डबवाली- स्थानीय बाल मन्दिर सीनियर सैकेंडरी स्कूल के प्रांगण में आर्ट ऑफ लिविंग के तत्वाधान में चल रहा 6 दिवसीय शिविर आज सम्पन्न हुआ। जिसमें मैडम सविता शर्मा ने बताया कि हमें हर व्यक्ति हर परिस्थिति जैसे है उन्हें वैसे ही स्वीकार करना चाहिए। जब हम उसे नहीं स्वीकार करते तो हम दु:खी हो जाते हैं। जैसे हम कार में जा रहे हैं जल्दी पहुंचना है और जाते - जाते कार पंक्चर हो जाती है तो हम परेशान हो जाते हैं। अब जो हो गया उसे स्वीकार करें तो हम कुछ ओर सोच सकते हैं। नहीं तो हमें गुस्सा आता रहेगा। इसी तरह उन्होंने बताया कि हमें हर किसी में जो भी गुण है। उसकी तारीफ करनी चाहिए। जबकि हम उल्टा करते हैं। हम उसमें जो कमी है उसके बारे में बात करते हैं। जब हम किसी के गुणों की तारीफ करते हैं तो वो गुण हमारे में आने लगते हैं। जबकि हम बुराई करते हैं तो हम भारी होने लगते हैं। जब हम किसी की तारीफ करते हैं तो वो तारीफ उस भगवान की होती है। जिसने उसे बनाया है। जैसे हम किसी पेंटिंग की तारीफ करते हैं तो वो तारीफ पेंटिंग की नहीं होती बल्कि पेंटर की होती है। जिसने उसे बनाया है। हमें किसी की तारीफ दिल से करनी चाहिए और बुराई दिमाग से करनी चाहिए। क्योंकि हम जब भी दिल से करते हैं तो दिल खोलकर करते हैं। क्योंकि जब बुराई दिमाग से करेंगे तो सोचकर करेंगे कि करें या न करें। लेकिन हम उल्टा करते हैं तारीफ दिमाग से सोच - सोच कर करते हैं बुराई दिल खोलकर करते हैं। डॉ. प्रेम छाबड़ा ने नरेश शर्मा, हरदेव गोरखी, इन्द्रजीत, युधिष्टर, योगेश, नरेश गुप्ता, भूपिन्द्र सूर्या, प्रवीण, निरंजन, रविन्द्र मोंगा, कौर सिंह, मनीष बांसल, संजय बांसल, संजीव कालड़ा, आशा रानी, सीमा वर्मा, ममता, सरिता, सुरिन्द्र निर्दोष, किरण शर्मा सहित आए हुए सभी का धन्यवाद किया। सभी लोगों ने मिलकर स्कूल में सफाई कर्मचारी भगवान दास की बहन की शादी के लिए 5500 रूपयों व कुछ सामान का योगदान दिया।
डॉ. प्रेम छाबड़ा ने बाल मन्दिर स्कूल की प्रबन्धक कमेटी व खास तौर पर अरूण जिन्दल का धन्यवाद दिया। जिनके सहयोग से ये कैम्प कामयाब हुआ। क्योंकि उन्होंने स्कूल में कैम्प लगाने का स्थान दिया।
उन्होंने ईस्टवुड स्कूल के संजम, मैडम पुष्पिन्द्र व बीना राय का भी धन्यवाद किया। जिनकी बदौलत आर्ट ऑफ लिविंग की शुरूआत हुई। स्कूल में चपड़ासी के पद पर कार्यरत चौरसिया का भी आभार जताया।
डॉ. प्रेम छाबड़ा ने बाल मन्दिर स्कूल की प्रबन्धक कमेटी व खास तौर पर अरूण जिन्दल का धन्यवाद दिया। जिनके सहयोग से ये कैम्प कामयाब हुआ। क्योंकि उन्होंने स्कूल में कैम्प लगाने का स्थान दिया।
उन्होंने ईस्टवुड स्कूल के संजम, मैडम पुष्पिन्द्र व बीना राय का भी धन्यवाद किया। जिनकी बदौलत आर्ट ऑफ लिविंग की शुरूआत हुई। स्कूल में चपड़ासी के पद पर कार्यरत चौरसिया का भी आभार जताया।
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