
निर्वाचन आयोग की लाख कोशिशों के बावजूद कुछ सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रचार करने से बाज नहीं आ रहे हैं। कर्मचारी राजनीतिक मंचों पर खुलेआम भाषणबाजी करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। मगर आयोग की चेतावनी का उनकी सेहत पर कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। प्रदेश भर के पांच लाख कर्मचारियों में से 1 लाख 40 हजार कर्मचारियों की चुनावी डयूटी लगी है। सैकड़ों कर्मचारी बीमारी का बहाना बनाकर लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। इन्हीं में से अनेक नेताओं की जी-हजूरी में जुटे हंै। भले ही चुनाव आयोग अधिकारी ऐसे कर्मचारियों की सूची बनाने में लगा हुआ है। जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा ऐसे चार दर्जन कर्मचारियों की सूची बनाई जा चुकी है। इन पर शीघ्र ही आयोग के सख्त रवैये की गाज गिरने वाली है। कर्मचारी चुनावी डयूटी से बचकर अपनी बीमारी का बहाना बना कर विभाग के हाथों में मेडिकल थमा कर चुनावी डयूटियों से नाम कटवा रहे हैं। अकेले भिवानी जिले में ऐसी 400 से अधिक ऐप्लीकेशन लंबित हैं। अनेक कर्मचारी छुट्टी लेने में कामयाब भी रहे हैं। अब तंग आकर आयोग ने अपना रवैया और सख्त कर लिया है। जो भी कर्मचारी आदेशों की पालना न करता पाया गया तो आयोग द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ-साथ एफआईआर दर्ज करवाने का मन भी बना लिया है। हरियाणा प्रदेश चुनाव आयोग इस बार भी चुनाव प्रचार में जुटे सरकारी कर्मचारियों पर सख्त कार्यवाही के मूड में है। आयोग द्वारा प्रदेश में 20 हजार से अधिक बूथ बनाए गए हैं। प्रत्येक बूथ पर पर्यवेक्षक सहित पांच सरकारी कर्मचारियों की डयूटी लगाई गई है। इस हिसाब से एक लाख 42 हजार से अधिक सरकारी कर्मचारी चुनावी डयूटी में लगे हुए हैं। इसके बावजूद सैकड़ों कर्मचारी चुनाव आयोग के नियमों को ठेंगा दिखाकर नेताओं के साथ चुनाव प्रचार में मशगूल है। इन कर्मचारियों को आयोग के आदेशों की कतई फिक्र नहीं है। हालांकि आयोग द्वारा ऐसे कर्मचारियों पर टेढ़ी नजर रखी जा रही है, साथ ही चुनावी कार्यक्रमों की गुपचुप तरीके से वीडियो फिल्म तैयार की जा रही है। इससे बेखबर सरकारी कर्मचारी नेताओं की चमचागिरी में लगे हैं।
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