
शिमला देश का मशहूर पर्यटन स्थल गोवा अब काजू की स्वादिष्ट किस्म के अलावा आलू के स्वाद के लिए भी जाना जाएगा। गोवा के आलू कुरकुरे व चिप्स बनकर घर-घर में बच्चों से लेकर बड़ों तक के मुंह का लजीज जायका भी बनने जा रहे हैं। चौंकिए नहीं! यह हकीकत है कि अब गोवा की आबोहवा में भी आलू की पैदावार हो सकेगी। गर्म रातें कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगी : अमूमन ठंडे क्षेत्रों में होने वाली पैदावार में से आलू की इस किस्म पर गर्म मौसम का कोई नकारात्मक असर नहीं होने वाला। बल्कि ज्यादा तापमान में फसल और भी ज्यादा होगी। कुफरी सूर्य नामक इस नई किस्म के आलू का गर्म रातें कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगी। 12 साल की अथक मेहनत के बाद हिमाचल के कृषि वैज्ञानिकों को यह उपलब्धि मिली है। हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के कुफरी में स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र (सीपीआरआई) ने आलू की इस किस्म को ईजाद किया है। कुफरी में आलू अनुसंधान टीम ने यह परीक्षण किया था कि गर्म रात्रि होने पर भी आलू किस तरह से पनप सकता है। गोवा ही नहीं बल्कि गोवा जैसे तापमान वाले हरेक उस इलाके में यह फसल लहलहाएगी जहां आर्द्रता और दिन व रात का तापमान खासा गर्म होता है। इसीलिए शोध टीम ने आलू की इस किस्म का नाम कुफरी-सूर्य रखा है। कुफरी-हिमाचल का काफी ठंडा इलाका है जहां सीपीआरआई की टीम शोध करती है। ग्लोबल वार्मिग के कारण आलू की फसल पर भी पड़ रहे नकारात्मक प्रमाण के नतीजों में कुफरी-सूर्य की खोज कई किसानों को राहत देने वाली है। साथ ही स्थानीय लोगों को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे। संस्थान के सामाजिक विज्ञान संभाग के अध्यक्ष डाक्टर एनके पांडे का कहना है कि आलू एकमात्र फसल है जिसे देश के किसी भी हिस्से में पैदा किया जा सकता है। ग्लोबल वार्मिग की चुनौती के चलते संस्थान द्वारा आलू की नई वैरायटी तैयार करने पर अनुसंधान चल रहा है। यह एकमात्र वैरायटी है जो कि हीट टॉलरेंट यानी बढ़ते तापमान को भी बर्दाश्त कर सकती है। अमूमन आलू की फसल के लिए रात्रि का तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।
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