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रविवार, 1 नवंबर 2009
अजगरी मंसूबों के आगे विकास की दीवार
अरुणाचल की जमीन पर चीन की गिद्ध दृष्टि के सामने भारत ने विकास की बड़ी दीवार उठानी शुरू कर दी है। अरुणाचल से जुड़ी अपनी सीमा को अभेद्य छावनी बना चुके चीन के मंसूबे भांपते हुए भारत सरकार ने अपनी न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने पर काम तेज कर दिया है। अरुणाचल प्रदेश में न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता का मतलब है मजबूत बुनियादी ढांचा, ताकि वहां सामरिक रूप से भारत प्रभावी रहे। इसीलिए चीन की सभी आपत्तियों को दरकिनार करते हुए बिना शोर मचाए, भारत ने अरुणाचल प्रदेश में विकास की रफ्तार तेज कर दी। यहां विकास के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है दुर्गम पहाडि़यां व संपर्क मार्गो की कमी। इसे समझते हुए गृह मंत्रालय ने विकास की दृष्टि व सामरिक महत्व वाली 10 सड़कों के 196 किलोमीटर मार्ग की परियोजनाओं पर तीन माह पहले काम शुरू किया और दुर्गम पहाडि़यां काट कर 132 किलोमीटर राह समतल कर डाली। करीब 15 किलोमीटर सड़क पूरी तरह तैयार है। गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने मंत्रालय के कामकाज की जो रिपोर्ट जारी की, उससे साफ है कि सड़कों का जाल बिछाने का काम बेहद संजीदा तरीके से बिना किसी शिथिलता के आगे बढ़ रहा है। आंकड़ों पर नजर फिरायें तो अक्टूबर में 46.33 किलोमीटर सड़क का बुनियादी काम पूरा हो गया। साथ ही करीब पांच किलोमीटर सड़क पूरी तरह तैयार कर ली गई। इससे पिछले माह, यानी सितंबर में 45.27 किमी सड़क का बुनियादी काम पूरा हुआ, जबकि करीब पांच किलोमीटर सड़क पूरी तरह तैयार कर ली गई। अगस्त में भी 40.08 किलोमीटर सड़क का बुनियादी ढांचा तैयार हुआ और करीब 5.40 किमी. सड़क मुकम्मल की गई। वैसे, चीन से तुलना किया जाए तो यह विकास कुछ भी नहीं है। लेकिन केंद्र मान रही है कि चीन ने जिस तेजी से अपना बुनियादी ढांचा तैयार किया है, वह भारत के लिए मुश्किल है और उसकी जरूरत भी नहीं है। इसीलिए, सामरिक महत्व की जगहों पर सड़कें बनाने के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश ग्रामीण सड़क परियोजना के तहत पूरे प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने की तैयारी चल रही है।
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