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सोमवार, 11 जनवरी 2010

सरकारी रिपोर्ट : चीन ने लद्दाख में दबा ली भारत की जमीन

नई दिल्ली, प्रेट्र : एक मशहूर चीनी कहावत है-गज की तुलना में इंच ही बेहतर है। इसी पर अमल करते हुए भारत का यह पड़ोसी मुल्क सुनियोजित तरीके से लद्दाख में भारतीय जमीन हड़प रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दो दशकों में चीन ने इंच-इंच कर वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे भारतीय इलाके का बड़ा हिस्सा हड़प लिया है। हाल ही में लेह में हुई आधिकारिक बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि संबंधित इलाके को दर्शाने वाले विभिन्न एजेंसियों के नक्शों में भिन्नता है। लेह के आयुक्त ए.के. साहू की अध्यक्षता में पिछले महीने हुई इस बैठक में गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा सेना की 14वीं कोर के ब्रिगेडियर जनरल सरत चांद और कर्नल इंद्रजीत सिंह भी मौजूद थे। बैठक में शामिल अधिकारी इस बात पर भी सहमत थे कि संबंधित इलाके के मानचित्रीकरण का काम सही तरीके से नहीं हो रहा। इस बैठक का निष्कर्ष था कि समय के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगा भारतीय इलाका सिकुड़ रहा है। बैठक से जुड़ी रिपोर्ट में कहा गया है, हालांकि यह प्रक्रिया बहुत धीमी है। लेकिन, पिछले 20-25 साल में हमने अपनी जमीन का बड़ा हिस्सा गंवा दिया है। यह बैठक उन खानाबदोश चरवाहों की उचित सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बुलाई गई थी जो हर साल सर्दियों में अपनी भेड़ों के साथ चीन की सीमा से लगे न्योमा सेक्टर के डोकबग इलाके में जाते हैं। दिसंबर 2008 में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने उनके तंबू नष्ट कर दिए थे और उन्हें यह क्षेत्र खाली करने की धमकी दी थी। न्योमा के पूर्व एसडीएम सेरिंग नोरबू ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, उन्होंने (चीन के सैनिकों ने) अपने पशुओं को चराने के लिए दशकों से डोकबग इलाके में जा रहे चरवाहों को धमकाया। यह हरकत हमारी जमीन को इंच दर इंच छीनने के लिए की गई। जम्मू-कश्मीर सरकार ने नोरबू को डोकबग इलाके में चीन की घुसपैठ की शिकायतों की जांच करने का जिम्मा सौंपा था। लद्दाख के अन्य हिस्सों के मुकाबले अपेक्षाकृत ज्यादा गर्म रहने के कारण ही चरवाहे हर साल दिसंबर से मार्च के बीच अपनी भेड़ों के साथ इस इलाके में चले जाते हैं। एसडीएम ने अपनी रिपोर्ट में कहा, पीएलए ने इन चरवाहों को डोकबग और डोली टांगो इलाके में जाने से रोका। यह क्षेत्र पर अपना दावा करने की चीन की ठीक वैसी ही कोशिश है जैसी उसने 1984 में नाग त्सेंग, 1991 में नाकुंग और 1992 में लुंगमा सेरदिंग इलाके पर कब्जे के दौरान की थी। पिछले साल 31 जुलाई को भी चीन के सैनिक माउंट ग्या के नजदीक भारतीय इलाके में करीब डेढ़ किमी घुस आए थे। उन्होंने इलाके की चट्टानों पर लाल पेंट से चाइना और चिन9 लिख दिया था। माउंट ग्या को भारत-चीन की सीमा माना जाता है। इससे पहले 21 जून को चीनी हेलीकाप्टरों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चुमार क्षेत्र में भी भारतीय वायुक्षेत्र का उल्लंघन किया था।

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