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गुरुवार, 12 नवंबर 2009

जिंदगी जीती : एक पैकेट बिस्कुट पर गुजारे पांच दिन


धर्मशाला दुर्गम पहाडि़यों के बीच शून्य डिग्री से नीचे तापामान और साथ में बिस्कुट का एक पैकेट और एक बोतल पानी। हिमपात में वॉकी-टॉकी भी जवाब दे गया। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी। आखिर बचाव दलों ने उसे छठे दिन बर्फ से ढकी हिमाचल प्रदेश के अतिदुर्गम पहाडि़यों के बीच से सुरक्षित निकाल लिया। पांच दिन से जिंदगी व मौत के बीच झूल रहे यूक्रेन के पैराग्लाइडर इगोर (48) ने गत शुक्रवार को दोपहर उड़ान भरी थी और उसी दिन से लापता चल रहा था। वह वायुसेना में भी रह चुका है। दिल्ली से ली गई निजी हेलीकाप्टर सेवा और स्थानीय युवाओं ने बचाव में अहम भूमिका निभाई। स्थानीय टीम पांच दिन से उसकी तलाश में जुटी हुई थी। उसके परिजनों ने आरोप लगाया था कि भारत सरकार बचाव कार्य में कोई सहायता नहीं कर रही है। मंगलवार को यूक्रेन से उसकी पत्नी ने इगोर के साथियों के माध्यम से साढ़े पांच लाख रुपये भिजवाए। मंगलवार को ही दिल्ली से एक हेलीकाप्टर भी पहुंचा। इगोर के लापता होने की खबर मिलते ही शुक्रवार को ही एक बचाव दल धर्मशाला की ओर रवाना कर दिया गया था। शाम करीब आठ बजे दल का वॉकी-टॉकी के माध्यम से संपर्क इगोर से हुआ लेकिन बात पूरी नहीं हो सकी। यह संपर्क पालमपुर व होल्टा के बीच हुआ था। दल का शनिवार सुबह भी इसी लोकेशन पर इगोर से संपर्क हुआ लेकिन वह इतना ही बता पाया कि वह जहां फंसा है, वहां नीचे एक बड़ा पुल है। इसके बाद इगोर की वॉकी-टॉकी की बैटरी खत्म हो गई। सोमवार को बंदला से ऊपर धुएं के माध्यम से किसी पैराग्लाइडर पायलट द्वारा मदद मांगने तथा एक नेपाली द्वारा भी सूचना मिली लेकिन बर्फबारी ने बचाव अभियान में और मुश्किल पैदा कर दी। बुधवार सुबह निजी कंपनी के हेलीकाप्टर ने एक विदेशी पायलट के साथ सुबह करीब आठ बजे कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के ग्राउंड से उड़ान भरी और 15 मिनट में पालमपुर के चंदपुर से ठीक ऊपर धौलाधार की बर्फीली पहाडि़यों पर पायलट इगोर दिखा। इसके बाद हेलीकाप्टर में बीड़ गांव के बचाव दल के सदस्य राहुल को साथ ले जाया गया तथा राहुल को पहाड़ी के शिखर पर उतारने के बाद उसे इगोर के पास भेजा गया। राहुल इगोर को उसके पूरे सामान के साथ सुरक्षित हेलीकाप्टर तक ले आया। बाद में उसे हेलीकाप्टर से ही दिल्ली ले जाया गया । इगोर ने बताया कि उसने हिम्मत से काम लिया नहीं तो वह बर्फ में दब गया होता। बेहद दुर्गम पहाड़, उतरने का कोई रास्ता नहीं, ऊपर से बर्फबारी से के कारण शून्य से नीचे आया तापमान। उसने नीचे उतरने की भी कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाया। इतना सब झेल चुके इगोर को जब हेलीकाप्टर से वापस लाया गया, तो उसके चेहरे पर शिकन नहीं बल्कि खुशी थी। इगोर ने बताया कि उसे मौसम न होने के कारण एमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी।

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