जिस दिन पूरा देश सचिन की 20 वर्षीय उपलब्धियों पर उनकी शान में कसीदे काढ़ रहा था, उसी दिन शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे उनके एक देशभक्तिपूर्ण बयान पर उन्हें एक धिक्कार भरा पत्र लिखने में व्यस्त थे। ठाकरे और सचिन, दोनों ही मराठी मानुष हैं। पर एक के सीमित सोच के चलते मराठी मानुष महाराष्ट्र में भी सिमटते जा रहे हैं, तो दूसरे की खूबियों के चलते उनकी बढ़ी प्रतिष्ठा के लिए दुनिया की सीमाएं भी छोटी पड़ती जा रही हैं। शिवसेना प्रमुख ठाकरे और क्रिकेट के बादशाह तेंदुलकर मंुबई के बांद्रा क्षेत्र के निवासी हैं।
बांद्रा के कलानगर क्षेत्र में बाल ठाकरे और सचिन के पिता रमेश तेंदुलकर को सरकारी प्लाटों का आवंटन हुआ था, क्योंकि ठाकरे कार्टूनिस्ट थे, तो रमेश तेंदुलकर उपन्यासकार। थोड़ा पीछे जाएं तो ठाकरे के पिता प्रबोधनकार ठाकरे का भी साहित्य से गहरा जुड़ाव रहा है। बांद्रा से निकल कर ठाकरे और सचिन दोनों ने ही दादर के शिवाजी पार्क से अपने करियर की शुरुआत की।ठाकरे ने करीब 42 साल पहले शिवाजी पार्क में दशहरे के दिन विशाल रैली करने की परंपरा डाली। इन्हीं रैलियों में अपनी तेजतर्रार शैली में भाषण देकर वह मुंबई महानगरपालिका से लेकर मंत्रालय तक की सत्ता पर काबिज होने में सफल रहे। इसी शिवाजी पार्क में सचिन तेंदुलकर भी रमाकांत आचरेकर सर की छत्रछाया में क्रिकेट के गुर सीखते हुए आगे बढ़े। इतनी समानताओं के बावजूद दोनों के सोच में कहीं से समानता नहीं दिखती। ठाकरे के सीमित सोच का ही परिणाम है कि गत विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी वह माहिम विधानसभा क्षेत्र भी गंवा बैठी, जिसमें शिवसेना प्रमुख के रणनीति का केंद्र रहा सेना भवन खड़ा है। मराठी बहुल दादर क्षेत्र भी इसी माहिम विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यह सीट इस बार ठाकरे परिवार से ही निकले राज ठाकरे की पार्टी ने जीती है। वास्तव में यह हार ठाकरे के हाथ से फिसलते मराठी वोट बैंक का प्रतीक मानी जा सकती है, जिसे रिझाने-फुसलाने के लिए बाल ठाकरे अब उस मराठी मानुष पर भी प्रहार करने से नहीं चूक रहे हैं, जो देश के साथ-साथ मुंबई का नाम भी सारी दुनिया में रोशन करता आ रहा है।

सचिन को लिखे ठाकरे के धिक्कारपूर्ण पत्र से आम मराठी मानुष भी सन्न है। ठाकरे के पत्र ने यह प्रश्न भी खड़ा कर दिया है कि यदि लता मंगेशकर, सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर जैसी हस्तियां सिर्फ अपनी मातृभाषा के दायरे में रह कर अपने क्षेत्र में काम करते तो क्या वे सारी दुनिया की वाहवाही लूट पाते? ठाकरे की बात को सचिन की आलोचना के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने एक अभिभावक की तरह सलाह मात्र दी है। संजय राउत, शिवसेना नेता सचिन भले ही मराठी हों, लेकिन पूरे देश के लिए खेलते हैं। सचिन का बयान जहां पूरे देश को एक सूत्र में पिरोता है, वहीं ठाकरे इस मामले में गंदी राजनीति को हवा दे रहे हैं। अशोक चह्वाण, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री सचिन ने बाल ठाकरे को क्लीन बोल्ड कर दिया है। इस बात को लेकर वह अपनी झुंझलाहट दिखा सकते हैं, लेकिन यह सच्चाई है कि ठाकरे की पारी अब समाप्त हो चुकी है। सलमान खुर्शीद कांग्रेस नेता सचिन का बयान भारतीय सोच और परंपरा को दर्शाता है, जबकि ठाकरे का बयान देश की एकता व अखंडता पर हमला है। सचिन अच्छे खिलाड़ी ही नहीं, अच्छे नागरिक भी हैं। नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री सचिन राष्ट्रीय हीरो हैं। बाल ठाकरे कौन होते हैं उन पर टिप्पणी करने वाले। ऐसी बेकार की टिप्पणी करना ठाकरे की आदतों में शुमार है। लालू प्रसाद यादव, राजद अध्यक्ष
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