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मंगलवार, 5 जनवरी 2010

ट्रिपल एजेंट था हमलावर

अमरीकी मीडिया का कहना है कि ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए के सात एजेंटों को मारनेवाला आत्मघाती हमलावर उनका अपना ही मुखबिर था.

रिपोर्टों में कहा गया है कि 38 साल का ये आत्मघाती हमलावर पेशे से डॉक्टर था जिसे जार्डन की ख़ुफ़िया एजेंसी ने एक साल पहले गिरफ़्तार किया था.

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सीआईए और जार्डन की खुफ़िया एजेंसी को इस बात का यकीन हो गया था कि उन्होंने हुमाम कलील अबू मुलाल अल बलावी का हृदय परिवर्तन कर दिया है और वो उन्हें अल क़ायदा की गुप्त जानकारियां देता रहेगा.

वाशिंगटन पोस्ट अख़बार ने अमरीकी सरकार के दो पूर्व अधिकारियों के हवाले से कहा है कि हमलावर ने अफ़गानिस्तान में मौजूद सीआईए के अधिकारियों को ये कहकर बुलाया कि उसके पास बेहद अहम जानकारी है.

जब अधिकारी इक्ठ्ठे हुए तो उसने खुद को उड़ा डाला और सात सीआईए एजेंट समेत आठ लोगों को मार डाला.

सूत्रों का कहना है कि ये डॉक्टर एक तरह से ट्रिपल एजेंट बना हुआ था और जार्डन और अमरीकी ख़ुफ़िया अधिकारियों का विश्वास जीतने के बाद उसने एक बड़े मुहिम को अंजाम दिया.

1983 में बेरूत में अमरीकी दूतावास पर हुए हमले के बाद अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंटों पर ये सबसे बड़ा हमला है.


करारा धक्का

सीआईए ने फ़िलहाल इन रिपोर्टों पर कोई बयान नहीं जारी किया है. लेकिन वाशिंगटन से बीबीसी संवाददाता का कहना है कि ये घटना सीआईए के लिए करारा धक्का है.

अख़बारों का कहना है कि सीआईए ने इस हमलावर को अल क़ायदा के नंबर दो यानि अयमन अल ज़वाहिरी तक पहुंचने का काम सौंपा था.

पिछले हफ़्ते जब अफ़गानिस्तान में सीआईए के अड्डे पर ये हमला हुआ था तो सवाल उठे थे कि ये हमलावर अंदर तक पहुंचा कैसे.

वाशिंगटन पोस्ट अख़बार का कहना है कि उसे अड्डे के बाहर ही एक कार में बिठाया गया और बिना सुरक्षा जांच के अंदर ले जाया गया था.

अख़बार ने कुछ पूर्व अधिकारियों के हवाले से कहा है कि इस तरह के कदम अक्सर इन मुखबिरों का विश्वास जीतने के लिए उठाए जाते हैं.

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