्टियों पर होती है, लेकिन उसके मुकाबले अगर कुल संपत्ति और आमदनी का अनुपात ठीक न हो तो कोई भी पार्टी संकट में पड़ सकती है। वैसे कांग्रेस इस मामले में सुविधाजनक स्थिति में है। कांग्रेस पर 2007-08 में 13.39 करोड़ रुपये की देनदारियां थीं, मगर पार्टी के खातों में 56 करोड़ रुपये का लाभ दिख रहा है। इसी तरह माकपा पर देनदारी 41 करोड़ रुपये की है, लेकिन इस पार्टी की बैलेंस शीट में 60 करोड़ रुपये का अधिशेष दिख रहा है। मायावती की पार्टी बसपा इस मामले में भी निराली है। इसने किसी देनदारी का जिक्र तो किया ही नहीं, उल्टे कुछ पर अपनी लेनदारी जरूर बताई है। पार्टी का कहना है कि इसके सीबीआई के पास पांच लाख और रमेश चंद्र सिंह खूंटिया के पास 25 लाख रुपये जमा हैं। हालांकि पार्टी ने अपने ब्योरे में यह नहीं बताया है कि यह रकम किस मकसद से जमा करनी पड़ी है। लालू की पार्टी यानी राजद पर 2.6 करोड़ रुपये की उधारी एयरलाइन कंपनियों की है। 2007-08 के जिस साल की यह उधारी है उस साल पार्टी को चंदे और सदस्यता शुल्क से मिली कुल रकम 1.89 करोड़ रुपये रही है। लालू अपनी पार्टी की उधारी चुकाने में यकीन नहीं रखते। इस दौरान पार्टी के बैंक खातों में 1.36 करोड़ जमा थे, लेकिन उधारी बढ़ते-बढ़ते दो करोड़ के पार चली गई। दिलचस्प है कि खर्च के लिए राजद ने 2007-08 में 46 लाख की एफडी भी तुड़वा ली। राजद की ओर से दिए गए आय-व्यय के ब्योरे से यह तथ्य सामने आया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें