
कटिहार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब बच्चे दूध की जगह ताड़ी पी रहे हैं। उनके अभिभावकों का मानना है कि ताड़ी पीने के बाद नशे की अवस्था में मजदूरी करने में उन्हें दिक्कत नहीं होती है। ताड़ी इन मासूमों के लिए पेट की ज्वाला शांत करने का जरिया बन गई है। लगता है इनके लिए तमाम सरकारी योजनाएं भी बेकार साबित हो रही हंै।
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