आनंद त्रिपाठी,सिरसा-सेंट्रल सीनियर सेकेंण्डरी स्कूल द्वारा किए गए फर्जीवाड़ें के संबंध में किसे जिम्मेदार ठहराया जाए? निदेशालय को,बोर्ड को,जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को अथवा स्कूल को,जब सब के सब एक के बाद एक गुत्थगुत्थ नजर आ रहे है। विभाग के अधिकारियों अथवा शिक्षा विभाग की नियामक संस्था द्वारा वर्षो से चल रहे इस फर्जीवाड़े को नजरअंदाज किया जाना काफी सवाल छोड़ता है। इस संबंध में सबसे बड़ा सवाल निदेशालय पर ही खड़ा हो जाता है कि बार-बार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा स्मरण दिलाए जाने के बावजूद निदेशालय ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसी क्रम में शिक्षा निदेशालय के बाद बोर्ड भी कटघरे में खड़ा नजर आ रहा है। जिसने विद्यालय द्वारा भेजे गए मान्यता पत्र को अपने पत्र से मिलाए बगैर ही परीक्षा फर्म को स्वीकार कर विगत 9 वर्षों में हजारों बच्चों को परीक्षा दिला दी। बोर्ड द्वारा इस तरह की ढिलाइ बोर्ड की कार्यशैली पर काफी बड़ा सवाल खड़ा करती है। इतना ही नहीं हरियाणा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड,भिवानी की भूमिका भी संदेह के घेरे है। शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार जब किसी भी विद्यालय को मान्यता दी जाती है तब उसकी चार प्रतिलिपि बनाई जाती है। जिसमें से एक निदेशालय में रखी जाती है बाकी एक-एक विद्यालय,जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय तथा हरियाणा शिक्षा बोर्ड भिवानी को भेज दी जाती है। निश्चय ही किसी दशा में बदलाव किए जाने पर चारों में बदलाव होना चाहिए लेकिन इस मामले में विद्यालय और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की प्रतिलिपि में बदलाव है जबकि निदेशालय और बोर्ड की प्रतिलिपि उक्त से इतर है। बोर्ड की भूमिका की बात करें,तो यह है कि मान्यता प्राप्त करने के बाद जब विद्यालय द्वारा परीक्षा फार्मो को काउटर साईन कराकर बोर्ड के पास भेजा जाता है। तब विद्यालय द्वारा प्राप्त किया गया पत्र भी फार्मो के संलगन् किया जाता है,जिसकी पुष्टि जिला शिक्षा विभाग भी करता है। बोर्ड को निदेशालय द्वारा भेजे गए मान्यता पत्र से मिलान करने तथा जाच करने का विषय होता है लेकिन इस विद्यालय के संबंध में नीतियों को सर्वथा अभाव पाया गया और बगैर मिलान किए ही परीक्षा फार्म स्वीकार कर बच्चों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी। उसके बाद चला वर्षों तक का गोरखधधा सभी के सामने में है। स्कूल द्वारा 9 साल तक किए गए इस फर्जीवाड़े में सभी तार एक-दुसरे से जुड़े नजर आ रहे है। निदेशालय जहा मामले में चुप्पी साधे बैठा रहा वहीं जिला शिक्षा कार्यालय उपलब्ध पत्र के आधार पर काउटर साईन करने की बात कहता रहा। बोर्ड ने इस संबंध में कोई संज्ञान ही नहीं लिया और न ही कभी जाचा की जो पत्र उसके पास उपलब्ध है वह विद्यालय द्वारा भेजे गए पत्र से मेल भी खाता है अथवा नहीं। हरियाणा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड,भिवानी के नवनियुक्त शेखर विद्यार्थी का कहना है कि इस संबंध में अभी तक फिलहाल कोई जानकारी नहीं है लेकिन अगर ऐसा मामला है तो इसे संज्ञान में लेकर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में जिम्मेदार किसी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। बिना काउटर साईन के फार्म हुए जमा उप जिला शिक्षा अधिकारी दर्शना ने बताया कि उक्त विद्यालय को 2001 से अस्थाई मान्यता मिली है और विगत के वर्षो में कार्यालय द्वारा काउटर साईन भी किया जाता रहा है लेकिन न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले को ध्यान में रखते हुए इस बार विद्यालय के किसी भी फार्म पर काउटर साईन नहीं किया गया है। उधर भिवानी बोर्ड के सूत्र की माने तो उक्त विद्यालय ने बिना काउंटर साईन के ही फार्म जमा करा दिए है अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बिना काउटर साईन को बोर्ड भेजे गए सैकड़ों विद्यार्थियों के फार्म का बोर्ड क्या करता है। हालाकि बोर्ड के एक लिपिक की माने तो ऐसे मामले में बोर्ड द्वारा फार्म स्वीकार नहीं किए जाने चाहिए।
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सोमवार, 14 जून 2010
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