आनंद त्रिपाठी,सिरसा-हरियाणा में जहा एक ओर प्रदेश सरकार खेलों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर अब तक राज्य में शारीरिक शिक्षा प्राध्यापकों (लेक्चरार) के पदो को ही सृजित नहीं किया गया है। प्रदेश के लगभग 2 हजार से अधिक वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में प्राध्यापकों के स्थान पर डीपीई से काम चलाया जा रहा है। शिक्षा विभाग की माने तो समूचे प्रदेश भर में लगभग 16 डाइटों पर ही यह पद सृजित कर नियुक्ति की गई है। एक तरफ तो सरकार स्पोटर्स टैलेंट हंट के नाम पर ग्रामीण अंचल के खिलाड़ियों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं देने की बात कर रही है वहीं विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा के प्राध्यपक पदों का सृजन न किया जाना सरकार की खेल के प्रति प्रतिबद्धता के पहलू पर सवालिया चिंह लगता है। बाहर के खिलाड़ियों को अपने प्रदेश से खेलने पर सारी सुविधाएं देने का दंभ भरने वाली सरकार का खेल के प्रतिबद्धता को लेकर यह स्याह पहलू है। स्पोटर्स टैलेंट हट के माध्यम से समूचे प्रदेश के ग्रामीण अंचल के प्रतिभावान खिलाड़ियों को खोजने का काम किया जा रहा है। वहीं शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापक न होने से ग्रामीण अंचल के विद्यालयों में पढ़ रहे प्रतिभावान खिलाड़ियों को निखारने का काम सही से नहीं हो पा रहा है। कहा जाता है कि कोई भी इमारत नीवं की मजबूती पर स्थिर होती है लेकिन यहा तो नीवं निर्माणकर्ता ही नहीं है तो इमारत की बुलंदगी की बात करना बेमानी सी लगती है। यही बात प्रदेश के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के खिलाड़ियो पर लागू हो रही है। सरकार प्रवक्ता पदों को सृजित करने की बजाय कक्षा दस तक की कक्षाओं को शिक्षित करने की योग्यता रखने वाले डीपीई द्वारा समूचे प्रदेश में काम चला रही है। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी आशा किरण ग्रोवर से पूछा गया तो उन्होंने स्वीकार करते हुए बताया कि डीपीई ही हर जगह कक्षाएं ले रही है। फिलहाल अभी तक किसी पद का सृजन नहीं किया गया है।
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सोमवार, 14 जून 2010
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