
-- क्लर्क पद के लिए बीए योग्यता करना गलत: अजय चौटाला
चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) इनेलो ने हुड्डा सरकार द्वारा क्लर्क पद की भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता बढ़ाकर बीए किए जाने के फैसले को पूरी तरह से अनुचित व गलत बताते हुए सरकार से यह तुगलकी फैसला तुरन्त वापिस लिए जाने की मांग की है। इनेलो के प्रधान महासचिव व डबवाली के विधायक अजय सिंह चौटाला ने कहा कि हुड्डा सरकार द्वारा यह फैसला बिना सोचे-समझे लिया गया है और सरकार के इस फैसले से जहां ग्रामीण आंचल में बसने वाले व गरीब परिवारों से सम्बन्ध रखने वाले युवक पूरी तरह से सरकारी नौकरियों से वंचित हो जाएंगे वहीं सरकार द्वारा लिपिक के लिए न्यूनतम योग्यता आईएएस, आईपीएस व एचसीएच अफसरों के लिए वांछित न्यूनतम योग्यता के बराबर कर दिए जाने के फैसले को कहीं भी समझदारीपूर्वक फैसला नहीं कहा जा सकता। अजय सिंह चौटाला ने कहा कि यह फैसला विभिन्न पदों पर काम करने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों में जहां वेतनमानों व अन्य मामलों में असमानता पैदा करेगा वहीं इस फैसले से यह भी नजर आता है कि हुड्डा सरकार बिना सोचे-समझे आंखें मूंदकर फैसले ले रही है। उन्होंने कहा कि आईएएस, आईपीएस व एचसीएस जैसी शीर्ष प्रथम श्रेणी सेवाओं के लिए उम्मीदवार के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक रखी गई है। यानी कोई भी बीए पास युवा आईएएस, आईपीएस या एससीएस अफसर भर्ती हो सकता है। अब क्लर्क लगने के लिए भी शैक्षणिक योग्यता तो आईएएस के बराबर कर दी गई है लेकिन लिपिक के वेतनमान में कोई संशोधन किए बगैर न्यूनतम योग्यता बढ़ाए जाने के फैसले को पूरी तरह से अनुचित व गलत माना जा रहा है।महासचिव ने कहा कि कर्मचारियों के विभिन्न वर्गों के वेतनमान तय करते समय उन वर्गों की न्यूनतम योग्यता को भी ध्यान में रखा जाता है। इस समय कर्मचारियों के अनेक वर्ग ऐसे हैं जिनकी न्यूनतम योग्यता स्नातक से कम है और उनका वेतनमान लिपिक से ज्यादा रखा गया है। अब लिपिक की न्यूनतम योग्यता स्नातक कर दिए जाने से कम योग्यता वाले कर्मचारियों को ज्यादा वेतनमान और ज्यादा योग्यता वाले कर्मचारियों का न्यूनतम वेतनमान कम हो जाएगा जिसके चलते कर्मचारी वर्गों में भी भारी असमानता पैदा हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वैसे भी प्रथम श्रेणी कर्मचारियों व तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को एकसमान किए जाना किसी भी तरह से समझदारीपूर्वक फैसला नहीं माना जा सकता। अजय सिंह चौटाला ने कहा कि अगर हुड्डा सरकार क्लर्क के लिए न्यूनतम योग्यता बीए पास रखना चाहती है तो उसे फिर क्लर्क पद का न्यूनतम वेतनमान भी बढ़ाकर उन पदों के बराबर करना चाहिए जिन पदों पर लगने वाले कर्मचारियों की न्यूनतम योग्यता स्नातक है। उन्होंने कहा कि हुड्डा सरकार ने वैसे भी पिछले पांच सालों के दौरान प्रदेश के युवा वर्ग के साथ नौकरियों के मामले में भारी भेदभाव किया है और हरियाणा में नौकरियां सरेआम नीलाम हो रही हैं। उन्होंने कहा कि नौकरियों व विकास के मामले में हुड्डा सरकार ने प्रदेश में क्षेत्रवाद को बढ़ावा दिया और अब सरकार के इस फैसले से नौकरियों के लिए आवेदन करने वाले ग्रामीण क्षेत्र के युवकों को भी पूरी तरह से वंचित करने का प्रयास किया गया है। इनेलो नेता ने कहा कि हुड्डा सरकार बिना सोचे-समझे व बिना किसी तर्क के आए दिन तुगलकी फैसले ले रही है, जिससे साफ है कि प्रदेश सरकार एक निर्वाचित लोकतान्त्रिक सरकार की तरह नहीं बल्कि राजे-महाराजाओं की शैली में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को अपना यह गलत व अनुचित आदेश तुरन्त वापिस लेना चाहिए ताकि गरीब परिवारों के साथ-साथ ग्रामीण आंचल में बसने वाले युवक भी प्रदेश में क्लर्क भर्ती होने के लिए आवेदन दे सकें। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने यह फैसला तुरन्त वापिस न लिया तो युवा व कर्मचारी वर्ग में सरकार के प्रति रोष और ज्यादा बढ़ जाएगा और प्रदेश का युवा वर्ग इस भ्रष्ट व तुगलकी सरकार को चलता करके ही दम लेगा।
---- सफेद हाथी साबित हो रहा है डबवाली का सामान्य हस्पताल
डबवाली (सुखपाल ) तीन राज्यों की सीमाओं पर स्थित शहर डबवाली 23 दिसम्बर 1995 में उस समय सुॢखयों में आया जब इस मनहूस दिन सैंकड़ों बच्चे, महिला एवं पुरूष काल का ग्रास बन गए। उस समय की सरकार ने शहरवासियों की मांग पर एक बड़ा सामान्य हस्पताल का निर्माण करवाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। बड़े जोर शोर से कहा गया कि इस सामान्य हस्पताल में हर वह सुविधा उपलब्ध रहेगी जो किसी बड़ शहर के हस्पतालों में होती है। लेकिन जैसी घोषणाऐं आज बोर्डों व कागजों में सिमटी हुई दिखाई दे रही हैं। क्योंकि असलियत यह है कि यहांकुछ सुविधाऐं तो हैं लेकिन उनका उपयोग करने के लिए अधिकारी तथा कर्मचारी उदासीन रवैया अपनाऐ हुए हैं। इस हस्पताल में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों के उदासीन रवैय के कारण स्वास्थ्य विभाग व सरकारी दावों के विपरीत दिशा में यह हस्पताल जा रहा है। इस सामान्य हस्पताल की इमारत की भिन्न - भिन्न दीवारों पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं का ब्यौरा बड़े - बड़े अक्षरों में दर्शाया गया है। इन बोर्डों पर दिखाई गई सूची पर दावे तो अनेक हैं लेकिन उनमेंसे अमल केवल कुछ ही बातों पर किया जाता है। इन दावों में से एक कि सभी बीपीएल कार्ड धारकों एवं मलीन बस्ती में रहने वालों जिनके पास हरियाणा सरकार द्वारा जारी उपयुक्त राशन कार्ड हैं। उन सभी नागरिकों को मुफ्त चिकित्सा सुविधाऐं दी जाती हैं। महिलाओं की प्रसूति सेवाऐं व ओपीडी एवं आपातकालीन विवाद में सभी प्रकार की दवाऐं मुफ्त दी जाती हैं। अब अगर इन सभी बातों को गहराई से देखा जाऐ तो असलियत कुछ ओर है। यह सही है कि बीपीएल कार्ड धारकों को कुछ सुविधाऐं तो मुफ्त दी जाती हैं लेकिन मरीजों को कुछ हद तक परेशान करने के पश्चात। यदि दूसरे दावों की बात की जाऐ तो यह दावे बिल्कुल खोखले नज़र आते हैं। क्योंकि इस सामान्य हस्पताल में न तो कोई आँखों का विशेषज्ञ है और न ही कोई ईएनटी स्पैशलिस्ट। इसके अलावा कार्यरत महिला चिकित्सक के भी लम्बी छुटी पर चले जाने के कारण महिला रोगियों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि सामान्य हस्पताल में इनकी नियुक्ति के पश्चात बड़ी संख्या में महिला रोगियों को फायदा पहुंचा परन्तु इनके छुटी पर रहने के बाद किसी अन्य महिला चिकित्सक के उपलब्ध न रहने से महिला रोगी हस्पताल से वापिस लोटने को विवश हैं। उपरोक्त हस्पताल में रेडियों ग्राफिक की मशीन तो मौजूद है लेकिन रेडियों ग्राफर के न रहने से लाखों रूपयों की लागत की यह मशीन धूल फांक रही है। एक्सरे सुविधा उपलब्ध तो है लेकिन उसका लाभ कितने रोगी उठा पाते हैं यह भी जगजाहिर है। क्योंकि एक्सरे करने का कार्य ठेका प्रणाली पर होने के कारण एक्सरे टेक्रिशियन नदारद रहता है। जिसके चलते विचारे रोगी इसका फायदा न उठाकर निजी एक्सरे टेक्रिशियन के पास जाकर मोटी फीस देने को विवश हैं। इसी तरह नेत्र रोग विशेषज्ञ न होने के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्योंकि ड्राईविंग लाईसैंस बनवाने के लिए आँखों की जांच रिपोर्ट साथ लगानी पड़ती है, मगर चिकित्सक न होने के कारण प्रतिदिन कितने ही लोग हस्पताल से बैङ्क्षरग लोट रहे हैं। उन्हें प्राईवेट हस्पतालों में भारी फीस देकर उक्त रिपोर्ट लेनी पड़ती है। अब सोचने वाली बात यह है कि ऐसे में बीपीएल कार्ड धारकों व मलीन बस्तियों में रहने वाले लोगों को हकीकत में कितनी सुविधाऐं उपलब्ध हो पाती हैं। इससे एक तरफ हरियाणा सरकार द्वारा स्वस्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के बड़े - बड़े दावों की हवा निकलते हुए दिखाई दे रही है। वहीं आम आदमी के साथ स्वास्थ्य सेवाऐं एक मजाक बन कर रह गई हैं।
---- एक ओर जंग लडऩे की तैयारी में सियासत के महारथी
सिरसा (अमरिन्द्र) ऐलनाबाद उपचुनाव के नतीजे आने के बाद अब हरियाणा का राजनैतिक नीचे आने की बजाय और ऊपर चढऩे वाला है। हरियाणा में निकाय चुनावों के लिए मतदाताअेां की सूची तैयार होनी शुरू हो गई है और अप्रैल मई के महीनें में यह चुनाव करवाए जाने की उम्मीद लगाई जा रही है। वैसे तो आम तौर पर यह चुनाव पार्टी चिन्ह पर नहीं लड़े जाते लेकिन सभी राजनैतिक दलों और दिग्गजों के सीधे तौर पर शामिल रहने से इन चुनावों का महत्व बहुत बढ़ जाता है। सभी राजनैतिक दल स्थानीय स्तर पर अपनी चौधर कायम रखने के लिए इन चुनावों को बेहद संजीदा ढंग से लड़ते हैं। पार्टी चिन्ह पर न लडे जाने के बावजूद यह चुनाव किसी भी दल के लिए उसकी प्रतिष्ठा का सवाल होते हैं। इन्हीं चुनावों से पता चलता है कि किस राजनैतिक दल की जनता में कितनी पैठ है। इस बार के यह चुनाव न सिर्फ स्थानीय स्तर पर लडऩे वाले उम्मीदवारों बल्कि प्रदेश की सभी राजनैतिक पार्टियों के लिए बहुत मायने रखते हैं। उपचुनाव के नतीजों से उत्साहित इनैलो जहां इन चुनावों को जीत सरकार को भेदने की कोशिश करेगी वहीं कांग्रेस भी शहरों में अपने मजबूत जनाधार का दमभर इन चुनावों को जीतने का दावा कर रही हैं। इन दो राजनैतिक दलों के अलावा हरियाणा जनहित कांग्रेस के लिए तो यह चुनाव अस्तित्व की लड़ाई है। हजकां प्रमुख कुलदीप बिश्रोई दोबारा मिले इस मौके को खोना नहीं चाहेंगे। इस बार हजकां भी इस चुनावी मुकाबले में मौजूद होगी। हरियाणा विधानसभा में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने के बावजूद भाजपा इस चुनावी मुकाबले में खड़ी नजर आ रही है। भारतीय जनता पार्टी को हरियाणा में शहरी पार्टी माना जाता है। भाजपा भी इन चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के लिए जी तोड़ प्रयास करेगी। वहीं पहली बार बसपा ने अपनी पार्टी के चुनाव निशान हाथी पर इन चुनावो को लडऩे का ऐलान किया है। इस बार हाथी पर सवार बसपा के उम्मीदवार भी इनैलो-कांग्रेस के साथ-साथ हजकां-भाजपा के प्रत्याशियों को चुनौती देने के लिए मैदान में डटेंगे। सिरसा नगर परिषद के लिए भी इस बार चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने के उम्मीद है। जहां इनैलो नेतृत्व अपने गृह क्षेत्र कांग्रेस से यह ताज छीनने की कोशिश करेगा वहीं ऐलनाबाद की हार के बाद अब कांग्रेस सिरसा नगर परिषद से अपनी चौधर नहीं गंवाना चाहेगी। कहा जा रहा है कि इन चुनावों में कांग्रेस की तरफ से अहम ीाूमिका में रहने वाले हरियाणा के पूर्व कैबीनैट मंत्री लछमन दास अरोड़ा के सिरसा से चुनाव हर जाने और तबीयत ठीक न होने के वजह से इस बार इन चुनावों की कमान स्थानीय स्तर के नेताओं के साथ मिलकर सिरसा से चुनाव जीत कांगे्रस को समर्थन देने वाले गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा के हाथ रहने की संभावना है। जहां विधानसभा चुनाव के बाद गोपाल कांडा के पास फिर से एक बार खुद को साबित करने का अवसर होगा, वहीं इस बार उनका मुकाबला सीधे तौर पर हरियाणा विधानसभा में ३२ विधायकों के साथ मजबूत विपक्ष की भूमिका में खड़ी इनैलो के साथ उसके गृह क्षेत्र में होगा।
जहां इस बार इनैलो नगर परिषद में अपने खोए मुकाम को दोबारा हासिल करने के इरादे से उतरेगी। बेहद महत्वपूर्ण होते हैं यह चुनाव- स्थानीय स्तर के यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होते हैं यही वजह है कि सभी पार्टियां इन चुनावों को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा देती हैं। राजस्थान में इस बार न.प. अध्यक्षों का सीधा चुनाव करवाया गया। जिसके तहत अलवर नगर परिषद अध्यक्ष के चुनाव के लिए ३ लाख से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार प्रयोग किया। जबकि एक विधायक का चुनाव सवा से डेढ़ लाख मतदाता मतदान करते हैं। इसी बात से इन चुनावों के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है।
हरियाणा में नहीं होंगे नप अध्यक्ष के सीधे चुनाव-
पड़ौसी राज्य राजस्थान की तर्ज पर हरियाणा में सीधे नगर परिषद के चुनाव करवाए जाने पर विचार किया गया। लेकिन अब तक इस बारे में सरकार द्वारा कोई फैसला न लिए जाने और निकाय चुनावों के लिए अधिसूचना जारी हो जाने से लगता नहीं कि इस बार नगर परिषद और नगरपालिका अध्यक्षों के सीधे चुनाव हो पाएंगे।
फर्जी विकलांगों के खिलाफ हो मामला दर्ज
सिरसा। विकलांग संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष बलजीत राज घणघस ने हरियाणा सरकार द्वारा फर्जी विकलांग शिक्षकों की बर्खास्तगी के निर्णय का स्वागत करते हुए राज्य सरकार से मांग की है कि फर्जी विकलांग शिक्षकों के खिलाफ विकलांग कानून 1995 के तहत मामला दर्ज करके सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति फर्जी विकलांग बनकर विकलांगों के हितों पर कुठाराघात न कर सके। घणघस ने राज्य सरकार से यह भी मांग की है कि फर्जी मेडिकल बनाने वाले डाक्टरों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भ्रष्टाचार समाप्त हो सके। उन्होंने कहा कि जहां वास्तविक विकलांग मेडिकल बनवाने के लिए भारी मानसिक व शारीरिक प्रताडऩा का शिकार होते हैं वहीं फर्जी मेडिकल बनाकर चिकित्सकों ने घोर पाप किया है, जिसके लिए वो सजा के पात्र है। घणघस ने कहा कि संघ इस कार्रवाई पर बराबर नजर बनाए हुए हैं और किसी भी स्तर पर यदि उक्त मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की गई तो संघ को आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा।
--- ज्योतिष शास्त्र एक रहस्य
लेखक : स. हरी वल्ल
विद्वान व प्रसिद्ध ज्योतिषविद्
डबवाली।
ऊँ गं गणपते नम: ऊँ श्री हरि ।।
वहीं श्री गणेश जी हमारा कल्याण करेंगे। जिनकी भक्ति भक्तजनों के हृदय में प्रीति प्रीत दिलवाने वाली होती है। जिनका वंश परम्परागत स्नेह सम्पूर्ण अभिलाषाओं को देने वाला होता है। जिसकी सब सुरा-सुर अराधना करते हैं और जो अपनी धीर गर्जना से विघ्रों का नाश करने पर तत्पर रहते हैं। जिनकी कृपा से सम्पूण कार्य सिद्ध होते हैं। उस देवी माँ सरस्वती के चरणों में शत-शत प्रणाम। ज्योतिष शब्द की उत्पत्ति ज्योति से हुई है तथा ज्योति का अर्थ है प्रकाश। जिन शब्दों से प्रकाश की किरणें निकलती हैं, उन्हें ज्योतिष कहा जाता है तारों के रूप में असंख्या ज्योतिषक आकाश में स्थित हैं। उनमें से ग्रह नामक कुछ ज्योतिषक पृथ्वी स्थित चराचर को प्रकाशित करते हैं। इस विषय की जानकारी जिस माध्यम से प्राप्त होती है उसे ही ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है। वेद संसार की सर्वाधिक प्राचीन पुस्तक है। इसे सबका मूल माना जाता है। वेद के चार भाग हैं। ऋग वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद। वेद के अंगों में सेेे ज्योतिष को नेत्र की संज्ञा दी गई है। जिस प्रकार नेत्रों के द्वारा सभी वस्तुओं को देखा जा सकता है उसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र द्वारा भूत, भविष्य व वर्तमान काल में घटने वाली घटनाओं के विचारने की जानकारी प्राप्त होती है। हम जिस पृथ्वी पर निवास करते हैं उसे समीपवर्ती समुद्र, आकाश आदि को विश्व कहा जाता है। यह विश्व ब्रह्माण्ड का एक छोटा सा भाग है। ब्रह्माण्ड के अन्दर जल, वायु, आकाश ग्रह, नक्षत्र, लोक-प्रलोक आदि सभी की गणना की जाती है। ब्रह्माण्ड का विस्तार कितना है। इसे न तो कोई जानता है और न ही इसकी कल्पना की जा सकती है। अलबता ब्रह्माण्ड के भीतर करोड़ों विश्व स्थित हैं। यह प्राचीन हिन्दू मानता है। वर्तमान युग के वैज्ञानिक भी इस तथ्य को स्वीकार करते हैं। इस अनन्त ब्रह्माण्ड में हमारे जैसे अनेक विश्वों की स्थिति सम्भव है और उनमें भिन्न - भिन्न प्राणियों का निवास भी हो सकता है। हमारे विश्व के आकाश में जो सूर्य दिखाई देता है। यह धरती से 110 गुणा बड़ा तथा सवा करोड़ मील दूर है। इसका तापमान 1 लाख डिग्री फार्नहाईट है। प्राचीन महाऋषियों ने आकाश से ऐसे 12 सूर्यों की उपस्थिति बताई है। आधुनिक वैज्ञानिक भी यह मानने लगे हैं कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक से अधिक सूर्य स्थित हैं। जो ज्योतिषक सूर्य के चारों और भ्रमण करते हैं उन्हें ही $गह कहा जाता है। $गह के चारों और कुछ अन्य छोटे ङ्क्षपड में भी हैं, उनको उपग्रह की संज्ञा दी गई है। यह मानना है कि पृथ्वी के अनगिनत सूर्य के चारों तरफ भ्रमण करने वाले 6 प्रमुख ग्रह हैं। चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, शनि तथा सूर्य सहित इनकी संख्या कुल सात हुई। प्राचीन ज्योतिष ग्रन्थों में उलेख मिलता है कि सभी ग्रह सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित होते हैं। पूर्ववर्ती विद्वानों का मत है कि अनुभव करने के बाद यह सात ग्रह अपनी - अपनी रोशनी-किरणों-से धरती को प्रभावित करते हैं। उसी प्रकाश पृथ्वी पर ऊतरी ऊषा धु्रवों की छाया वी परिवॢतत होकर पृथ्वीवासियों पर अपना प्रभाव प्रकट करती है। उन्हें ही राहू - केतू नामक दो नवीन छाया ग्रह ही कल्पना कर उन्हें भी शनि के साथ परतिष्टित कर दिया। इस प्रकार भारतीय ज्योतिष में इनकी संख्या 9 ग्रह - 7 प्लस 2 के रूप में हुई है। तारा होने के कारण सूर्य एक ही स्थान पर स्थिर रहता है। वह अपनक अक्स पर ही पश्चिम से पूर्व की ओर घूमता है। पृथ्वी के संचरनशील होने के कारण ही हमें सूर्य के घमने का आभास होता है। फलित ज्योतिष में आभास का ही विशेष महत्त्व है एवं सूर्य की गणना ही ग्रह के अन्तर्गत कर ली जाती है। पृथ्वी के संचरणशील होते हुए ही इस पर निवास करने वालों को उसके घूमने का आभास नहीं होता तथा पृथ्वी को फलित ज्योतिष के ग्रहों से अलग रखा गया है। जबकि इसके ध्रुवों की छाया को राहू-केतू के नाम से ग्रह मान लिया गया है। पृथ्वी के ग्रह से अलग रखने का एक कारण यह भी है कि हो सकता है कि जब ज्योतिष शास्त्र द्वारा पृथ्वी वासियों पर पडऩे वाला ग्रह प्रभाव विचारनीय विषय है। तब ग्रह हेतु पृथ्वी को भी ग्रह के रूप में स्वीकार करने का कोई अर्थ नहीं रहता।
---- कालांवाली में लाखों की चोरी
कालांवाली,दुर्गा मंदिर वाली गली में बीती रात एक बंद मकान से चोरों ने लाखों रुपयों की संपत्ति पर हाथ साफ कर लिया। गृह मालिक सुरेश कुमार महाजन अपने पूरे परिवार के साथ भुच्चो पंजाब में गए हुए थे। पीछे से चोर घर के मुख्य गेट का ताला तोड़ कर घुस गए। सुरेश के अनुसार चोर घर में रखी 36 हजार की नकदी, 12 तोले सोना व 22 तोले के करीब चंादी व अन्य सामान चुरा कर ले गए। सुरेश ने बताया कि रात को ही करीब 2 बजे उसके भाई ने उसके मकान में चोरी होने की जानकारी उसे फोन पर दी। उसके बाद उन्होंने रात को ही पुलिस को सूचित किया। मकान में बिखरे सामान को देखकर कयास लगाया जा रहा है कि चोरों ने सारी रात घर के प्रत्येक कमरे व अलमारी को खोलकर सामान की तलाशी ली होगी। इतना ही नहीं चोरों द्वारा ताला तोडऩे में इस्तेमाल की गई लोहे की राड व एक लोई को मौका पर ही छोड़ गए। उधर सिरसा में अज्ञात चोरों ने शहीद कृष्ण कुमार चौक पर लगी ग्रिल को भी नहीं बख्शा। चोरों ने शहीद की प्रतिमा के चारों ओर लगाई गई ग्रिल का आधा हिस्सा ही उखाड़ कर ले गए। ग्रिल के गायब होने का आज सुबह साथ के दुकानदारों को तब लगा जब वे अपनी दुकानों पर पहुंचे। दुकानदारों ने कीर्तिनगर पुलिस चौकी में चोरी की वारदात की सूचना दे दी है, लेकिन अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।
---- पंजाब में अब होगी बिजली क्रांति
लम्बी (लखवीर) : केंद्रीय नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि वह दिन अब दूर नहीं, जब देश का अन्न भंडार कहा जाने वाला पंजाब आने वाले चंद वर्षो में अन्य राज्यों को बिजली आपूर्ति भी वैसे ही करने लगेगा। अगले वर्ष पंजाब में बिजली क्रांति के हैं। चन्नू गांव में प्रदेश के तीसरे बायोमास पावर प्लांट एवं बिंजो गांव में ऐसे ही एक प्लांट का नींव पत्थर रखने के मौके पर डा. फारूख अब्दुल्ला ने प्रदेश के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि नवीकरण व गैरपरंपरागत ऊर्जा के क्षेत्र में पंजाब में हो रहे कार्य काफी उत्साहजनक हैं। पंजाब देश का एकमात्र ऐसा प्रदेश है, जिसने गैरपरंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों से अगले दो वर्षो में 1000 मैगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य रखा है। पंजाब की इस महत्वाकांक्षी योजना पर हो रहे कार्य को देखते हुए उनके मंत्रालय ने ऐसे 21 और प्रोजेक्ट इस प्रदेश को देने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही यहां किसानों को सौर ऊर्जा से चलने वाले ट्यूबवेल देने पर भी विचार किया जा रहा है, जिसमें किसानों को नाममात्र ही खर्च देना होगा। चन्नू गांव में स्थापित बायोमास (कृषि अवशिष्ट) से 14.5 मैगावाट क्षमता का है। प्रदेशभर में लगने वाले 29 बायोमास पावर प्रोजेक्ट में से यह तीसरा है, जिसकी लागत 80 करोड़ रुपये आई। बिंजों गांव में लगने वाला बायोमास पावर प्लांट 10 मैगावाट क्षमता का होगा। इसे ग्रीन प्लेनेट एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड स्थापित कर रही है। इस मौके पर मौजूद उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि प्रदेश भर में ऐसे 29 पावर प्लांट स्थापित किए जाने हैं, जो अपने क्षेत्र के 30 किलोमीटर क्षेत्र में किसानों से प्रतिवर्ष 40 करोड़ रुपये की खरीद करेंगे। यह खरीद छटियां, पराली, गोबर व अन्य कृषि अवशिष्ट होगी। इससे जहां किसानों को आर्थिक लाभ होगा, वहीं किसानों द्वारा कृषि अवशिष्ट को जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से भी छुटकारा मिलेगा और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कायम रहेगी। होशियारपुर जिले के बिंजों गांव में डा. फारूक ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को सब्सिडी पर सोलर ट्यूबवेल लगाकर देगी। इसमें किसानों को कुछ राशि ही खर्च करनी होगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार प्राकृतिक संसाधनों से बिजली पैदा करने वाले अधिक से अधिक प्लांट स्थापित करने के बारे में सोच रही है। इस समय देश में जो बिजली बनाई जा रही है, उसमें 85 प्रतिशत कोयला खप रहा है। इसके विपरीत प्राकृतिक संसाधनों से पैदा होने वाली बिजली में खर्च कम होता है और पर्यावरण नुकसान से भी बचा जा सकता है। वहीं, सुखबीर बादल ने कहा कि लगभग पांच साल में पंजाब देश के दूसरे राज्यों को बिजली बेच सकेगा। बिंजों प्लांट के स्थापित हो जाने से जहां क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं किसानों की प्रति एकड़ दो से तीन हजार रुपये आय बढ़ेगी।
---- काश! हम भी पुरुष होते
लंदन। क्या महिलाओं को कभी इस बात का अफसोस होता है कि ईश्वर ने उन्हें पुरुष क्यों नहीं बनाया। ब्रिटेन में किए गए एक सर्वे के मुताबिक मासिक धर्म के तनाव से तंग आकर महिलाएं कई बार खुद के पुरुष न होने पर अफसोस जाहिर करती हैं। अखबार 'डेली एक्सप्रेसÓ के मुताबिक 15 प्रतिशत महिलाओं ने कबूल किया कि मासिक धर्म के तनाव के कारण जब उन्हें मानसिक व्याधियों से गुजरना पड़ता है, तब उन्हें पुरुष न होने का अफसोस होता है। 9 प्रतिशत महिलाएं मानती हैं कि अंदरूनी और बाहरी शारीरिक संरचना के मामले में पुरुष ज्यादा सहज महसूस करते हैं। 2048 महिलाओं पर कराए गए सर्वे से पता चला कि 12 प्रतिशत महिलाएं किसी भी हालत में गर्भधारण के लिए तैयार नहीं होती हैं। 87 फीसदी महिलाओं ने स्वीकार किया कि वे जवानी की ओर कदम रखते वक्त अपने शरीर में हो रहे बदलावों को लेकर सहज नहीं होती हैं। कुल मिलाकर, महिलाओं को अपने स्त्रीत्व से प्यार है और इनमें से 36फीसदी ने इसके लिए यह दलील दी है कि उन्हें अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने की आजादी होती है।
---- अब 'मारुति 800 कार नहीं बिकेगी
हर आम आदमी के कार लेने के सपने को पूरा करने वाली कार 'मारुति 800Ó अब नहीं बिकेगी। कंपनी ने अपनी सबसे ज्यादा बिकने वाली इस कार को हटाने का फैसला किया है। देश की सर्वश्रेष्ठ कार निर्माता कंपनी अपनी सबसे ज्यादा लोकप्रिय कार 'मारुति 800Ó को बंद करने जा रही है। कंपनी 1 अप्रैल से देश के 11 शहरों में 'मारुति 800Ó की बिक्री पर रोक लगाएगी। साथ ही कंपनी ने इस कार को रिप्लेस (प्रतिस्थापित) करने का भी कोई इरादा नहीं जताया है। कंपनी के मुताबिक उनकी आने वाली नई कार 'किज़ाशीÓ को अभी फिलहाल भारत में पेश नहीं किया जाएगा।
---- अब पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक
लंदन। महिलाओं को जल्द ही परिवार नियोजन की जिम्मेदारी से मुक्ति मिलने वाली है और इसके लिए वैज्ञानिकों का शुक्रिया अदा किया जाना चाहिए जो पुरुषों के एक गर्भनिरोधक पर काम करने में जुटे हैं।
डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दवा के परीक्षण में 80 जोड़े भाग ले रहे हैं जिसके बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि यह उस गोली जितना ही प्रभावी होगा जिसका सेवन महिलाएं करती हैं लेकिन इसे स्तन कैंसर और घातक रक्त थक्के बनने से जोड़ा जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, नया गर्भनिरोधक हर दो माह पर दो इंजेक्शनों के रूप में दिया जाता है जिससे यह पुरुषों के दिमाग को शुक्राणुओं का उत्पादन बंद करने का निर्देश देता है। इसमें पुरुषों का यौन हार्मोन टेस्टोस्टेरोन व महिला यौन हार्मोन प्रोजेस्टेरोन का मानव निर्मित संस्करण होता है और जब दिमाग को इनकी मौजूदगी का अहसास होता है तो यह उन अन्य हार्मोनों के स्तर को कम कर देता है जो शुक्राणु उत्पादन और उनके परिपक्व होने को नियंत्रित करता है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि यह 99 फीसदी मामलों में प्रभावी है और एक बार इंजेक्शन बंद करने के बाद शुक्राणुओं की संख्या तेजी से सामान्य हो जाती है। दो साल से चल रहे परीक्षणों की अगुवाई कर रहे ईडनबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिचर्ड एंड्रसन का मानना है कि यह गर्भनिरोधक महिलाओं और पुरुषों, दोनों के बीच लोकप्रिय होगा। लेकिन चूंकि यह यौन संचारी रोगों के खिलाफ सुरक्षा मुहैया नहीं कराएगा तो ऐसी स्थिति में यह एक दूसरे के प्रति ईमानदारी से समर्पित जोड़ों के लिए ही अधिक कारगर होगा। एंड्रसन ने कहा- बहुत सी औरतें सोचती हैं कि यह पुरुषों के जिम्मेदारी संभालने की बारी है। जब हमने महिलाओं के बीच सर्वे किया तो पाया कि वे इसे लेकर काफी उत्साही हैं। इसका एकमात्र सबसे बड़ा कारण यह है कि वे गर्भनिरोधक की जिम्मेदारी बांटना चाहती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस गर्भनिरोधक से किसी प्रकार के दुष्प्रभावों की आशंका नहीं है लेकिन कुछ पुरुषों ने ठंडा, गरम लगने, मूड में बदलाव होने या मुंहासे निकलने की शिकायत की है।
---- वरुण का बड़बोलापन
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के प्रपौत्र और मेनका गांधी के पुत्र वरुण गांधी एक बार फिर अपने विवादित भाषणों के कारण चर्चा में हैं। इस बार उनके निशाने पर यूपी की मुख्यमंत्री मायावती और केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार हैं। हाल ही में दिये अपने एक भाषण में वरुण गांधी ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को सूर्पनखा बना डाला तथा वरिष्ठ नेता शरद पवार को रावण। पीलीभीत से भाजपा के युवा सांसद वरुण गांधी ने बेतहाशा बढ़ती महंगाई के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को जिम्मेदार बताया। उन्होंने शिकारपुर में एक समारोह में कहा कि महंगाई के लिए शरद पवार और मायावती जिम्मेवार हैं। उन्होंने कहा कि दोनों के कुप्रबंधन के कारण महंगाई आसमान छू रही है।
दरअसल वरुण को लेकर भाजपा के अंदर ही घमासान मचा है। भाजपा का भाग्य चमकाने वाला संघ राहुल गांधी के मुकाबले में वरुण गांधी को भगवा ब्रिगेड का सेनापति बनाना चाहता है जबकि भाजपा के शीर्ष नेता इसके लिए तैयार नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के प्रभारी अरुण जेटली सूर्य प्रताप शाही को प्रदेश भाजपा की कमान देने के पक्ष में हैं। इस बीच वरुण का रास्ता रोकने के लिए पिछड़े नेताओं ने भी कमर कस ली है। लोगों का मानना है कि बुलंद शहर में मायावती और शरद पवार की सूर्पनखा और रावण से तुलना वाली उनकी टिप्पणी संघ के द्वारा ही तय की गयी थी। वरुण की यही तमन्ना है कि भाजपा उन्हें यूपी के भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश करे। लेकिन पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता उनको बहुत महत्व देने के पक्ष में नहीं हैं।वरुण गांधी का जन्म 13 मार्च 1980 को हुआ।
संजय गांधी और मेनका के पुत्र वरुण अपने बड़बोलेपन के लिए ज्यादा जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा मॉडर्न स्कूल, नई दिल्ली से शुरू की। चौथी कक्षा के बाद वह ऋषि वैली स्कूल, आंध्र प्रदेश चले गये।
तत्पश्चात वापस नई दिल्ली के दि ब्रिटिश स्कूल चले आये। वरुण ने अपना राजनीतिक जीवन अपनी मां की तरह ही कम आयु में प्रारंभ कर दिया। अगस्त 1999 में वे 19 साल की आयु में अपनी मां के चुनाव क्षेत्र पीलीभीत से सक्रिय हुए। बाद में वह भाजपा की सक्रिय राजनीति से जुड़ गये। उनको 2004 में बीजेपी के मुख्य प्रचारक के तौर पर चुनाव में उतारा गया। नवंबर 2004 में वह भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में शामिल हुए। भाजपा ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पीलीभीत सीट से अपना प्रत्याशी बनाया। वर्तमान में वरुण भाजपा के फायर ब्रांड नेता के रूप में जाने जाते हैं। मार्च 2009 में एक चुनाव सभा में उनके द्वारा दिये गये विवादित भाषण पर काफी लंबे समय तक राजनीति गरमाई रही। चुनाव आयोग ने यूपी के मुख्य चुनाव आयुक्त को निर्देश दिया कि वो भारतीय दंड संहिता तथा जन विरोधी गतिविधियों के तहत वरुण गांधी पर मुकदमा दर्ज कराए। बाद में वरूण गांधी ने पीलीभीत में स्थानीय अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, बाद में पेरोल पर रिहा कर दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने वरुण गांधी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून भी लगाया। वरुण गांधी ने राजनीति में बढ़ते परिवारवाद का भी विरोध किया है। अपने हाल में दिये गए भाषण में उन्होंने कहा कि गांधी, सिंधिया और पायलट परिवार के लोगों को ही नहीं बल्कि आम जनता को भी संसद में जाना चाहिए। जनसभा में पुलिस की बड़ी संख्या में तैनाती पर भी चुटकी लेते हुए मायावती को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कहीं मायावती उन्हें फिर सलाखों के पीछे तो नहीं डालना चाह रही।
---- लंबी जुल्फें अब ज्यादा आसान
बेटी के लंबे बाल मेनटेन करना आसान काम पहले नहीं था। अब अगर आप बेटी की लहराती जुल्फों को और बेहतर करना चाहती हैं, तो चुटकियों में ये काम हो सकता है।
लंबे बालों का स्टाइल एवरग्रीन है। कहा जाता है कि लंबे बालों वाली लड़कियों को लोग आम लड़कियों से अधिक जि6मेदार, शांत और नम्र मानते हैं। शायद इसीलिए हर मां अपनी बेटी के लंबे बालों का सपना संजोती है। स्कूल जाती अपनी बेटी के लंबे बालों से मां की 4यूटीसेंस का भी पता चलता है और बेटी की खूबसूरती का श्रेय भी उसे मिलता है। हालांकि लंबे बालों की समस्याएं कुछ ज्यादा ही होती हैं, लेकिन भरोसेमंद शैंपू से अगर नियमित रूप से धोया जाए, तो इनसे छुटकारा पाया जा सकता है। लखनऊ की मीना श्रीवास्तव के लंबे बाल हैं। और वे चाहती थीं कि उनकी बेटी रूबी को भी वही तारीफ मिले, जो उन्होंने अपने स्कूल डेज में लंबे बालों के कारण पाई थी। इसीलिए रूबी के बालों पर उन्होंने शुरुआत से ही काफी ध्यान दिया। पहले उनकी मां ही उनके बालों की देखरेख करती थी। इसीलिए मीना बताती हैं कि शुरुआत में उन्हें यह अहसास ही नहीं था कि लंबे बाल मेनटेन करना आसान काम नहीं है। खासतौर पर जब बेटी स्कूल जाती हो, जहां पॉल्यूशन और खेल के दौरान बालों को कई तरह से डैमेज झेलना पड़ता है। लेकिन उनका कहना है कि बेहतर शैंपू और कुदरती उपचार से आप बालों को इन सभी समस्याओं से बचा कर रख सकती हैं।
बालों का टूटना
लंबे बाल छोटे बालों की तुलना में काफी ज्यादा झड़ते हैं। चाहे स्कूल जाने वाली लड़कियां हों या कि प्रौढ़ महिला। अध्ययन बताते हैं कि लगभग 60 फीसदी लंबे बालों वाली महिलाओं की बालों संबंधी प्रमुख समस्या बालों का झडऩा ही होता है। रितु की मां के लिए रितु के झड़ते बाल सिरदर्द साबित हो रहे थे। छठी में पढऩे वाली रितु के बाल काले और घने थे। लेकिन एग्जाम टाइम के बाद से उसके बालों का झडऩा रुक ही नहीं रहा था। आखिर में उन्होंने रितु के बालों को कुदरती ट्रीटमेंट देना शुरू किया। देखते ही देखते उसके झड़ते बालों की समस्या एकदम खत्म हो गई और बालों के बढऩे की गति भी तेज हो गई। हालांकि लंबे बालों के झडऩे की समस्या को उचित खानपान से भी संभाला जा सकता है।
बालों में रुसी
बाल झडऩे का एक कारण सिर के रोमछिद्रो में छिपी धूल-मिट्टी भी हो सकती है। फलस्वरूप रूसी की समस्या भी देखने में आती है। जिस कारण ब"ो हर दम अपना सिर खुजलाते दिखाई दे जाते हैं। जुएं भी इस गंदगी का परिणाम हो सकती हैं। इसलिए साफ-सफाई पर भी खासा ध्यान देना पड़ता है। स्कूल जाने वाली ब"ाी की दिनचर्या ऐसी होती है, जिसमें बालों की देखभाल को ज्यादा समय देना हर दिन मुश्किल होता है।एक बेहतर शैंपू इस समस्या को आसान बना देता है। कमला वर्मा बेटी के बालों की हर्बल केयर को ध्यान में रखती हैं। लेकिन समय की बचत के लिए वे ऐसा शैंपू ही लगाती हैं, जो हर्बल बेस्ड हो।
दो मुंहे बाल
सुमन बंसल की बेटी के बाल लंबे हैं, लेकिन नीचे से दोमुंहे थे। इस कारण बालों में खूबसूरती आ ही नहीं रही थी। सुमन का कहना है कि बालों की ऑइलिंग, समय-समय पर ट्रिमिंग और भरोसेमंद शैंपू इस समस्या से छुटकारा दिलाता है।
कड़े बाल
अगर बालों को रगड़ कर धोएं या फिर बहुत जोर लगाकर तौलिए से साफ करें, तो बालों के टूटने के अलावा सूखने के बाद उनमें एक खुरदरापन महसूस होता है। कविता आर्य यह बात समझ गई थीं। इसीलिए अपनी बेटी के बालों को वे भरोसेमंद शैंपू से धोने के बाद कंडीशन करती हैं।
.....गज़ल....
खता
हम गल्तियाँ अक्सर रोज़ ही किया करते हैं,
ये भी सच है के दोष दूजे को दिया करते हैं
ये फितरत है, शरारत है या नादानी कोई,
सबक लेने की न सोच फिर गिला करते हैं
अब तलक ये तमाशा यूँ ही चलता रहा,
जि़न्दगी को तमाशा बना के जिया करते हैं
कैसी-कैसी जंग सही ज़ख्मी भी हुआ मगर,
मरहम न दिया न मरहम लिया करते हैं
सपनो की दुनियाँ में राजा ही बनते रहे,
हकी$कत ये के नोकरी दूजे की किया करते हैं
शराब में ऐसा क्या है इसके बिना रह नहीं सकते,
पैसा न भी हो पास तो मांग के पीया करते हैं
'रत्ती लम्बी दूरियाँ खुद ही कम हो जाती हैं,
जब-जब हम अपने होटों को सिया करते हैं
- सुरिन्दर रत्ती
चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) इनेलो ने हुड्डा सरकार द्वारा क्लर्क पद की भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता बढ़ाकर बीए किए जाने के फैसले को पूरी तरह से अनुचित व गलत बताते हुए सरकार से यह तुगलकी फैसला तुरन्त वापिस लिए जाने की मांग की है। इनेलो के प्रधान महासचिव व डबवाली के विधायक अजय सिंह चौटाला ने कहा कि हुड्डा सरकार द्वारा यह फैसला बिना सोचे-समझे लिया गया है और सरकार के इस फैसले से जहां ग्रामीण आंचल में बसने वाले व गरीब परिवारों से सम्बन्ध रखने वाले युवक पूरी तरह से सरकारी नौकरियों से वंचित हो जाएंगे वहीं सरकार द्वारा लिपिक के लिए न्यूनतम योग्यता आईएएस, आईपीएस व एचसीएच अफसरों के लिए वांछित न्यूनतम योग्यता के बराबर कर दिए जाने के फैसले को कहीं भी समझदारीपूर्वक फैसला नहीं कहा जा सकता। अजय सिंह चौटाला ने कहा कि यह फैसला विभिन्न पदों पर काम करने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों में जहां वेतनमानों व अन्य मामलों में असमानता पैदा करेगा वहीं इस फैसले से यह भी नजर आता है कि हुड्डा सरकार बिना सोचे-समझे आंखें मूंदकर फैसले ले रही है। उन्होंने कहा कि आईएएस, आईपीएस व एचसीएस जैसी शीर्ष प्रथम श्रेणी सेवाओं के लिए उम्मीदवार के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक रखी गई है। यानी कोई भी बीए पास युवा आईएएस, आईपीएस या एससीएस अफसर भर्ती हो सकता है। अब क्लर्क लगने के लिए भी शैक्षणिक योग्यता तो आईएएस के बराबर कर दी गई है लेकिन लिपिक के वेतनमान में कोई संशोधन किए बगैर न्यूनतम योग्यता बढ़ाए जाने के फैसले को पूरी तरह से अनुचित व गलत माना जा रहा है।महासचिव ने कहा कि कर्मचारियों के विभिन्न वर्गों के वेतनमान तय करते समय उन वर्गों की न्यूनतम योग्यता को भी ध्यान में रखा जाता है। इस समय कर्मचारियों के अनेक वर्ग ऐसे हैं जिनकी न्यूनतम योग्यता स्नातक से कम है और उनका वेतनमान लिपिक से ज्यादा रखा गया है। अब लिपिक की न्यूनतम योग्यता स्नातक कर दिए जाने से कम योग्यता वाले कर्मचारियों को ज्यादा वेतनमान और ज्यादा योग्यता वाले कर्मचारियों का न्यूनतम वेतनमान कम हो जाएगा जिसके चलते कर्मचारी वर्गों में भी भारी असमानता पैदा हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वैसे भी प्रथम श्रेणी कर्मचारियों व तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को एकसमान किए जाना किसी भी तरह से समझदारीपूर्वक फैसला नहीं माना जा सकता। अजय सिंह चौटाला ने कहा कि अगर हुड्डा सरकार क्लर्क के लिए न्यूनतम योग्यता बीए पास रखना चाहती है तो उसे फिर क्लर्क पद का न्यूनतम वेतनमान भी बढ़ाकर उन पदों के बराबर करना चाहिए जिन पदों पर लगने वाले कर्मचारियों की न्यूनतम योग्यता स्नातक है। उन्होंने कहा कि हुड्डा सरकार ने वैसे भी पिछले पांच सालों के दौरान प्रदेश के युवा वर्ग के साथ नौकरियों के मामले में भारी भेदभाव किया है और हरियाणा में नौकरियां सरेआम नीलाम हो रही हैं। उन्होंने कहा कि नौकरियों व विकास के मामले में हुड्डा सरकार ने प्रदेश में क्षेत्रवाद को बढ़ावा दिया और अब सरकार के इस फैसले से नौकरियों के लिए आवेदन करने वाले ग्रामीण क्षेत्र के युवकों को भी पूरी तरह से वंचित करने का प्रयास किया गया है। इनेलो नेता ने कहा कि हुड्डा सरकार बिना सोचे-समझे व बिना किसी तर्क के आए दिन तुगलकी फैसले ले रही है, जिससे साफ है कि प्रदेश सरकार एक निर्वाचित लोकतान्त्रिक सरकार की तरह नहीं बल्कि राजे-महाराजाओं की शैली में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को अपना यह गलत व अनुचित आदेश तुरन्त वापिस लेना चाहिए ताकि गरीब परिवारों के साथ-साथ ग्रामीण आंचल में बसने वाले युवक भी प्रदेश में क्लर्क भर्ती होने के लिए आवेदन दे सकें। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने यह फैसला तुरन्त वापिस न लिया तो युवा व कर्मचारी वर्ग में सरकार के प्रति रोष और ज्यादा बढ़ जाएगा और प्रदेश का युवा वर्ग इस भ्रष्ट व तुगलकी सरकार को चलता करके ही दम लेगा।
---- सफेद हाथी साबित हो रहा है डबवाली का सामान्य हस्पताल
डबवाली (सुखपाल ) तीन राज्यों की सीमाओं पर स्थित शहर डबवाली 23 दिसम्बर 1995 में उस समय सुॢखयों में आया जब इस मनहूस दिन सैंकड़ों बच्चे, महिला एवं पुरूष काल का ग्रास बन गए। उस समय की सरकार ने शहरवासियों की मांग पर एक बड़ा सामान्य हस्पताल का निर्माण करवाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। बड़े जोर शोर से कहा गया कि इस सामान्य हस्पताल में हर वह सुविधा उपलब्ध रहेगी जो किसी बड़ शहर के हस्पतालों में होती है। लेकिन जैसी घोषणाऐं आज बोर्डों व कागजों में सिमटी हुई दिखाई दे रही हैं। क्योंकि असलियत यह है कि यहांकुछ सुविधाऐं तो हैं लेकिन उनका उपयोग करने के लिए अधिकारी तथा कर्मचारी उदासीन रवैया अपनाऐ हुए हैं। इस हस्पताल में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों के उदासीन रवैय के कारण स्वास्थ्य विभाग व सरकारी दावों के विपरीत दिशा में यह हस्पताल जा रहा है। इस सामान्य हस्पताल की इमारत की भिन्न - भिन्न दीवारों पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं का ब्यौरा बड़े - बड़े अक्षरों में दर्शाया गया है। इन बोर्डों पर दिखाई गई सूची पर दावे तो अनेक हैं लेकिन उनमेंसे अमल केवल कुछ ही बातों पर किया जाता है। इन दावों में से एक कि सभी बीपीएल कार्ड धारकों एवं मलीन बस्ती में रहने वालों जिनके पास हरियाणा सरकार द्वारा जारी उपयुक्त राशन कार्ड हैं। उन सभी नागरिकों को मुफ्त चिकित्सा सुविधाऐं दी जाती हैं। महिलाओं की प्रसूति सेवाऐं व ओपीडी एवं आपातकालीन विवाद में सभी प्रकार की दवाऐं मुफ्त दी जाती हैं। अब अगर इन सभी बातों को गहराई से देखा जाऐ तो असलियत कुछ ओर है। यह सही है कि बीपीएल कार्ड धारकों को कुछ सुविधाऐं तो मुफ्त दी जाती हैं लेकिन मरीजों को कुछ हद तक परेशान करने के पश्चात। यदि दूसरे दावों की बात की जाऐ तो यह दावे बिल्कुल खोखले नज़र आते हैं। क्योंकि इस सामान्य हस्पताल में न तो कोई आँखों का विशेषज्ञ है और न ही कोई ईएनटी स्पैशलिस्ट। इसके अलावा कार्यरत महिला चिकित्सक के भी लम्बी छुटी पर चले जाने के कारण महिला रोगियों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि सामान्य हस्पताल में इनकी नियुक्ति के पश्चात बड़ी संख्या में महिला रोगियों को फायदा पहुंचा परन्तु इनके छुटी पर रहने के बाद किसी अन्य महिला चिकित्सक के उपलब्ध न रहने से महिला रोगी हस्पताल से वापिस लोटने को विवश हैं। उपरोक्त हस्पताल में रेडियों ग्राफिक की मशीन तो मौजूद है लेकिन रेडियों ग्राफर के न रहने से लाखों रूपयों की लागत की यह मशीन धूल फांक रही है। एक्सरे सुविधा उपलब्ध तो है लेकिन उसका लाभ कितने रोगी उठा पाते हैं यह भी जगजाहिर है। क्योंकि एक्सरे करने का कार्य ठेका प्रणाली पर होने के कारण एक्सरे टेक्रिशियन नदारद रहता है। जिसके चलते विचारे रोगी इसका फायदा न उठाकर निजी एक्सरे टेक्रिशियन के पास जाकर मोटी फीस देने को विवश हैं। इसी तरह नेत्र रोग विशेषज्ञ न होने के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्योंकि ड्राईविंग लाईसैंस बनवाने के लिए आँखों की जांच रिपोर्ट साथ लगानी पड़ती है, मगर चिकित्सक न होने के कारण प्रतिदिन कितने ही लोग हस्पताल से बैङ्क्षरग लोट रहे हैं। उन्हें प्राईवेट हस्पतालों में भारी फीस देकर उक्त रिपोर्ट लेनी पड़ती है। अब सोचने वाली बात यह है कि ऐसे में बीपीएल कार्ड धारकों व मलीन बस्तियों में रहने वाले लोगों को हकीकत में कितनी सुविधाऐं उपलब्ध हो पाती हैं। इससे एक तरफ हरियाणा सरकार द्वारा स्वस्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के बड़े - बड़े दावों की हवा निकलते हुए दिखाई दे रही है। वहीं आम आदमी के साथ स्वास्थ्य सेवाऐं एक मजाक बन कर रह गई हैं।
---- एक ओर जंग लडऩे की तैयारी में सियासत के महारथी
सिरसा (अमरिन्द्र) ऐलनाबाद उपचुनाव के नतीजे आने के बाद अब हरियाणा का राजनैतिक नीचे आने की बजाय और ऊपर चढऩे वाला है। हरियाणा में निकाय चुनावों के लिए मतदाताअेां की सूची तैयार होनी शुरू हो गई है और अप्रैल मई के महीनें में यह चुनाव करवाए जाने की उम्मीद लगाई जा रही है। वैसे तो आम तौर पर यह चुनाव पार्टी चिन्ह पर नहीं लड़े जाते लेकिन सभी राजनैतिक दलों और दिग्गजों के सीधे तौर पर शामिल रहने से इन चुनावों का महत्व बहुत बढ़ जाता है। सभी राजनैतिक दल स्थानीय स्तर पर अपनी चौधर कायम रखने के लिए इन चुनावों को बेहद संजीदा ढंग से लड़ते हैं। पार्टी चिन्ह पर न लडे जाने के बावजूद यह चुनाव किसी भी दल के लिए उसकी प्रतिष्ठा का सवाल होते हैं। इन्हीं चुनावों से पता चलता है कि किस राजनैतिक दल की जनता में कितनी पैठ है। इस बार के यह चुनाव न सिर्फ स्थानीय स्तर पर लडऩे वाले उम्मीदवारों बल्कि प्रदेश की सभी राजनैतिक पार्टियों के लिए बहुत मायने रखते हैं। उपचुनाव के नतीजों से उत्साहित इनैलो जहां इन चुनावों को जीत सरकार को भेदने की कोशिश करेगी वहीं कांग्रेस भी शहरों में अपने मजबूत जनाधार का दमभर इन चुनावों को जीतने का दावा कर रही हैं। इन दो राजनैतिक दलों के अलावा हरियाणा जनहित कांग्रेस के लिए तो यह चुनाव अस्तित्व की लड़ाई है। हजकां प्रमुख कुलदीप बिश्रोई दोबारा मिले इस मौके को खोना नहीं चाहेंगे। इस बार हजकां भी इस चुनावी मुकाबले में मौजूद होगी। हरियाणा विधानसभा में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने के बावजूद भाजपा इस चुनावी मुकाबले में खड़ी नजर आ रही है। भारतीय जनता पार्टी को हरियाणा में शहरी पार्टी माना जाता है। भाजपा भी इन चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के लिए जी तोड़ प्रयास करेगी। वहीं पहली बार बसपा ने अपनी पार्टी के चुनाव निशान हाथी पर इन चुनावो को लडऩे का ऐलान किया है। इस बार हाथी पर सवार बसपा के उम्मीदवार भी इनैलो-कांग्रेस के साथ-साथ हजकां-भाजपा के प्रत्याशियों को चुनौती देने के लिए मैदान में डटेंगे। सिरसा नगर परिषद के लिए भी इस बार चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने के उम्मीद है। जहां इनैलो नेतृत्व अपने गृह क्षेत्र कांग्रेस से यह ताज छीनने की कोशिश करेगा वहीं ऐलनाबाद की हार के बाद अब कांग्रेस सिरसा नगर परिषद से अपनी चौधर नहीं गंवाना चाहेगी। कहा जा रहा है कि इन चुनावों में कांग्रेस की तरफ से अहम ीाूमिका में रहने वाले हरियाणा के पूर्व कैबीनैट मंत्री लछमन दास अरोड़ा के सिरसा से चुनाव हर जाने और तबीयत ठीक न होने के वजह से इस बार इन चुनावों की कमान स्थानीय स्तर के नेताओं के साथ मिलकर सिरसा से चुनाव जीत कांगे्रस को समर्थन देने वाले गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा के हाथ रहने की संभावना है। जहां विधानसभा चुनाव के बाद गोपाल कांडा के पास फिर से एक बार खुद को साबित करने का अवसर होगा, वहीं इस बार उनका मुकाबला सीधे तौर पर हरियाणा विधानसभा में ३२ विधायकों के साथ मजबूत विपक्ष की भूमिका में खड़ी इनैलो के साथ उसके गृह क्षेत्र में होगा।
जहां इस बार इनैलो नगर परिषद में अपने खोए मुकाम को दोबारा हासिल करने के इरादे से उतरेगी। बेहद महत्वपूर्ण होते हैं यह चुनाव- स्थानीय स्तर के यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होते हैं यही वजह है कि सभी पार्टियां इन चुनावों को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा देती हैं। राजस्थान में इस बार न.प. अध्यक्षों का सीधा चुनाव करवाया गया। जिसके तहत अलवर नगर परिषद अध्यक्ष के चुनाव के लिए ३ लाख से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार प्रयोग किया। जबकि एक विधायक का चुनाव सवा से डेढ़ लाख मतदाता मतदान करते हैं। इसी बात से इन चुनावों के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है।
हरियाणा में नहीं होंगे नप अध्यक्ष के सीधे चुनाव-
पड़ौसी राज्य राजस्थान की तर्ज पर हरियाणा में सीधे नगर परिषद के चुनाव करवाए जाने पर विचार किया गया। लेकिन अब तक इस बारे में सरकार द्वारा कोई फैसला न लिए जाने और निकाय चुनावों के लिए अधिसूचना जारी हो जाने से लगता नहीं कि इस बार नगर परिषद और नगरपालिका अध्यक्षों के सीधे चुनाव हो पाएंगे।
फर्जी विकलांगों के खिलाफ हो मामला दर्ज
सिरसा। विकलांग संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष बलजीत राज घणघस ने हरियाणा सरकार द्वारा फर्जी विकलांग शिक्षकों की बर्खास्तगी के निर्णय का स्वागत करते हुए राज्य सरकार से मांग की है कि फर्जी विकलांग शिक्षकों के खिलाफ विकलांग कानून 1995 के तहत मामला दर्ज करके सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति फर्जी विकलांग बनकर विकलांगों के हितों पर कुठाराघात न कर सके। घणघस ने राज्य सरकार से यह भी मांग की है कि फर्जी मेडिकल बनाने वाले डाक्टरों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भ्रष्टाचार समाप्त हो सके। उन्होंने कहा कि जहां वास्तविक विकलांग मेडिकल बनवाने के लिए भारी मानसिक व शारीरिक प्रताडऩा का शिकार होते हैं वहीं फर्जी मेडिकल बनाकर चिकित्सकों ने घोर पाप किया है, जिसके लिए वो सजा के पात्र है। घणघस ने कहा कि संघ इस कार्रवाई पर बराबर नजर बनाए हुए हैं और किसी भी स्तर पर यदि उक्त मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की गई तो संघ को आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा।
--- ज्योतिष शास्त्र एक रहस्य
लेखक : स. हरी वल्ल
विद्वान व प्रसिद्ध ज्योतिषविद्
डबवाली।
ऊँ गं गणपते नम: ऊँ श्री हरि ।।
वहीं श्री गणेश जी हमारा कल्याण करेंगे। जिनकी भक्ति भक्तजनों के हृदय में प्रीति प्रीत दिलवाने वाली होती है। जिनका वंश परम्परागत स्नेह सम्पूर्ण अभिलाषाओं को देने वाला होता है। जिसकी सब सुरा-सुर अराधना करते हैं और जो अपनी धीर गर्जना से विघ्रों का नाश करने पर तत्पर रहते हैं। जिनकी कृपा से सम्पूण कार्य सिद्ध होते हैं। उस देवी माँ सरस्वती के चरणों में शत-शत प्रणाम। ज्योतिष शब्द की उत्पत्ति ज्योति से हुई है तथा ज्योति का अर्थ है प्रकाश। जिन शब्दों से प्रकाश की किरणें निकलती हैं, उन्हें ज्योतिष कहा जाता है तारों के रूप में असंख्या ज्योतिषक आकाश में स्थित हैं। उनमें से ग्रह नामक कुछ ज्योतिषक पृथ्वी स्थित चराचर को प्रकाशित करते हैं। इस विषय की जानकारी जिस माध्यम से प्राप्त होती है उसे ही ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है। वेद संसार की सर्वाधिक प्राचीन पुस्तक है। इसे सबका मूल माना जाता है। वेद के चार भाग हैं। ऋग वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद। वेद के अंगों में सेेे ज्योतिष को नेत्र की संज्ञा दी गई है। जिस प्रकार नेत्रों के द्वारा सभी वस्तुओं को देखा जा सकता है उसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र द्वारा भूत, भविष्य व वर्तमान काल में घटने वाली घटनाओं के विचारने की जानकारी प्राप्त होती है। हम जिस पृथ्वी पर निवास करते हैं उसे समीपवर्ती समुद्र, आकाश आदि को विश्व कहा जाता है। यह विश्व ब्रह्माण्ड का एक छोटा सा भाग है। ब्रह्माण्ड के अन्दर जल, वायु, आकाश ग्रह, नक्षत्र, लोक-प्रलोक आदि सभी की गणना की जाती है। ब्रह्माण्ड का विस्तार कितना है। इसे न तो कोई जानता है और न ही इसकी कल्पना की जा सकती है। अलबता ब्रह्माण्ड के भीतर करोड़ों विश्व स्थित हैं। यह प्राचीन हिन्दू मानता है। वर्तमान युग के वैज्ञानिक भी इस तथ्य को स्वीकार करते हैं। इस अनन्त ब्रह्माण्ड में हमारे जैसे अनेक विश्वों की स्थिति सम्भव है और उनमें भिन्न - भिन्न प्राणियों का निवास भी हो सकता है। हमारे विश्व के आकाश में जो सूर्य दिखाई देता है। यह धरती से 110 गुणा बड़ा तथा सवा करोड़ मील दूर है। इसका तापमान 1 लाख डिग्री फार्नहाईट है। प्राचीन महाऋषियों ने आकाश से ऐसे 12 सूर्यों की उपस्थिति बताई है। आधुनिक वैज्ञानिक भी यह मानने लगे हैं कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक से अधिक सूर्य स्थित हैं। जो ज्योतिषक सूर्य के चारों और भ्रमण करते हैं उन्हें ही $गह कहा जाता है। $गह के चारों और कुछ अन्य छोटे ङ्क्षपड में भी हैं, उनको उपग्रह की संज्ञा दी गई है। यह मानना है कि पृथ्वी के अनगिनत सूर्य के चारों तरफ भ्रमण करने वाले 6 प्रमुख ग्रह हैं। चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, शनि तथा सूर्य सहित इनकी संख्या कुल सात हुई। प्राचीन ज्योतिष ग्रन्थों में उलेख मिलता है कि सभी ग्रह सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित होते हैं। पूर्ववर्ती विद्वानों का मत है कि अनुभव करने के बाद यह सात ग्रह अपनी - अपनी रोशनी-किरणों-से धरती को प्रभावित करते हैं। उसी प्रकाश पृथ्वी पर ऊतरी ऊषा धु्रवों की छाया वी परिवॢतत होकर पृथ्वीवासियों पर अपना प्रभाव प्रकट करती है। उन्हें ही राहू - केतू नामक दो नवीन छाया ग्रह ही कल्पना कर उन्हें भी शनि के साथ परतिष्टित कर दिया। इस प्रकार भारतीय ज्योतिष में इनकी संख्या 9 ग्रह - 7 प्लस 2 के रूप में हुई है। तारा होने के कारण सूर्य एक ही स्थान पर स्थिर रहता है। वह अपनक अक्स पर ही पश्चिम से पूर्व की ओर घूमता है। पृथ्वी के संचरनशील होने के कारण ही हमें सूर्य के घमने का आभास होता है। फलित ज्योतिष में आभास का ही विशेष महत्त्व है एवं सूर्य की गणना ही ग्रह के अन्तर्गत कर ली जाती है। पृथ्वी के संचरणशील होते हुए ही इस पर निवास करने वालों को उसके घूमने का आभास नहीं होता तथा पृथ्वी को फलित ज्योतिष के ग्रहों से अलग रखा गया है। जबकि इसके ध्रुवों की छाया को राहू-केतू के नाम से ग्रह मान लिया गया है। पृथ्वी के ग्रह से अलग रखने का एक कारण यह भी है कि हो सकता है कि जब ज्योतिष शास्त्र द्वारा पृथ्वी वासियों पर पडऩे वाला ग्रह प्रभाव विचारनीय विषय है। तब ग्रह हेतु पृथ्वी को भी ग्रह के रूप में स्वीकार करने का कोई अर्थ नहीं रहता।
---- कालांवाली में लाखों की चोरी
कालांवाली,दुर्गा मंदिर वाली गली में बीती रात एक बंद मकान से चोरों ने लाखों रुपयों की संपत्ति पर हाथ साफ कर लिया। गृह मालिक सुरेश कुमार महाजन अपने पूरे परिवार के साथ भुच्चो पंजाब में गए हुए थे। पीछे से चोर घर के मुख्य गेट का ताला तोड़ कर घुस गए। सुरेश के अनुसार चोर घर में रखी 36 हजार की नकदी, 12 तोले सोना व 22 तोले के करीब चंादी व अन्य सामान चुरा कर ले गए। सुरेश ने बताया कि रात को ही करीब 2 बजे उसके भाई ने उसके मकान में चोरी होने की जानकारी उसे फोन पर दी। उसके बाद उन्होंने रात को ही पुलिस को सूचित किया। मकान में बिखरे सामान को देखकर कयास लगाया जा रहा है कि चोरों ने सारी रात घर के प्रत्येक कमरे व अलमारी को खोलकर सामान की तलाशी ली होगी। इतना ही नहीं चोरों द्वारा ताला तोडऩे में इस्तेमाल की गई लोहे की राड व एक लोई को मौका पर ही छोड़ गए। उधर सिरसा में अज्ञात चोरों ने शहीद कृष्ण कुमार चौक पर लगी ग्रिल को भी नहीं बख्शा। चोरों ने शहीद की प्रतिमा के चारों ओर लगाई गई ग्रिल का आधा हिस्सा ही उखाड़ कर ले गए। ग्रिल के गायब होने का आज सुबह साथ के दुकानदारों को तब लगा जब वे अपनी दुकानों पर पहुंचे। दुकानदारों ने कीर्तिनगर पुलिस चौकी में चोरी की वारदात की सूचना दे दी है, लेकिन अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।
---- पंजाब में अब होगी बिजली क्रांति
लम्बी (लखवीर) : केंद्रीय नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि वह दिन अब दूर नहीं, जब देश का अन्न भंडार कहा जाने वाला पंजाब आने वाले चंद वर्षो में अन्य राज्यों को बिजली आपूर्ति भी वैसे ही करने लगेगा। अगले वर्ष पंजाब में बिजली क्रांति के हैं। चन्नू गांव में प्रदेश के तीसरे बायोमास पावर प्लांट एवं बिंजो गांव में ऐसे ही एक प्लांट का नींव पत्थर रखने के मौके पर डा. फारूख अब्दुल्ला ने प्रदेश के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि नवीकरण व गैरपरंपरागत ऊर्जा के क्षेत्र में पंजाब में हो रहे कार्य काफी उत्साहजनक हैं। पंजाब देश का एकमात्र ऐसा प्रदेश है, जिसने गैरपरंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों से अगले दो वर्षो में 1000 मैगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य रखा है। पंजाब की इस महत्वाकांक्षी योजना पर हो रहे कार्य को देखते हुए उनके मंत्रालय ने ऐसे 21 और प्रोजेक्ट इस प्रदेश को देने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही यहां किसानों को सौर ऊर्जा से चलने वाले ट्यूबवेल देने पर भी विचार किया जा रहा है, जिसमें किसानों को नाममात्र ही खर्च देना होगा। चन्नू गांव में स्थापित बायोमास (कृषि अवशिष्ट) से 14.5 मैगावाट क्षमता का है। प्रदेशभर में लगने वाले 29 बायोमास पावर प्रोजेक्ट में से यह तीसरा है, जिसकी लागत 80 करोड़ रुपये आई। बिंजों गांव में लगने वाला बायोमास पावर प्लांट 10 मैगावाट क्षमता का होगा। इसे ग्रीन प्लेनेट एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड स्थापित कर रही है। इस मौके पर मौजूद उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि प्रदेश भर में ऐसे 29 पावर प्लांट स्थापित किए जाने हैं, जो अपने क्षेत्र के 30 किलोमीटर क्षेत्र में किसानों से प्रतिवर्ष 40 करोड़ रुपये की खरीद करेंगे। यह खरीद छटियां, पराली, गोबर व अन्य कृषि अवशिष्ट होगी। इससे जहां किसानों को आर्थिक लाभ होगा, वहीं किसानों द्वारा कृषि अवशिष्ट को जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से भी छुटकारा मिलेगा और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कायम रहेगी। होशियारपुर जिले के बिंजों गांव में डा. फारूक ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को सब्सिडी पर सोलर ट्यूबवेल लगाकर देगी। इसमें किसानों को कुछ राशि ही खर्च करनी होगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार प्राकृतिक संसाधनों से बिजली पैदा करने वाले अधिक से अधिक प्लांट स्थापित करने के बारे में सोच रही है। इस समय देश में जो बिजली बनाई जा रही है, उसमें 85 प्रतिशत कोयला खप रहा है। इसके विपरीत प्राकृतिक संसाधनों से पैदा होने वाली बिजली में खर्च कम होता है और पर्यावरण नुकसान से भी बचा जा सकता है। वहीं, सुखबीर बादल ने कहा कि लगभग पांच साल में पंजाब देश के दूसरे राज्यों को बिजली बेच सकेगा। बिंजों प्लांट के स्थापित हो जाने से जहां क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं किसानों की प्रति एकड़ दो से तीन हजार रुपये आय बढ़ेगी।
---- काश! हम भी पुरुष होते
लंदन। क्या महिलाओं को कभी इस बात का अफसोस होता है कि ईश्वर ने उन्हें पुरुष क्यों नहीं बनाया। ब्रिटेन में किए गए एक सर्वे के मुताबिक मासिक धर्म के तनाव से तंग आकर महिलाएं कई बार खुद के पुरुष न होने पर अफसोस जाहिर करती हैं। अखबार 'डेली एक्सप्रेसÓ के मुताबिक 15 प्रतिशत महिलाओं ने कबूल किया कि मासिक धर्म के तनाव के कारण जब उन्हें मानसिक व्याधियों से गुजरना पड़ता है, तब उन्हें पुरुष न होने का अफसोस होता है। 9 प्रतिशत महिलाएं मानती हैं कि अंदरूनी और बाहरी शारीरिक संरचना के मामले में पुरुष ज्यादा सहज महसूस करते हैं। 2048 महिलाओं पर कराए गए सर्वे से पता चला कि 12 प्रतिशत महिलाएं किसी भी हालत में गर्भधारण के लिए तैयार नहीं होती हैं। 87 फीसदी महिलाओं ने स्वीकार किया कि वे जवानी की ओर कदम रखते वक्त अपने शरीर में हो रहे बदलावों को लेकर सहज नहीं होती हैं। कुल मिलाकर, महिलाओं को अपने स्त्रीत्व से प्यार है और इनमें से 36फीसदी ने इसके लिए यह दलील दी है कि उन्हें अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने की आजादी होती है।
---- अब 'मारुति 800 कार नहीं बिकेगी
हर आम आदमी के कार लेने के सपने को पूरा करने वाली कार 'मारुति 800Ó अब नहीं बिकेगी। कंपनी ने अपनी सबसे ज्यादा बिकने वाली इस कार को हटाने का फैसला किया है। देश की सर्वश्रेष्ठ कार निर्माता कंपनी अपनी सबसे ज्यादा लोकप्रिय कार 'मारुति 800Ó को बंद करने जा रही है। कंपनी 1 अप्रैल से देश के 11 शहरों में 'मारुति 800Ó की बिक्री पर रोक लगाएगी। साथ ही कंपनी ने इस कार को रिप्लेस (प्रतिस्थापित) करने का भी कोई इरादा नहीं जताया है। कंपनी के मुताबिक उनकी आने वाली नई कार 'किज़ाशीÓ को अभी फिलहाल भारत में पेश नहीं किया जाएगा।
---- अब पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक
लंदन। महिलाओं को जल्द ही परिवार नियोजन की जिम्मेदारी से मुक्ति मिलने वाली है और इसके लिए वैज्ञानिकों का शुक्रिया अदा किया जाना चाहिए जो पुरुषों के एक गर्भनिरोधक पर काम करने में जुटे हैं।
डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दवा के परीक्षण में 80 जोड़े भाग ले रहे हैं जिसके बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि यह उस गोली जितना ही प्रभावी होगा जिसका सेवन महिलाएं करती हैं लेकिन इसे स्तन कैंसर और घातक रक्त थक्के बनने से जोड़ा जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, नया गर्भनिरोधक हर दो माह पर दो इंजेक्शनों के रूप में दिया जाता है जिससे यह पुरुषों के दिमाग को शुक्राणुओं का उत्पादन बंद करने का निर्देश देता है। इसमें पुरुषों का यौन हार्मोन टेस्टोस्टेरोन व महिला यौन हार्मोन प्रोजेस्टेरोन का मानव निर्मित संस्करण होता है और जब दिमाग को इनकी मौजूदगी का अहसास होता है तो यह उन अन्य हार्मोनों के स्तर को कम कर देता है जो शुक्राणु उत्पादन और उनके परिपक्व होने को नियंत्रित करता है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि यह 99 फीसदी मामलों में प्रभावी है और एक बार इंजेक्शन बंद करने के बाद शुक्राणुओं की संख्या तेजी से सामान्य हो जाती है। दो साल से चल रहे परीक्षणों की अगुवाई कर रहे ईडनबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिचर्ड एंड्रसन का मानना है कि यह गर्भनिरोधक महिलाओं और पुरुषों, दोनों के बीच लोकप्रिय होगा। लेकिन चूंकि यह यौन संचारी रोगों के खिलाफ सुरक्षा मुहैया नहीं कराएगा तो ऐसी स्थिति में यह एक दूसरे के प्रति ईमानदारी से समर्पित जोड़ों के लिए ही अधिक कारगर होगा। एंड्रसन ने कहा- बहुत सी औरतें सोचती हैं कि यह पुरुषों के जिम्मेदारी संभालने की बारी है। जब हमने महिलाओं के बीच सर्वे किया तो पाया कि वे इसे लेकर काफी उत्साही हैं। इसका एकमात्र सबसे बड़ा कारण यह है कि वे गर्भनिरोधक की जिम्मेदारी बांटना चाहती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस गर्भनिरोधक से किसी प्रकार के दुष्प्रभावों की आशंका नहीं है लेकिन कुछ पुरुषों ने ठंडा, गरम लगने, मूड में बदलाव होने या मुंहासे निकलने की शिकायत की है।
---- वरुण का बड़बोलापन
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के प्रपौत्र और मेनका गांधी के पुत्र वरुण गांधी एक बार फिर अपने विवादित भाषणों के कारण चर्चा में हैं। इस बार उनके निशाने पर यूपी की मुख्यमंत्री मायावती और केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार हैं। हाल ही में दिये अपने एक भाषण में वरुण गांधी ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को सूर्पनखा बना डाला तथा वरिष्ठ नेता शरद पवार को रावण। पीलीभीत से भाजपा के युवा सांसद वरुण गांधी ने बेतहाशा बढ़ती महंगाई के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को जिम्मेदार बताया। उन्होंने शिकारपुर में एक समारोह में कहा कि महंगाई के लिए शरद पवार और मायावती जिम्मेवार हैं। उन्होंने कहा कि दोनों के कुप्रबंधन के कारण महंगाई आसमान छू रही है।
दरअसल वरुण को लेकर भाजपा के अंदर ही घमासान मचा है। भाजपा का भाग्य चमकाने वाला संघ राहुल गांधी के मुकाबले में वरुण गांधी को भगवा ब्रिगेड का सेनापति बनाना चाहता है जबकि भाजपा के शीर्ष नेता इसके लिए तैयार नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के प्रभारी अरुण जेटली सूर्य प्रताप शाही को प्रदेश भाजपा की कमान देने के पक्ष में हैं। इस बीच वरुण का रास्ता रोकने के लिए पिछड़े नेताओं ने भी कमर कस ली है। लोगों का मानना है कि बुलंद शहर में मायावती और शरद पवार की सूर्पनखा और रावण से तुलना वाली उनकी टिप्पणी संघ के द्वारा ही तय की गयी थी। वरुण की यही तमन्ना है कि भाजपा उन्हें यूपी के भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश करे। लेकिन पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता उनको बहुत महत्व देने के पक्ष में नहीं हैं।वरुण गांधी का जन्म 13 मार्च 1980 को हुआ।
संजय गांधी और मेनका के पुत्र वरुण अपने बड़बोलेपन के लिए ज्यादा जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा मॉडर्न स्कूल, नई दिल्ली से शुरू की। चौथी कक्षा के बाद वह ऋषि वैली स्कूल, आंध्र प्रदेश चले गये।
तत्पश्चात वापस नई दिल्ली के दि ब्रिटिश स्कूल चले आये। वरुण ने अपना राजनीतिक जीवन अपनी मां की तरह ही कम आयु में प्रारंभ कर दिया। अगस्त 1999 में वे 19 साल की आयु में अपनी मां के चुनाव क्षेत्र पीलीभीत से सक्रिय हुए। बाद में वह भाजपा की सक्रिय राजनीति से जुड़ गये। उनको 2004 में बीजेपी के मुख्य प्रचारक के तौर पर चुनाव में उतारा गया। नवंबर 2004 में वह भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में शामिल हुए। भाजपा ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पीलीभीत सीट से अपना प्रत्याशी बनाया। वर्तमान में वरुण भाजपा के फायर ब्रांड नेता के रूप में जाने जाते हैं। मार्च 2009 में एक चुनाव सभा में उनके द्वारा दिये गये विवादित भाषण पर काफी लंबे समय तक राजनीति गरमाई रही। चुनाव आयोग ने यूपी के मुख्य चुनाव आयुक्त को निर्देश दिया कि वो भारतीय दंड संहिता तथा जन विरोधी गतिविधियों के तहत वरुण गांधी पर मुकदमा दर्ज कराए। बाद में वरूण गांधी ने पीलीभीत में स्थानीय अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, बाद में पेरोल पर रिहा कर दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने वरुण गांधी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून भी लगाया। वरुण गांधी ने राजनीति में बढ़ते परिवारवाद का भी विरोध किया है। अपने हाल में दिये गए भाषण में उन्होंने कहा कि गांधी, सिंधिया और पायलट परिवार के लोगों को ही नहीं बल्कि आम जनता को भी संसद में जाना चाहिए। जनसभा में पुलिस की बड़ी संख्या में तैनाती पर भी चुटकी लेते हुए मायावती को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कहीं मायावती उन्हें फिर सलाखों के पीछे तो नहीं डालना चाह रही।
---- लंबी जुल्फें अब ज्यादा आसान
बेटी के लंबे बाल मेनटेन करना आसान काम पहले नहीं था। अब अगर आप बेटी की लहराती जुल्फों को और बेहतर करना चाहती हैं, तो चुटकियों में ये काम हो सकता है।
लंबे बालों का स्टाइल एवरग्रीन है। कहा जाता है कि लंबे बालों वाली लड़कियों को लोग आम लड़कियों से अधिक जि6मेदार, शांत और नम्र मानते हैं। शायद इसीलिए हर मां अपनी बेटी के लंबे बालों का सपना संजोती है। स्कूल जाती अपनी बेटी के लंबे बालों से मां की 4यूटीसेंस का भी पता चलता है और बेटी की खूबसूरती का श्रेय भी उसे मिलता है। हालांकि लंबे बालों की समस्याएं कुछ ज्यादा ही होती हैं, लेकिन भरोसेमंद शैंपू से अगर नियमित रूप से धोया जाए, तो इनसे छुटकारा पाया जा सकता है। लखनऊ की मीना श्रीवास्तव के लंबे बाल हैं। और वे चाहती थीं कि उनकी बेटी रूबी को भी वही तारीफ मिले, जो उन्होंने अपने स्कूल डेज में लंबे बालों के कारण पाई थी। इसीलिए रूबी के बालों पर उन्होंने शुरुआत से ही काफी ध्यान दिया। पहले उनकी मां ही उनके बालों की देखरेख करती थी। इसीलिए मीना बताती हैं कि शुरुआत में उन्हें यह अहसास ही नहीं था कि लंबे बाल मेनटेन करना आसान काम नहीं है। खासतौर पर जब बेटी स्कूल जाती हो, जहां पॉल्यूशन और खेल के दौरान बालों को कई तरह से डैमेज झेलना पड़ता है। लेकिन उनका कहना है कि बेहतर शैंपू और कुदरती उपचार से आप बालों को इन सभी समस्याओं से बचा कर रख सकती हैं।
बालों का टूटना
लंबे बाल छोटे बालों की तुलना में काफी ज्यादा झड़ते हैं। चाहे स्कूल जाने वाली लड़कियां हों या कि प्रौढ़ महिला। अध्ययन बताते हैं कि लगभग 60 फीसदी लंबे बालों वाली महिलाओं की बालों संबंधी प्रमुख समस्या बालों का झडऩा ही होता है। रितु की मां के लिए रितु के झड़ते बाल सिरदर्द साबित हो रहे थे। छठी में पढऩे वाली रितु के बाल काले और घने थे। लेकिन एग्जाम टाइम के बाद से उसके बालों का झडऩा रुक ही नहीं रहा था। आखिर में उन्होंने रितु के बालों को कुदरती ट्रीटमेंट देना शुरू किया। देखते ही देखते उसके झड़ते बालों की समस्या एकदम खत्म हो गई और बालों के बढऩे की गति भी तेज हो गई। हालांकि लंबे बालों के झडऩे की समस्या को उचित खानपान से भी संभाला जा सकता है।
बालों में रुसी
बाल झडऩे का एक कारण सिर के रोमछिद्रो में छिपी धूल-मिट्टी भी हो सकती है। फलस्वरूप रूसी की समस्या भी देखने में आती है। जिस कारण ब"ो हर दम अपना सिर खुजलाते दिखाई दे जाते हैं। जुएं भी इस गंदगी का परिणाम हो सकती हैं। इसलिए साफ-सफाई पर भी खासा ध्यान देना पड़ता है। स्कूल जाने वाली ब"ाी की दिनचर्या ऐसी होती है, जिसमें बालों की देखभाल को ज्यादा समय देना हर दिन मुश्किल होता है।एक बेहतर शैंपू इस समस्या को आसान बना देता है। कमला वर्मा बेटी के बालों की हर्बल केयर को ध्यान में रखती हैं। लेकिन समय की बचत के लिए वे ऐसा शैंपू ही लगाती हैं, जो हर्बल बेस्ड हो।
दो मुंहे बाल
सुमन बंसल की बेटी के बाल लंबे हैं, लेकिन नीचे से दोमुंहे थे। इस कारण बालों में खूबसूरती आ ही नहीं रही थी। सुमन का कहना है कि बालों की ऑइलिंग, समय-समय पर ट्रिमिंग और भरोसेमंद शैंपू इस समस्या से छुटकारा दिलाता है।
कड़े बाल
अगर बालों को रगड़ कर धोएं या फिर बहुत जोर लगाकर तौलिए से साफ करें, तो बालों के टूटने के अलावा सूखने के बाद उनमें एक खुरदरापन महसूस होता है। कविता आर्य यह बात समझ गई थीं। इसीलिए अपनी बेटी के बालों को वे भरोसेमंद शैंपू से धोने के बाद कंडीशन करती हैं।
.....गज़ल....
खता
हम गल्तियाँ अक्सर रोज़ ही किया करते हैं,
ये भी सच है के दोष दूजे को दिया करते हैं
ये फितरत है, शरारत है या नादानी कोई,
सबक लेने की न सोच फिर गिला करते हैं
अब तलक ये तमाशा यूँ ही चलता रहा,
जि़न्दगी को तमाशा बना के जिया करते हैं
कैसी-कैसी जंग सही ज़ख्मी भी हुआ मगर,
मरहम न दिया न मरहम लिया करते हैं
सपनो की दुनियाँ में राजा ही बनते रहे,
हकी$कत ये के नोकरी दूजे की किया करते हैं
शराब में ऐसा क्या है इसके बिना रह नहीं सकते,
पैसा न भी हो पास तो मांग के पीया करते हैं
'रत्ती लम्बी दूरियाँ खुद ही कम हो जाती हैं,
जब-जब हम अपने होटों को सिया करते हैं
- सुरिन्दर रत्ती