डबवाली (यंग फ्लेम )जिले में लूट पर लूट, हत्या पर हत्याएं हो रही हैं। हर तरफ हो रहे अपराधों ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर शांत समझे जाने वाले सिरसा जिले को किसकी नजर लग गई है। इससे भी बड़ी व हैरान करने वाली बात तो यह है कि हत्या व लूट की वारदातों को अंजाम देने वालों के चेहरों से पुलिस नकाब हटाने में कामयाब नहीं हो रही है। डबवाली में एक सप्ताह पूर्व एचडीएफसी बैंक के नजदीक 70 हजार की दिन-दिहाडे लूट, डबवाली के नजदीकी गांव पीपली में भी सौदागर सिंह की पत्नी व तीन बेटों की हत्या कर दी गई थी। हत्या की ये ऐसी घटनाएं हैं जिनके बारे में पुलिस को यह भी पता नहीं चल पाया है कि हत्याएं किसने की। ऐलनाबाद में 5 मई को दादी-पोती की हत्या कर दी गई। रानियां के गांव संगतपुरा में 23 मई की रात कृष्णा पत्नी प्रकाश की गोली मारकर हत्या कर दी। इससे पहले 19 दिसंबर को शहर की अग्रसेन कॉलोनी क्षेत्र व कंगनपुर रोड पर दो अलग-अलग हिस्सों में महिला का शव मिला था। इसी प्रकार जिले में लूट की भी एक दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं लेकिन पुलिस एक भी केस को हल नहीं कर पाई है। बीच-बीच में चोरी व चेन झपटने की घटनाएं भी होती रहती हैं। प्रदेश में सिरसा जिले की गिनती सबसे शांत जिले के रूप में होती है मगर पिछले कुछ माह में हुई आपराधिक घटनाओं ने लोगों को झकझोर दिया है। हर कोई अपने आप को न सिर्फ रात को बल्कि दिन में भी महफूज नहीं समझता। घर से निकलने से पहले महिलाएं दो बार सोचती है कि रास्ते में पता नहीं कब कोई लुटेरा या चेन झपटने वाला मिल जाए। बढ़ती आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन मुस्तैद होने की बात कह रहा है मगर बार-बार हो रही वारदातों के कारण यह बात लोगों के गले नहीं उतर रही है। लोगों के जेहन में एक ही सवाल उठ रहा है कि आखिर अपराध करने के बाद अपराधी कहां चले जाते हैं। क्या पुलिस को कोई सुराग नहीं मिलता, इसके जरिए अपराधियों तक पहुंचा जा सके। अब लोगों में विश्वास बहाली व अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को और अधिक सजगता से काम करना होगा। यदि समय रहते लोगों की सुरक्षा पुख्ता नहीं की गई तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि लोग सड़कों पर नहीं उतरेंगे।
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बुधवार, 1 जून 2011
कप्तान साहब, कुछ करो क्यूं सोया है प्रशासन?
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