चंडीगढ़ : बख्शीश सिंह, भगत सिंह, मदन सिंह, अमर सिंह, सोम प्रकाश, मेहर सिंह, उजागर सिंह, तेजा सिंह, मुकंद सिंह, मस्ता सिंह, दिलीप सिंह, दीप सिंह, अमर सिंह, हरनाम सिंह और मोहन सिंह। ये 15 नाम भी उन लाखों में शुमार हैं, जो कभी सबकुछ दांव पर लगाकर स्वतंत्रता संग्राम में कूदे थे। वतन को फिरंगियों से निजात दिलाने वाले ये सूरमा अब उस सूची में शामिल हैं, जिन्हें हाल ही में पंजाब विधानसभा ने श्रद्धांजलि अर्पित की है। हर विधानसभा सत्र में यह सूची लंबी हो जाती है और स्वतंत्रता सेनानियों की संख्या धीरे-धीरे लाखों से सैकड़ों में सिमटती जा रही है। सरकार के ताजा रिकार्ड के अनुसार अब केवल 861 स्वतंत्रता सेनानी जीवित हैं। अपने पतियों के स्वतंत्रता संग्राम में कूदने की कीमत चुकाने वाली जिंदा गवाहों में शुमार पत्नियों की संख्या भी तेजी से कम हो रही है। स्वतंत्रता सेनानियों के कल्याण की जिम्मेदारी उठाने वाले विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अब 1788 स्वतंत्रता सेनानी विधवाएं जीवित बची हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया कि फिलवक्त स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर 2662 पेंशनें वितरित हो रही हैं। इनमें से 13 तो स्वतंत्रता सेनानियों की लड़कियों को विशेष श्रेणी के तहत मिल रही हैं। ये लड़कियां अविवाहित एवं बेरोजगार हैं। यह आंकड़ा जारी वित्तीय वर्ष (2009-10) का है, जबकि बीते वित्तीय वर्ष (2008-09) में यह संख्या 2900 थी। एक वर्ष में ही 250 पेंशनें कम होने का अर्थ स्पष्ट है कि देश धीरे-धीरे अपने अमूल्य गहनों से वंचित हो रहा है। नि:संदेह वक्त का यह कड़वा सच देश के लिए जरा सा भी अहसास पालने वाले देश-प्रेमियों की आंखों को नम कर उनमें देशप्रेम का जज्बा भर देता है। ऐसे लोगों को यह जानकर भी गहरा धक्का लगेगा कि प्रदेश सरकार के स्वतंत्रता सेनानी कल्याण विभाग के पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है, जो बता सके कि पंजाब की सरजमीं ने कुल कितने स्वतंत्रता सेनानी पैदा किए थे। विभाग के सचिव जगजीत पुरी ने इस सवाल पर दैनिक जागरण को दो टूक कहा, कुल कितने स्वतंत्रता सेनानी थे, कितने जिंदा हैं..यह आंकड़ा एकत्र करने में तीन दिन का समय लगेगा। वहीं, विभागीय सूत्र बताते हैं कि यह आंकड़ा तो है कि स्वतंत्रता संग्राम में पंजाब से कुल कितने स्वतंत्रता सेनानियों ने हिस्सा लिया था। यह आंकड़ा मोहाली स्थित पुन:अर्थ संपत्ति विभाग के कार्यालय में होगा। स्वतंत्रता सेनानी कल्याण विभाग के अस्तित्व में आने से पहले यह काम वही विभाग देख रहा था। पता चला है कि स्वतंत्रता सेनानी कल्याण विभाग ने पुन:अर्थ संपत्ति विभाग के कार्यालय को यह आंकड़ा देने के लिए लिखा हुआ है। ज्ञात रहे, प्रदेश में स्वतंत्र रूप में स्वतंत्रता सेनानी कल्याण विभाग बने कई दशक गुजर चुके हैं।
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