IMPORTANT-------ATTENTION -- PLEASE

-----------------------------------"यंग फ्लेम" परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। "यंग फ्लेम" परिवार आपका अपना परिवार है इसमें आप अपनी गजलें, कविताएं, लेख, समाचार नि:शुल्क प्रकाशित करवा सकते है तथा विज्ञापन का प्रचार कम से कम शुल्क में संपूर्ण विश्व में करवा सकते है। हर प्रकार के लेख, गजलें, कविताएं, समाचार, विज्ञापन प्रकाशित करवाने हेतु आप 093154-82080 पर संपर्क करे सकते है।-----------------------------------------------------------------------------------------IF YOU WANT TO SHOW ANY KIND OF VIDEO/ADVT PROMOTION ON THIS WEBSITE THEN CONTACT US SOON.09315482080------

Young Flame Headline Animator

शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2009

गर्म धरती पर गर्म बहस




धरती को मिलनेवाली कुल ऊर्जा में से 98 प्रतिशत का स्रोत सूर्य है

ग्लोबल वॉर्मिंग का शोर कुछ ऐसा है कि लगता है साल-दर-साल गर्मी बढ़ती जा रही है.

मगर तथ्य कुछ और है – हाल के समय में सबसे गर्म साल 1998 था और पिछले 11 साल में धरती के तापमान में कोई वृद्धि नहीं हुई है.

ऐसा होनेवाला है इसकी भविष्यवाणी भी नहीं हुई थी और ना ही ऐसा हुआ कि धरती को गर्म करनेवाली कार्बन डाइऑक्साइड गैसों का उत्सर्जन कम हो गया हो.

इसी सबके बीच एक सवाल उठ खड़ा हुआ है – कि हो क्या रहा है, धरती का तापमान बढ़ भी रहा है कि नहीं?

जलवायु परिवर्तन के लिए मानवीय गतिविधियों को ज़िम्मेदार बतानेवाली मान्यता पर संदेह करनेवाला पक्ष कहता है कि वे तो ऐसा पहले से ही कह रहे थे.

उनकी दलील है कि धरती के गर्म-ठंडे होने का एक चक्र बना हुआ है जो प्रकृति पर निर्भर करता है और मानवों का इसपर कोई नियंत्रण नहीं है.

लेकिन दूसरी तरफ़ दूसरा पक्ष उनके इस दावे पर सवाल उठाता है और वह सूर्य को धरती के तापमान की वृद्धि से जोड़ने की बात को सही नहीं मानता.

दोनों पक्ष आनेवाले वर्षों के बारे में बिल्कुल उल्टे दावे कर रहे हैं – एक कहता है कि धरती और गर्म होगी – दूसरा कहता है कि धरती ठंडी होगी.

संदेह
ग्लोबल वॉर्मिंग की प्रचलित मान्यता पर संदेह करनेवाला पक्ष कहता है कि 20वीं शताब्दी के आख़िरी कुछ दशकों में धरती का तापमान बढ़ा अवश्य है लेकिन ये हुआ है सूर्य के कारण जो धरती तक पहुँचनेवाली समस्त ऊर्जा की 98 प्रतिशत ऊर्जा का स्रोत है.

प्रशांत महासागर में गर्मी के चक्र के बाद अब ठंड का चक्र आ गया है, और ऐसे में कहा जा सकता है कि आनेवाले 30 वर्ष ठंडे वर्ष रहेंगे.

प्रोफ़ेसर डॉन ईस्टरबुक, वेस्टर्न वाशिंगटन विश्वविद्यालय

लेकिन दो वर्ष पहले ब्रिटेन की रॉयल सोसायटी ने एक शोध कर धरती के तापमान को सूर्य से जोड़ने के इस दावे को रद्द कर दिया.

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की अंतर्सरकारी समिति के लिए योगदान देनेवाले लीड्स विश्वविद्यालय के पियर्स फ़ोर्स्टर कहते हैं,"पिछले 20 से 40 वर्षों में धरती के तापमान में जो वृद्धि हुई है उसके लिए सूर्य को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता."

लेकिन मौसम की दीर्घकालीन भविष्यवाणियाँ करनेवाली ब्रिटेन स्थित एक संस्था वेदरऐक्शन से जुड़े सौर वैज्ञानिक पियर्स कॉर्बिन का दावा है कि सौर कण धरती पर जितना समझा जाता है उससे कहीं अधिक असर डालते हैं.

उनका तो दावा है कि सूर्य धरती के तापमान की वृद्धि के लिए लगभग पूरा-का-पूरा ज़िम्मेदार सूर्य ही है.

वे अपनी इस खोज को लेकर इतने उत्साहित हैं कि वे इस महीने के अंत में लंदन में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के सामने एक बड़ा एलान करने जा रहे हैं और यदि उनके दावे की पुष्टि होती है तो फिर ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर सारी समझ और बहस की दिशा बदल सकती है.

चक्र
पिछले 20 से 40 वर्षों में धरती के तापमान में जो वृद्धि हुई है उसके लिए सूर्य को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.

पियर्स फ़ोर्स्टर, लीड्स विश्ववविद्यालय

धरती के तापमान को लेकर एक बहस समुद्र से भी जुड़ती है.

पिछले वर्ष नवंबर में वेस्टर्न वाशिंगटन विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉन ईस्टरबुक ने एक शोध किया था जो कहता है कि धरती और सागर के तापमानों का संबंध एक-दूसरे से जुड़ा है.

उनका शोध कहता है कि सागरों के ठंडे-गर्म होने का एक चक्र होता है जो आमतौर पर 30-30 वर्षों का चक्र होता है.

1945 से 1977 तक धरती का तापमान बहुत ठंडा था और तब ग्लोबल कूलिंग को एक बड़ी चुनौती बताया जा रहा था. इस दौरान प्रशांत महासागर की सतह का तापमान भी ठंडा था

फिर 80 और 90 के दशक में प्रशांत महासागर की सतह का तापमान औसत से अधिक था और इस समयावधि में धरती का तापमान भी बढ़ा हुआ था.

मगर पिछले कुछ वर्षों में प्रशांत का तापमान कम हुआ है और अब तो वो ठंडा भी हो रहा है.



वैज्ञानिकों के अनुसार प्रशांत महासागर के पानी के ठंडे-गर्म होने का एक चक्र चलता है
प्रोफ़ेसर ईस्टरब्रुक कहते हैं,"प्रशांत महासागर में गर्मी के चक्र के बाद अब ठंड का चक्र आ गया है, और ऐसे में कहा जा सकता है कि आनेवाले 30 वर्ष ठंडे वर्ष रहेंगे."

जलवायु परिवर्तन को मानवीय क्रियाकलापों से जोड़े जाने पर संदेह करनेवाला पक्ष कहता है कि सागरों के साथ धरती के तापमान का ये संबंध इस बात का प्रमाण है कि उनका दावा सही है.

वे कहते हैं कि इसके अलावा भी कई और प्राकृतिक कारण हैं धरती के तापमान के बढ़ने और घटने के पीछे और यदि मानवीय गतिविधियों से कुछ होता भी होगा तो उसका प्रभाव प्रकृति के प्रभाव के सामने बहुत छोटा होता होगा.

प्रतिदावा
दूसरी तरफ़ मानवीय क्रियाकलापों को ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए ज़िम्मेदार ठहरानेवाला पक्ष दावा करता है कि उनकी सोच बिल्कुल ठोस है.

ब्रिटेन के मौसम विभाग का कहना है कि वे अपनी भविष्यवाणियाँ करते समय सूर्य और समुद्र के प्रभाव का ध्यान रखते हैं और इसमें नया कुछ भी नहीं है.

उनका कहना है कि इसके अलावा ये भी है कि ऐसा कभी भी नहीं हुआ है कि तापमान किसी निश्चित दर से बढ़ता या घटता हो, कई बार अस्थायी तौर पर गर्मी बढ़ती है तो कई बार अस्थायी तौर पर ठंड.

ब्रितानी मौसम वैज्ञानिकों का दावा है कि 2010 से 2015 के बीच कम से कम आधे साल 1998 के साल की तुलना में अधिक गर्म रहेंगे.

लेकिन दूसरा पक्ष इससे सहमत नहीं है और उसका दावा है कि कम-से-कम 2030 तक तो ऐसी कोई सूरत नहीं आनेवाली है जब तापमान 1998 के जितना होगा.

कुल मिलाकर धरती के गर्म और ठंडे होने को लेकर बहस में कुछ भी निश्चित नहीं लगता.

निश्चित केवल एक चीज़ लगती है – कि ये बहस गर्म है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

SHARE ME

IMPORTANT -------- ATTENTION ---- PLEASE

-----------------------------------"यंग फ्लेम" परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। "यंग फ्लेम" परिवार आपका अपना परिवार है इसमें आप अपनी गजलें, कविताएं, लेख, समाचार नि:शुल्क प्रकाशित करवा सकते है तथा विज्ञापन का प्रचार कम से कम शुल्क में संपूर्ण विश्व में करवा सकते है। हर प्रकार के लेख, गजलें, कविताएं, समाचार, विज्ञापन प्रकाशित करवाने हेतु आप 093154-82080 पर संपर्क करे सकते है।-----------------------------------------------------------------------------------------IF YOU WANT TO SHOW ANY KIND OF VIDEO/ADVT PROMOTION ON THIS WEBSITE THEN CONTACT US SOON.09315482080------

SITE---TRACKER


web site statistics

ब्लॉग आर्काइव

  © template Web by thepressreporter.com 2009

Back to TOP