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शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

YOUNG FLAME 22 Feb 2nd EDITION (Hindi)


-- क्लर्क पद के लिए बीए योग्यता करना गलत: अजय चौटाला
चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) इनेलो ने हुड्डा सरकार द्वारा क्लर्क पद की भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता बढ़ाकर बीए किए जाने के फैसले को पूरी तरह से अनुचित व गलत बताते हुए सरकार से यह तुगलकी फैसला तुरन्त वापिस लिए जाने की मांग की है। इनेलो के प्रधान महासचिव व डबवाली के विधायक अजय सिंह चौटाला ने कहा कि हुड्डा सरकार द्वारा यह फैसला बिना सोचे-समझे लिया गया है और सरकार के इस फैसले से जहां ग्रामीण आंचल में बसने वाले व गरीब परिवारों से सम्बन्ध रखने वाले युवक पूरी तरह से सरकारी नौकरियों से वंचित हो जाएंगे वहीं सरकार द्वारा लिपिक के लिए न्यूनतम योग्यता आईएएस, आईपीएस व एचसीएच अफसरों के लिए वांछित न्यूनतम योग्यता के बराबर कर दिए जाने के फैसले को कहीं भी समझदारीपूर्वक फैसला नहीं कहा जा सकता। अजय सिंह चौटाला ने कहा कि यह फैसला विभिन्न पदों पर काम करने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों में जहां वेतनमानों व अन्य मामलों में असमानता पैदा करेगा वहीं इस फैसले से यह भी नजर आता है कि हुड्डा सरकार बिना सोचे-समझे आंखें मूंदकर फैसले ले रही है। उन्होंने कहा कि आईएएस, आईपीएस व एचसीएस जैसी शीर्ष प्रथम श्रेणी सेवाओं के लिए उम्मीदवार के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक रखी गई है। यानी कोई भी बीए पास युवा आईएएस, आईपीएस या एससीएस अफसर भर्ती हो सकता है। अब क्लर्क लगने के लिए भी शैक्षणिक योग्यता तो आईएएस के बराबर कर दी गई है लेकिन लिपिक के वेतनमान में कोई संशोधन किए बगैर न्यूनतम योग्यता बढ़ाए जाने के फैसले को पूरी तरह से अनुचित व गलत माना जा रहा है।महासचिव ने कहा कि कर्मचारियों के विभिन्न वर्गों के वेतनमान तय करते समय उन वर्गों की न्यूनतम योग्यता को भी ध्यान में रखा जाता है। इस समय कर्मचारियों के अनेक वर्ग ऐसे हैं जिनकी न्यूनतम योग्यता स्नातक से कम है और उनका वेतनमान लिपिक से ज्यादा रखा गया है। अब लिपिक की न्यूनतम योग्यता स्नातक कर दिए जाने से कम योग्यता वाले कर्मचारियों को ज्यादा वेतनमान और ज्यादा योग्यता वाले कर्मचारियों का न्यूनतम वेतनमान कम हो जाएगा जिसके चलते कर्मचारी वर्गों में भी भारी असमानता पैदा हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वैसे भी प्रथम श्रेणी कर्मचारियों व तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को एकसमान किए जाना किसी भी तरह से समझदारीपूर्वक फैसला नहीं माना जा सकता। अजय सिंह चौटाला ने कहा कि अगर हुड्डा सरकार क्लर्क के लिए न्यूनतम योग्यता बीए पास रखना चाहती है तो उसे फिर क्लर्क पद का न्यूनतम वेतनमान भी बढ़ाकर उन पदों के बराबर करना चाहिए जिन पदों पर लगने वाले कर्मचारियों की न्यूनतम योग्यता स्नातक है। उन्होंने कहा कि हुड्डा सरकार ने वैसे भी पिछले पांच सालों के दौरान प्रदेश के युवा वर्ग के साथ नौकरियों के मामले में भारी भेदभाव किया है और हरियाणा में नौकरियां सरेआम नीलाम हो रही हैं। उन्होंने कहा कि नौकरियों व विकास के मामले में हुड्डा सरकार ने प्रदेश में क्षेत्रवाद को बढ़ावा दिया और अब सरकार के इस फैसले से नौकरियों के लिए आवेदन करने वाले ग्रामीण क्षेत्र के युवकों को भी पूरी तरह से वंचित करने का प्रयास किया गया है। इनेलो नेता ने कहा कि हुड्डा सरकार बिना सोचे-समझे व बिना किसी तर्क के आए दिन तुगलकी फैसले ले रही है, जिससे साफ है कि प्रदेश सरकार एक निर्वाचित लोकतान्त्रिक सरकार की तरह नहीं बल्कि राजे-महाराजाओं की शैली में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को अपना यह गलत व अनुचित आदेश तुरन्त वापिस लेना चाहिए ताकि गरीब परिवारों के साथ-साथ ग्रामीण आंचल में बसने वाले युवक भी प्रदेश में क्लर्क भर्ती होने के लिए आवेदन दे सकें। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने यह फैसला तुरन्त वापिस न लिया तो युवा व कर्मचारी वर्ग में सरकार के प्रति रोष और ज्यादा बढ़ जाएगा और प्रदेश का युवा वर्ग इस भ्रष्ट व तुगलकी सरकार को चलता करके ही दम लेगा।

---- सफेद हाथी साबित हो रहा है डबवाली का सामान्य हस्पताल
डबवाली (सुखपाल ) तीन राज्यों की सीमाओं पर स्थित शहर डबवाली 23 दिसम्बर 1995 में उस समय सुॢखयों में आया जब इस मनहूस दिन सैंकड़ों बच्चे, महिला एवं पुरूष काल का ग्रास बन गए। उस समय की सरकार ने शहरवासियों की मांग पर एक बड़ा सामान्य हस्पताल का निर्माण करवाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। बड़े जोर शोर से कहा गया कि इस सामान्य हस्पताल में हर वह सुविधा उपलब्ध रहेगी जो किसी बड़ शहर के हस्पतालों में होती है। लेकिन जैसी घोषणाऐं आज बोर्डों व कागजों में सिमटी हुई दिखाई दे रही हैं। क्योंकि असलियत यह है कि यहांकुछ सुविधाऐं तो हैं लेकिन उनका उपयोग करने के लिए अधिकारी तथा कर्मचारी उदासीन रवैया अपनाऐ हुए हैं। इस हस्पताल में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों के उदासीन रवैय के कारण स्वास्थ्य विभाग व सरकारी दावों के विपरीत दिशा में यह हस्पताल जा रहा है। इस सामान्य हस्पताल की इमारत की भिन्न - भिन्न दीवारों पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं का ब्यौरा बड़े - बड़े अक्षरों में दर्शाया गया है। इन बोर्डों पर दिखाई गई सूची पर दावे तो अनेक हैं लेकिन उनमेंसे अमल केवल कुछ ही बातों पर किया जाता है। इन दावों में से एक कि सभी बीपीएल कार्ड धारकों एवं मलीन बस्ती में रहने वालों जिनके पास हरियाणा सरकार द्वारा जारी उपयुक्त राशन कार्ड हैं। उन सभी नागरिकों को मुफ्त चिकित्सा सुविधाऐं दी जाती हैं। महिलाओं की प्रसूति सेवाऐं व ओपीडी एवं आपातकालीन विवाद में सभी प्रकार की दवाऐं मुफ्त दी जाती हैं। अब अगर इन सभी बातों को गहराई से देखा जाऐ तो असलियत कुछ ओर है। यह सही है कि बीपीएल कार्ड धारकों को कुछ सुविधाऐं तो मुफ्त दी जाती हैं लेकिन मरीजों को कुछ हद तक परेशान करने के पश्चात। यदि दूसरे दावों की बात की जाऐ तो यह दावे बिल्कुल खोखले नज़र आते हैं। क्योंकि इस सामान्य हस्पताल में न तो कोई आँखों का विशेषज्ञ है और न ही कोई ईएनटी स्पैशलिस्ट। इसके अलावा कार्यरत महिला चिकित्सक के भी लम्बी छुटी पर चले जाने के कारण महिला रोगियों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि सामान्य हस्पताल में इनकी नियुक्ति के पश्चात बड़ी संख्या में महिला रोगियों को फायदा पहुंचा परन्तु इनके छुटी पर रहने के बाद किसी अन्य महिला चिकित्सक के उपलब्ध न रहने से महिला रोगी हस्पताल से वापिस लोटने को विवश हैं। उपरोक्त हस्पताल में रेडियों ग्राफिक की मशीन तो मौजूद है लेकिन रेडियों ग्राफर के न रहने से लाखों रूपयों की लागत की यह मशीन धूल फांक रही है। एक्सरे सुविधा उपलब्ध तो है लेकिन उसका लाभ कितने रोगी उठा पाते हैं यह भी जगजाहिर है। क्योंकि एक्सरे करने का कार्य ठेका प्रणाली पर होने के कारण एक्सरे टेक्रिशियन नदारद रहता है। जिसके चलते विचारे रोगी इसका फायदा न उठाकर निजी एक्सरे टेक्रिशियन के पास जाकर मोटी फीस देने को विवश हैं। इसी तरह नेत्र रोग विशेषज्ञ न होने के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्योंकि ड्राईविंग लाईसैंस बनवाने के लिए आँखों की जांच रिपोर्ट साथ लगानी पड़ती है, मगर चिकित्सक न होने के कारण प्रतिदिन कितने ही लोग हस्पताल से बैङ्क्षरग लोट रहे हैं। उन्हें प्राईवेट हस्पतालों में भारी फीस देकर उक्त रिपोर्ट लेनी पड़ती है। अब सोचने वाली बात यह है कि ऐसे में बीपीएल कार्ड धारकों व मलीन बस्तियों में रहने वाले लोगों को हकीकत में कितनी सुविधाऐं उपलब्ध हो पाती हैं। इससे एक तरफ हरियाणा सरकार द्वारा स्वस्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के बड़े - बड़े दावों की हवा निकलते हुए दिखाई दे रही है। वहीं आम आदमी के साथ स्वास्थ्य सेवाऐं एक मजाक बन कर रह गई हैं।

---- एक ओर जंग लडऩे की तैयारी में सियासत के महारथी
सिरसा (अमरिन्द्र) ऐलनाबाद उपचुनाव के नतीजे आने के बाद अब हरियाणा का राजनैतिक नीचे आने की बजाय और ऊपर चढऩे वाला है। हरियाणा में निकाय चुनावों के लिए मतदाताअेां की सूची तैयार होनी शुरू हो गई है और अप्रैल मई के महीनें में यह चुनाव करवाए जाने की उम्मीद लगाई जा रही है। वैसे तो आम तौर पर यह चुनाव पार्टी चिन्ह पर नहीं लड़े जाते लेकिन सभी राजनैतिक दलों और दिग्गजों के सीधे तौर पर शामिल रहने से इन चुनावों का महत्व बहुत बढ़ जाता है। सभी राजनैतिक दल स्थानीय स्तर पर अपनी चौधर कायम रखने के लिए इन चुनावों को बेहद संजीदा ढंग से लड़ते हैं। पार्टी चिन्ह पर न लडे जाने के बावजूद यह चुनाव किसी भी दल के लिए उसकी प्रतिष्ठा का सवाल होते हैं। इन्हीं चुनावों से पता चलता है कि किस राजनैतिक दल की जनता में कितनी पैठ है। इस बार के यह चुनाव न सिर्फ स्थानीय स्तर पर लडऩे वाले उम्मीदवारों बल्कि प्रदेश की सभी राजनैतिक पार्टियों के लिए बहुत मायने रखते हैं। उपचुनाव के नतीजों से उत्साहित इनैलो जहां इन चुनावों को जीत सरकार को भेदने की कोशिश करेगी वहीं कांग्रेस भी शहरों में अपने मजबूत जनाधार का दमभर इन चुनावों को जीतने का दावा कर रही हैं। इन दो राजनैतिक दलों के अलावा हरियाणा जनहित कांग्रेस के लिए तो यह चुनाव अस्तित्व की लड़ाई है। हजकां प्रमुख कुलदीप बिश्रोई दोबारा मिले इस मौके को खोना नहीं चाहेंगे। इस बार हजकां भी इस चुनावी मुकाबले में मौजूद होगी। हरियाणा विधानसभा में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने के बावजूद भाजपा इस चुनावी मुकाबले में खड़ी नजर आ रही है। भारतीय जनता पार्टी को हरियाणा में शहरी पार्टी माना जाता है। भाजपा भी इन चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के लिए जी तोड़ प्रयास करेगी। वहीं पहली बार बसपा ने अपनी पार्टी के चुनाव निशान हाथी पर इन चुनावो को लडऩे का ऐलान किया है। इस बार हाथी पर सवार बसपा के उम्मीदवार भी इनैलो-कांग्रेस के साथ-साथ हजकां-भाजपा के प्रत्याशियों को चुनौती देने के लिए मैदान में डटेंगे। सिरसा नगर परिषद के लिए भी इस बार चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने के उम्मीद है। जहां इनैलो नेतृत्व अपने गृह क्षेत्र कांग्रेस से यह ताज छीनने की कोशिश करेगा वहीं ऐलनाबाद की हार के बाद अब कांग्रेस सिरसा नगर परिषद से अपनी चौधर नहीं गंवाना चाहेगी। कहा जा रहा है कि इन चुनावों में कांग्रेस की तरफ से अहम ीाूमिका में रहने वाले हरियाणा के पूर्व कैबीनैट मंत्री लछमन दास अरोड़ा के सिरसा से चुनाव हर जाने और तबीयत ठीक न होने के वजह से इस बार इन चुनावों की कमान स्थानीय स्तर के नेताओं के साथ मिलकर सिरसा से चुनाव जीत कांगे्रस को समर्थन देने वाले गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा के हाथ रहने की संभावना है। जहां विधानसभा चुनाव के बाद गोपाल कांडा के पास फिर से एक बार खुद को साबित करने का अवसर होगा, वहीं इस बार उनका मुकाबला सीधे तौर पर हरियाणा विधानसभा में ३२ विधायकों के साथ मजबूत विपक्ष की भूमिका में खड़ी इनैलो के साथ उसके गृह क्षेत्र में होगा।
जहां इस बार इनैलो नगर परिषद में अपने खोए मुकाम को दोबारा हासिल करने के इरादे से उतरेगी। बेहद महत्वपूर्ण होते हैं यह चुनाव- स्थानीय स्तर के यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होते हैं यही वजह है कि सभी पार्टियां इन चुनावों को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा देती हैं। राजस्थान में इस बार न.प. अध्यक्षों का सीधा चुनाव करवाया गया। जिसके तहत अलवर नगर परिषद अध्यक्ष के चुनाव के लिए ३ लाख से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार प्रयोग किया। जबकि एक विधायक का चुनाव सवा से डेढ़ लाख मतदाता मतदान करते हैं। इसी बात से इन चुनावों के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है।
हरियाणा में नहीं होंगे नप अध्यक्ष के सीधे चुनाव-
पड़ौसी राज्य राजस्थान की तर्ज पर हरियाणा में सीधे नगर परिषद के चुनाव करवाए जाने पर विचार किया गया। लेकिन अब तक इस बारे में सरकार द्वारा कोई फैसला न लिए जाने और निकाय चुनावों के लिए अधिसूचना जारी हो जाने से लगता नहीं कि इस बार नगर परिषद और नगरपालिका अध्यक्षों के सीधे चुनाव हो पाएंगे।

फर्जी विकलांगों के खिलाफ हो मामला दर्ज
सिरसा। विकलांग संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष बलजीत राज घणघस ने हरियाणा सरकार द्वारा फर्जी विकलांग शिक्षकों की बर्खास्तगी के निर्णय का स्वागत करते हुए राज्य सरकार से मांग की है कि फर्जी विकलांग शिक्षकों के खिलाफ विकलांग कानून 1995 के तहत मामला दर्ज करके सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति फर्जी विकलांग बनकर विकलांगों के हितों पर कुठाराघात न कर सके। घणघस ने राज्य सरकार से यह भी मांग की है कि फर्जी मेडिकल बनाने वाले डाक्टरों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भ्रष्टाचार समाप्त हो सके। उन्होंने कहा कि जहां वास्तविक विकलांग मेडिकल बनवाने के लिए भारी मानसिक व शारीरिक प्रताडऩा का शिकार होते हैं वहीं फर्जी मेडिकल बनाकर चिकित्सकों ने घोर पाप किया है, जिसके लिए वो सजा के पात्र है। घणघस ने कहा कि संघ इस कार्रवाई पर बराबर नजर बनाए हुए हैं और किसी भी स्तर पर यदि उक्त मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की गई तो संघ को आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा।

--- ज्योतिष शास्त्र एक रहस्य

लेखक : स. हरी वल्ल
विद्वान व प्रसिद्ध ज्योतिषविद्
डबवाली।
ऊँ गं गणपते नम: ऊँ श्री हरि ।।
वहीं श्री गणेश जी हमारा कल्याण करेंगे। जिनकी भक्ति भक्तजनों के हृदय में प्रीति प्रीत दिलवाने वाली होती है। जिनका वंश परम्परागत स्नेह सम्पूर्ण अभिलाषाओं को देने वाला होता है। जिसकी सब सुरा-सुर अराधना करते हैं और जो अपनी धीर गर्जना से विघ्रों का नाश करने पर तत्पर रहते हैं। जिनकी कृपा से सम्पूण कार्य सिद्ध होते हैं। उस देवी माँ सरस्वती के चरणों में शत-शत प्रणाम। ज्योतिष शब्द की उत्पत्ति ज्योति से हुई है तथा ज्योति का अर्थ है प्रकाश। जिन शब्दों से प्रकाश की किरणें निकलती हैं, उन्हें ज्योतिष कहा जाता है तारों के रूप में असंख्या ज्योतिषक आकाश में स्थित हैं। उनमें से ग्रह नामक कुछ ज्योतिषक पृथ्वी स्थित चराचर को प्रकाशित करते हैं। इस विषय की जानकारी जिस माध्यम से प्राप्त होती है उसे ही ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है। वेद संसार की सर्वाधिक प्राचीन पुस्तक है। इसे सबका मूल माना जाता है। वेद के चार भाग हैं। ऋग वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद। वेद के अंगों में सेेे ज्योतिष को नेत्र की संज्ञा दी गई है। जिस प्रकार नेत्रों के द्वारा सभी वस्तुओं को देखा जा सकता है उसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र द्वारा भूत, भविष्य व वर्तमान काल में घटने वाली घटनाओं के विचारने की जानकारी प्राप्त होती है। हम जिस पृथ्वी पर निवास करते हैं उसे समीपवर्ती समुद्र, आकाश आदि को विश्व कहा जाता है। यह विश्व ब्रह्माण्ड का एक छोटा सा भाग है। ब्रह्माण्ड के अन्दर जल, वायु, आकाश ग्रह, नक्षत्र, लोक-प्रलोक आदि सभी की गणना की जाती है। ब्रह्माण्ड का विस्तार कितना है। इसे न तो कोई जानता है और न ही इसकी कल्पना की जा सकती है। अलबता ब्रह्माण्ड के भीतर करोड़ों विश्व स्थित हैं। यह प्राचीन हिन्दू मानता है। वर्तमान युग के वैज्ञानिक भी इस तथ्य को स्वीकार करते हैं। इस अनन्त ब्रह्माण्ड में हमारे जैसे अनेक विश्वों की स्थिति सम्भव है और उनमें भिन्न - भिन्न प्राणियों का निवास भी हो सकता है। हमारे विश्व के आकाश में जो सूर्य दिखाई देता है। यह धरती से 110 गुणा बड़ा तथा सवा करोड़ मील दूर है। इसका तापमान 1 लाख डिग्री फार्नहाईट है। प्राचीन महाऋषियों ने आकाश से ऐसे 12 सूर्यों की उपस्थिति बताई है। आधुनिक वैज्ञानिक भी यह मानने लगे हैं कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक से अधिक सूर्य स्थित हैं। जो ज्योतिषक सूर्य के चारों और भ्रमण करते हैं उन्हें ही $गह कहा जाता है। $गह के चारों और कुछ अन्य छोटे ङ्क्षपड में भी हैं, उनको उपग्रह की संज्ञा दी गई है। यह मानना है कि पृथ्वी के अनगिनत सूर्य के चारों तरफ भ्रमण करने वाले 6 प्रमुख ग्रह हैं। चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, शनि तथा सूर्य सहित इनकी संख्या कुल सात हुई। प्राचीन ज्योतिष ग्रन्थों में उलेख मिलता है कि सभी ग्रह सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित होते हैं। पूर्ववर्ती विद्वानों का मत है कि अनुभव करने के बाद यह सात ग्रह अपनी - अपनी रोशनी-किरणों-से धरती को प्रभावित करते हैं। उसी प्रकाश पृथ्वी पर ऊतरी ऊषा धु्रवों की छाया वी परिवॢतत होकर पृथ्वीवासियों पर अपना प्रभाव प्रकट करती है। उन्हें ही राहू - केतू नामक दो नवीन छाया ग्रह ही कल्पना कर उन्हें भी शनि के साथ परतिष्टित कर दिया। इस प्रकार भारतीय ज्योतिष में इनकी संख्या 9 ग्रह - 7 प्लस 2 के रूप में हुई है। तारा होने के कारण सूर्य एक ही स्थान पर स्थिर रहता है। वह अपनक अक्स पर ही पश्चिम से पूर्व की ओर घूमता है। पृथ्वी के संचरनशील होने के कारण ही हमें सूर्य के घमने का आभास होता है। फलित ज्योतिष में आभास का ही विशेष महत्त्व है एवं सूर्य की गणना ही ग्रह के अन्तर्गत कर ली जाती है। पृथ्वी के संचरणशील होते हुए ही इस पर निवास करने वालों को उसके घूमने का आभास नहीं होता तथा पृथ्वी को फलित ज्योतिष के ग्रहों से अलग रखा गया है। जबकि इसके ध्रुवों की छाया को राहू-केतू के नाम से ग्रह मान लिया गया है। पृथ्वी के ग्रह से अलग रखने का एक कारण यह भी है कि हो सकता है कि जब ज्योतिष शास्त्र द्वारा पृथ्वी वासियों पर पडऩे वाला ग्रह प्रभाव विचारनीय विषय है। तब ग्रह हेतु पृथ्वी को भी ग्रह के रूप में स्वीकार करने का कोई अर्थ नहीं रहता।

---- कालांवाली में लाखों की चोरी
कालांवाली,दुर्गा मंदिर वाली गली में बीती रात एक बंद मकान से चोरों ने लाखों रुपयों की संपत्ति पर हाथ साफ कर लिया। गृह मालिक सुरेश कुमार महाजन अपने पूरे परिवार के साथ भुच्चो पंजाब में गए हुए थे। पीछे से चोर घर के मुख्य गेट का ताला तोड़ कर घुस गए। सुरेश के अनुसार चोर घर में रखी 36 हजार की नकदी, 12 तोले सोना व 22 तोले के करीब चंादी व अन्य सामान चुरा कर ले गए। सुरेश ने बताया कि रात को ही करीब 2 बजे उसके भाई ने उसके मकान में चोरी होने की जानकारी उसे फोन पर दी। उसके बाद उन्होंने रात को ही पुलिस को सूचित किया। मकान में बिखरे सामान को देखकर कयास लगाया जा रहा है कि चोरों ने सारी रात घर के प्रत्येक कमरे व अलमारी को खोलकर सामान की तलाशी ली होगी। इतना ही नहीं चोरों द्वारा ताला तोडऩे में इस्तेमाल की गई लोहे की राड व एक लोई को मौका पर ही छोड़ गए। उधर सिरसा में अज्ञात चोरों ने शहीद कृष्ण कुमार चौक पर लगी ग्रिल को भी नहीं बख्शा। चोरों ने शहीद की प्रतिमा के चारों ओर लगाई गई ग्रिल का आधा हिस्सा ही उखाड़ कर ले गए। ग्रिल के गायब होने का आज सुबह साथ के दुकानदारों को तब लगा जब वे अपनी दुकानों पर पहुंचे। दुकानदारों ने कीर्तिनगर पुलिस चौकी में चोरी की वारदात की सूचना दे दी है, लेकिन अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।

---- पंजाब में अब होगी बिजली क्रांति
लम्बी (लखवीर) : केंद्रीय नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि वह दिन अब दूर नहीं, जब देश का अन्न भंडार कहा जाने वाला पंजाब आने वाले चंद वर्षो में अन्य राज्यों को बिजली आपूर्ति भी वैसे ही करने लगेगा। अगले वर्ष पंजाब में बिजली क्रांति के हैं। चन्नू गांव में प्रदेश के तीसरे बायोमास पावर प्लांट एवं बिंजो गांव में ऐसे ही एक प्लांट का नींव पत्थर रखने के मौके पर डा. फारूख अब्दुल्ला ने प्रदेश के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि नवीकरण व गैरपरंपरागत ऊर्जा के क्षेत्र में पंजाब में हो रहे कार्य काफी उत्साहजनक हैं। पंजाब देश का एकमात्र ऐसा प्रदेश है, जिसने गैरपरंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों से अगले दो वर्षो में 1000 मैगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य रखा है। पंजाब की इस महत्वाकांक्षी योजना पर हो रहे कार्य को देखते हुए उनके मंत्रालय ने ऐसे 21 और प्रोजेक्ट इस प्रदेश को देने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही यहां किसानों को सौर ऊर्जा से चलने वाले ट्यूबवेल देने पर भी विचार किया जा रहा है, जिसमें किसानों को नाममात्र ही खर्च देना होगा। चन्नू गांव में स्थापित बायोमास (कृषि अवशिष्ट) से 14.5 मैगावाट क्षमता का है। प्रदेशभर में लगने वाले 29 बायोमास पावर प्रोजेक्ट में से यह तीसरा है, जिसकी लागत 80 करोड़ रुपये आई। बिंजों गांव में लगने वाला बायोमास पावर प्लांट 10 मैगावाट क्षमता का होगा। इसे ग्रीन प्लेनेट एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड स्थापित कर रही है। इस मौके पर मौजूद उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि प्रदेश भर में ऐसे 29 पावर प्लांट स्थापित किए जाने हैं, जो अपने क्षेत्र के 30 किलोमीटर क्षेत्र में किसानों से प्रतिवर्ष 40 करोड़ रुपये की खरीद करेंगे। यह खरीद छटियां, पराली, गोबर व अन्य कृषि अवशिष्ट होगी। इससे जहां किसानों को आर्थिक लाभ होगा, वहीं किसानों द्वारा कृषि अवशिष्ट को जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से भी छुटकारा मिलेगा और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कायम रहेगी। होशियारपुर जिले के बिंजों गांव में डा. फारूक ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को सब्सिडी पर सोलर ट्यूबवेल लगाकर देगी। इसमें किसानों को कुछ राशि ही खर्च करनी होगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार प्राकृतिक संसाधनों से बिजली पैदा करने वाले अधिक से अधिक प्लांट स्थापित करने के बारे में सोच रही है। इस समय देश में जो बिजली बनाई जा रही है, उसमें 85 प्रतिशत कोयला खप रहा है। इसके विपरीत प्राकृतिक संसाधनों से पैदा होने वाली बिजली में खर्च कम होता है और पर्यावरण नुकसान से भी बचा जा सकता है। वहीं, सुखबीर बादल ने कहा कि लगभग पांच साल में पंजाब देश के दूसरे राज्यों को बिजली बेच सकेगा। बिंजों प्लांट के स्थापित हो जाने से जहां क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं किसानों की प्रति एकड़ दो से तीन हजार रुपये आय बढ़ेगी।

---- काश! हम भी पुरुष होते
लंदन। क्या महिलाओं को कभी इस बात का अफसोस होता है कि ईश्वर ने उन्हें पुरुष क्यों नहीं बनाया। ब्रिटेन में किए गए एक सर्वे के मुताबिक मासिक धर्म के तनाव से तंग आकर महिलाएं कई बार खुद के पुरुष न होने पर अफसोस जाहिर करती हैं। अखबार 'डेली एक्सप्रेसÓ के मुताबिक 15 प्रतिशत महिलाओं ने कबूल किया कि मासिक धर्म के तनाव के कारण जब उन्हें मानसिक व्याधियों से गुजरना पड़ता है, तब उन्हें पुरुष न होने का अफसोस होता है। 9 प्रतिशत महिलाएं मानती हैं कि अंदरूनी और बाहरी शारीरिक संरचना के मामले में पुरुष ज्यादा सहज महसूस करते हैं। 2048 महिलाओं पर कराए गए सर्वे से पता चला कि 12 प्रतिशत महिलाएं किसी भी हालत में गर्भधारण के लिए तैयार नहीं होती हैं। 87 फीसदी महिलाओं ने स्वीकार किया कि वे जवानी की ओर कदम रखते वक्त अपने शरीर में हो रहे बदलावों को लेकर सहज नहीं होती हैं। कुल मिलाकर, महिलाओं को अपने स्त्रीत्व से प्यार है और इनमें से 36फीसदी ने इसके लिए यह दलील दी है कि उन्हें अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने की आजादी होती है।

---- अब 'मारुति 800 कार नहीं बिकेगी

हर आम आदमी के कार लेने के सपने को पूरा करने वाली कार 'मारुति 800Ó अब नहीं बिकेगी। कंपनी ने अपनी सबसे ज्यादा बिकने वाली इस कार को हटाने का फैसला किया है। देश की सर्वश्रेष्ठ कार निर्माता कंपनी अपनी सबसे ज्यादा लोकप्रिय कार 'मारुति 800Ó को बंद करने जा रही है। कंपनी 1 अप्रैल से देश के 11 शहरों में 'मारुति 800Ó की बिक्री पर रोक लगाएगी। साथ ही कंपनी ने इस कार को रिप्लेस (प्रतिस्थापित) करने का भी कोई इरादा नहीं जताया है। कंपनी के मुताबिक उनकी आने वाली नई कार 'किज़ाशीÓ को अभी फिलहाल भारत में पेश नहीं किया जाएगा।


---- अब पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक
लंदन। महिलाओं को जल्द ही परिवार नियोजन की जिम्मेदारी से मुक्ति मिलने वाली है और इसके लिए वैज्ञानिकों का शुक्रिया अदा किया जाना चाहिए जो पुरुषों के एक गर्भनिरोधक पर काम करने में जुटे हैं।
डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दवा के परीक्षण में 80 जोड़े भाग ले रहे हैं जिसके बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि यह उस गोली जितना ही प्रभावी होगा जिसका सेवन महिलाएं करती हैं लेकिन इसे स्तन कैंसर और घातक रक्त थक्के बनने से जोड़ा जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, नया गर्भनिरोधक हर दो माह पर दो इंजेक्शनों के रूप में दिया जाता है जिससे यह पुरुषों के दिमाग को शुक्राणुओं का उत्पादन बंद करने का निर्देश देता है। इसमें पुरुषों का यौन हार्मोन टेस्टोस्टेरोन व महिला यौन हार्मोन प्रोजेस्टेरोन का मानव निर्मित संस्करण होता है और जब दिमाग को इनकी मौजूदगी का अहसास होता है तो यह उन अन्य हार्मोनों के स्तर को कम कर देता है जो शुक्राणु उत्पादन और उनके परिपक्व होने को नियंत्रित करता है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि यह 99 फीसदी मामलों में प्रभावी है और एक बार इंजेक्शन बंद करने के बाद शुक्राणुओं की संख्या तेजी से सामान्य हो जाती है। दो साल से चल रहे परीक्षणों की अगुवाई कर रहे ईडनबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिचर्ड एंड्रसन का मानना है कि यह गर्भनिरोधक महिलाओं और पुरुषों, दोनों के बीच लोकप्रिय होगा। लेकिन चूंकि यह यौन संचारी रोगों के खिलाफ सुरक्षा मुहैया नहीं कराएगा तो ऐसी स्थिति में यह एक दूसरे के प्रति ईमानदारी से समर्पित जोड़ों के लिए ही अधिक कारगर होगा। एंड्रसन ने कहा- बहुत सी औरतें सोचती हैं कि यह पुरुषों के जिम्मेदारी संभालने की बारी है। जब हमने महिलाओं के बीच सर्वे किया तो पाया कि वे इसे लेकर काफी उत्साही हैं। इसका एकमात्र सबसे बड़ा कारण यह है कि वे गर्भनिरोधक की जिम्मेदारी बांटना चाहती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस गर्भनिरोधक से किसी प्रकार के दुष्प्रभावों की आशंका नहीं है लेकिन कुछ पुरुषों ने ठंडा, गरम लगने, मूड में बदलाव होने या मुंहासे निकलने की शिकायत की है।

---- वरुण का बड़बोलापन
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के प्रपौत्र और मेनका गांधी के पुत्र वरुण गांधी एक बार फिर अपने विवादित भाषणों के कारण चर्चा में हैं। इस बार उनके निशाने पर यूपी की मुख्यमंत्री मायावती और केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार हैं। हाल ही में दिये अपने एक भाषण में वरुण गांधी ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को सूर्पनखा बना डाला तथा वरिष्ठ नेता शरद पवार को रावण। पीलीभीत से भाजपा के युवा सांसद वरुण गांधी ने बेतहाशा बढ़ती महंगाई के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को जिम्मेदार बताया। उन्होंने शिकारपुर में एक समारोह में कहा कि महंगाई के लिए शरद पवार और मायावती जिम्मेवार हैं। उन्होंने कहा कि दोनों के कुप्रबंधन के कारण महंगाई आसमान छू रही है।
दरअसल वरुण को लेकर भाजपा के अंदर ही घमासान मचा है। भाजपा का भाग्य चमकाने वाला संघ राहुल गांधी के मुकाबले में वरुण गांधी को भगवा ब्रिगेड का सेनापति बनाना चाहता है जबकि भाजपा के शीर्ष नेता इसके लिए तैयार नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के प्रभारी अरुण जेटली सूर्य प्रताप शाही को प्रदेश भाजपा की कमान देने के पक्ष में हैं। इस बीच वरुण का रास्ता रोकने के लिए पिछड़े नेताओं ने भी कमर कस ली है। लोगों का मानना है कि बुलंद शहर में मायावती और शरद पवार की सूर्पनखा और रावण से तुलना वाली उनकी टिप्पणी संघ के द्वारा ही तय की गयी थी। वरुण की यही तमन्ना है कि भाजपा उन्हें यूपी के भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश करे। लेकिन पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता उनको बहुत महत्व देने के पक्ष में नहीं हैं।वरुण गांधी का जन्म 13 मार्च 1980 को हुआ।
संजय गांधी और मेनका के पुत्र वरुण अपने बड़बोलेपन के लिए ज्यादा जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा मॉडर्न स्कूल, नई दिल्ली से शुरू की। चौथी कक्षा के बाद वह ऋषि वैली स्कूल, आंध्र प्रदेश चले गये।
तत्पश्चात वापस नई दिल्ली के दि ब्रिटिश स्कूल चले आये। वरुण ने अपना राजनीतिक जीवन अपनी मां की तरह ही कम आयु में प्रारंभ कर दिया। अगस्त 1999 में वे 19 साल की आयु में अपनी मां के चुनाव क्षेत्र पीलीभीत से सक्रिय हुए। बाद में वह भाजपा की सक्रिय राजनीति से जुड़ गये। उनको 2004 में बीजेपी के मुख्य प्रचारक के तौर पर चुनाव में उतारा गया। नवंबर 2004 में वह भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में शामिल हुए। भाजपा ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पीलीभीत सीट से अपना प्रत्याशी बनाया। वर्तमान में वरुण भाजपा के फायर ब्रांड नेता के रूप में जाने जाते हैं। मार्च 2009 में एक चुनाव सभा में उनके द्वारा दिये गये विवादित भाषण पर काफी लंबे समय तक राजनीति गरमाई रही। चुनाव आयोग ने यूपी के मुख्य चुनाव आयुक्त को निर्देश दिया कि वो भारतीय दंड संहिता तथा जन विरोधी गतिविधियों के तहत वरुण गांधी पर मुकदमा दर्ज कराए। बाद में वरूण गांधी ने पीलीभीत में स्थानीय अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, बाद में पेरोल पर रिहा कर दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने वरुण गांधी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून भी लगाया। वरुण गांधी ने राजनीति में बढ़ते परिवारवाद का भी विरोध किया है। अपने हाल में दिये गए भाषण में उन्होंने कहा कि गांधी, सिंधिया और पायलट परिवार के लोगों को ही नहीं बल्कि आम जनता को भी संसद में जाना चाहिए। जनसभा में पुलिस की बड़ी संख्या में तैनाती पर भी चुटकी लेते हुए मायावती को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कहीं मायावती उन्हें फिर सलाखों के पीछे तो नहीं डालना चाह रही।

---- लंबी जुल्फें अब ज्यादा आसान
बेटी के लंबे बाल मेनटेन करना आसान काम पहले नहीं था। अब अगर आप बेटी की लहराती जुल्फों को और बेहतर करना चाहती हैं, तो चुटकियों में ये काम हो सकता है।
लंबे बालों का स्टाइल एवरग्रीन है। कहा जाता है कि लंबे बालों वाली लड़कियों को लोग आम लड़कियों से अधिक जि6मेदार, शांत और नम्र मानते हैं। शायद इसीलिए हर मां अपनी बेटी के लंबे बालों का सपना संजोती है। स्कूल जाती अपनी बेटी के लंबे बालों से मां की 4यूटीसेंस का भी पता चलता है और बेटी की खूबसूरती का श्रेय भी उसे मिलता है। हालांकि लंबे बालों की समस्याएं कुछ ज्यादा ही होती हैं, लेकिन भरोसेमंद शैंपू से अगर नियमित रूप से धोया जाए, तो इनसे छुटकारा पाया जा सकता है। लखनऊ की मीना श्रीवास्तव के लंबे बाल हैं। और वे चाहती थीं कि उनकी बेटी रूबी को भी वही तारीफ मिले, जो उन्होंने अपने स्कूल डेज में लंबे बालों के कारण पाई थी। इसीलिए रूबी के बालों पर उन्होंने शुरुआत से ही काफी ध्यान दिया। पहले उनकी मां ही उनके बालों की देखरेख करती थी। इसीलिए मीना बताती हैं कि शुरुआत में उन्हें यह अहसास ही नहीं था कि लंबे बाल मेनटेन करना आसान काम नहीं है। खासतौर पर जब बेटी स्कूल जाती हो, जहां पॉल्यूशन और खेल के दौरान बालों को कई तरह से डैमेज झेलना पड़ता है। लेकिन उनका कहना है कि बेहतर शैंपू और कुदरती उपचार से आप बालों को इन सभी समस्याओं से बचा कर रख सकती हैं।
बालों का टूटना
लंबे बाल छोटे बालों की तुलना में काफी ज्यादा झड़ते हैं। चाहे स्कूल जाने वाली लड़कियां हों या कि प्रौढ़ महिला। अध्ययन बताते हैं कि लगभग 60 फीसदी लंबे बालों वाली महिलाओं की बालों संबंधी प्रमुख समस्या बालों का झडऩा ही होता है। रितु की मां के लिए रितु के झड़ते बाल सिरदर्द साबित हो रहे थे। छठी में पढऩे वाली रितु के बाल काले और घने थे। लेकिन एग्जाम टाइम के बाद से उसके बालों का झडऩा रुक ही नहीं रहा था। आखिर में उन्होंने रितु के बालों को कुदरती ट्रीटमेंट देना शुरू किया। देखते ही देखते उसके झड़ते बालों की समस्या एकदम खत्म हो गई और बालों के बढऩे की गति भी तेज हो गई। हालांकि लंबे बालों के झडऩे की समस्या को उचित खानपान से भी संभाला जा सकता है।
बालों में रुसी
बाल झडऩे का एक कारण सिर के रोमछिद्रो में छिपी धूल-मिट्टी भी हो सकती है। फलस्वरूप रूसी की समस्या भी देखने में आती है। जिस कारण ब"ो हर दम अपना सिर खुजलाते दिखाई दे जाते हैं। जुएं भी इस गंदगी का परिणाम हो सकती हैं। इसलिए साफ-सफाई पर भी खासा ध्यान देना पड़ता है। स्कूल जाने वाली ब"ाी की दिनचर्या ऐसी होती है, जिसमें बालों की देखभाल को ज्यादा समय देना हर दिन मुश्किल होता है।एक बेहतर शैंपू इस समस्या को आसान बना देता है। कमला वर्मा बेटी के बालों की हर्बल केयर को ध्यान में रखती हैं। लेकिन समय की बचत के लिए वे ऐसा शैंपू ही लगाती हैं, जो हर्बल बेस्ड हो।
दो मुंहे बाल
सुमन बंसल की बेटी के बाल लंबे हैं, लेकिन नीचे से दोमुंहे थे। इस कारण बालों में खूबसूरती आ ही नहीं रही थी। सुमन का कहना है कि बालों की ऑइलिंग, समय-समय पर ट्रिमिंग और भरोसेमंद शैंपू इस समस्या से छुटकारा दिलाता है।
कड़े बाल
अगर बालों को रगड़ कर धोएं या फिर बहुत जोर लगाकर तौलिए से साफ करें, तो बालों के टूटने के अलावा सूखने के बाद उनमें एक खुरदरापन महसूस होता है। कविता आर्य यह बात समझ गई थीं। इसीलिए अपनी बेटी के बालों को वे भरोसेमंद शैंपू से धोने के बाद कंडीशन करती हैं।

.....गज़ल....
खता

हम गल्तियाँ अक्सर रोज़ ही किया करते हैं,
ये भी सच है के दोष दूजे को दिया करते हैं

ये फितरत है, शरारत है या नादानी कोई,
सबक लेने की न सोच फिर गिला करते हैं

अब तलक ये तमाशा यूँ ही चलता रहा,
जि़न्दगी को तमाशा बना के जिया करते हैं

कैसी-कैसी जंग सही ज़ख्मी भी हुआ मगर,
मरहम न दिया न मरहम लिया करते हैं

सपनो की दुनियाँ में राजा ही बनते रहे,
हकी$कत ये के नोकरी दूजे की किया करते हैं

शराब में ऐसा क्या है इसके बिना रह नहीं सकते,
पैसा न भी हो पास तो मांग के पीया करते हैं

'रत्ती लम्बी दूरियाँ खुद ही कम हो जाती हैं,
जब-जब हम अपने होटों को सिया करते हैं

- सुरिन्दर रत्ती


YOUNG FLAME 22Feb 22nd EDITTION (English)


26 Mini-Power Plants Sanctioned
Lambi-Union Minister for New and Renewable Energy, Farooq Abdullah, today formally inaugurated a 14.5 MW biomass electricity generation plant in this village that had remained waterlogged in the past. Power would be generated by the Rs 80 crore plant from agricultural residue. Encouraged by Punjab’s fast march in the area of renewable energy, his ministry had sanctioned 26 more such mini-power plants besides sanctioning pilot projects in the area of solar, hydel and wind energy, Abdullah said. He said his ministry under the pilot project was planning to provide solar and wind run water pumps to the farmers of Punjab in which farmers would contribute minimal amount. He said, if successful, it could save Rs 3,500 crore power subsidy being provided by state to the farmers. He appreciated Sukhbir Singh for having set an example before the country by making determined forays in renewable energy sector with the target to generate 500 MW in next two years.
He said the residents of the villages around such projects would be benefited, as their agricultural waste would be procured for generating electricity. Speaking on the occasion Deputy CM Sukhbir Singh said 29 such plants would be operational all over Punjab in next 18 months. He said each plant would buy agricultural waste to the tune of Rs 30 to 40 crore from the farmers in its 30-km radius. He said the farmers economy was set to get a boost as they would be earning Rs 900 crore by selling agricultural waste which was earlier burnt by them. Badal said the plant would utilise agricultural wastes like cotton and rice husk, cow dung, straws and stalks of paddy, cotton and wheat to produce electricity. He said Punjab was committed to generate 10 per cent of installed generating capacity from renewable energy sources. Badal said he had launched three-pronged strategy to realise mission of making Punjab Power surplus. Sukhbir Singh said this same company would setup two more plants in Ferozepur and Mansa at the cost of Rs 250 crore. He said with 20 lakh million tonne agricultural residue being generated every year, Punjab can produce over 1,000 MW power from agro waste alone. Bipin Bhardwaj adds from Binjon (Hoshiarpur): After generating power from hydel, thermal and solar projects, the union government would focus on wind energy. The next step to generate power would be from underground gases. The UPA government will do its utmost to tap maximum natural resources of new and renewable energy, said Union Minister of New and Renewable Energy, Dr Farooq Abdullah. Dr Abdullah was here to lay the foundation stone of a 10 MW biomass power project being set up by Green Planet Energy Pvt Ltd, a Maharashtra-based company at a cost of Rs 68 crore.

Bittu launches awareness drive

Badal (Muktsar) Punjab Pradesh Youth Congress (PPYC) president Ravneet Singh Bittu today launched the party’s much-hyped awareness drive, Aam Aadmi ka Sipahi (AAKS), in Punjab from here, Chief Minister Parkash Singh Badal’s native village.
Following in the footsteps of Rahul Gandhi, Ravneet Bittu visited some Dalit homes, listened to their grievances and shared tea and food with them. Speaking about the concept of the AAKS, Ravneet Bittu said it was to identify enablers who would work at the panchayat level to facilitate, sensitise, create awareness and assist “aam admi” (common people) in not only knowing about but also availing themselves of the UPA government’s welfare schemes, especially the National Rural Employment Guarantee Scheme, the Indira Awaas Yojna and the Krishi Vikas Yojna. The AAKS would make people aware of the Right to Information Act also, which was brought into the system by the UPA government. “In the past we observed that ruling SAD leaders had been mischievously flaunting the UPA government schemes as their own. Moreover, the funds, which the Union Government had released for state welfare, were either misused or refunded due to non-utilisation.”
Ravneet Bittu took the SAD-led state government to task. He alleged that a budget worth Rs 2.28 crore for NSS camps, Rs 58 lakh allocated for the youth welfare board and a huge sum allocated for sportspersons could not be used in the state as SAD leaders did not want the UPA schemes to be highlighted. He said: “All these sipahis have been voluntarily coming forward, with no condition relating to designation or incentives. We are taking literate persons so that they can help villagers fill forms and write applications. Besides educating people in procedural issues related to their land and the benefits of schemes, the sipahis will launch anti-drug campaigns.”
“Before launching the drive, we have already decided the issues to be worked upon in all 12,400 villages of the state. The 2,900 delegates belonging to 208 blocks of the state have undergone training and submitted their targets to be achieved through the AAKS within a time-frame. Once the scheme is properly implemented, the results of the AAKS will be checked on a regular basis,” added the PPYC president. When questioned about the image of the AAKS in Punjab as one of a Congress brigade to counter the “goons” of the ruling SAD, Ravneet Bittu said, “These sipahis will work in a non-violent way but, if required, they will be in a position to tighten the noose on miscreants.”



English Corner

COMPARISON OF ADJECTIVES

AS + ADJECTIVE + AS
To compare people, places, events or things, when there is no difference, use as + adjective + as:
Peter is 24 years old. John is 24 years old. Peter is as old as John.

More examples:

Moscow is as cold as St. Petersburg in the winter.
Ramona is as happy as Raphael.
Einstein is as famous as Darwin.
A tiger is as dangerous as a lion.

COMPARISON OF ADJECTIVES
NOT AS + ADJECTIVE + AS

Difference can also be shown by using not so/as ...as:
Mont Blanc is not as high as Mount Everest
Norway is not as sunny as Thailand
A bicycle is not as expensive as a car
Arthur is not as intelligent as Albert

COMPARISON OF ADJECTIVES
COMPARISONS OF QUANTITY

To show difference: more, less, fewer + than
To show no difference: as much as , as many as, as few as, as little as

COMPARISON OF ADJECTIVES
COMPARISONS OF QUANTITY


To show difference: more, less, fewer + than
Examples:
With countable nouns: more / fewer
Eloise has more children than Chantal.
Chantal has fewer children than Eloise.
There are fewer dogs in Cardiff than in Bristol
I have visited fewer countries than my friend has.
He has read fewer books than she has.
With uncountable nouns: more / less
Eloise has more money than Chantal.
Chantal has less money than Eloise.
I spend less time on homework than you do.
Cats drink less water than dogs.
This new dictionary gives more information than the old one.
So, the rule is:
MORE + nouns that are countable or uncountable
FEWER + countable nouns
LESS + uncountable nouns

COMPARISON OF ADJECTIVES
COMPARISONS OF QUANTITY

To show no difference:
as much as , as many as, as few as, as little as
as many as / as few as + countable nouns
as much as / as little as + uncountable nouns
Examples:
With countable nouns:
They have as many children as us.
We have as many customers as them.
Tom has as few books as Jane.
There are as few houses in his village as in mine.
You know as many people as I do.
I have visited the States as many times as he has.
With uncountable nouns:
John eats as much food as Peter.
Jim has as little food as Sam.
You've heard as much news as I have.
He's had as much success as his brother has.
They've got as little water as we have.



Mild traumatic brain injury may not be so mild after all

WASHINGTON: Overlooking mild traumatic brain injury may amount to ignoring a major health issue, researchers have warned.
Douglas Smith, director of the Center for Brain Injury and Repair and professor of Neurosurgery at the University of Pennsylvania School of Medicine, and colleagues have been concentrating their efforts on mild TBI (mTBI), commonly called concussions.
The experts said this 'mild' form of injury induced persisting neurological and cognitive problems in many patients, exacting an enormous emotional and financial toll on society.
Using advanced neuroimaging techniques, the boffins found distinct changes throughout the white matter in the brain after injury.
Smith said: "This is not inconsequential. Indeed, the observation that brain pathology can be detected after a concussion calls for much more extensive efforts to prevent, diagnose, and treat mild traumatic brain injury."
The team proposed a potential molecular mechanism to explain their findings.

British PM to present 'Amitabh' to Big B
London (PTI) British Prime Minister Gordon Brown will present 'Amitabh', a module diabetes unit-bus to be based in Mumbai, to Bollywood megastar Amitabh Bachchan here on Monday.
The bus will help screen people in Mumbai for diabetes and has been donated by diabetes prevention charity organisation 'Silver Star' funded by Indian-origin Labour MP, Keith Vaz. Brown will present the bus to Big B on behalf of Silver Star at a dinner on Monday. The bus has been named 'Amitabh' in honour of the 67-year-old Bollywood star and will bring hope of diabetes diagnosis to thousands of Indians.
Silver Star, founded by Vaz in 2007, carries out free diabetes testing and promotes culturally sensitive healthcare, focusing particularly on the high prevalence of diabetes amongst the South Asian community in Britain and Internationally.
Since 2007, Silver Star has tested 4695 people in Britain.There are two such mobile units in the UK.
'Amitabh' will be the second Silver Star Mobile Diabetes Unit in India. Last year Bachchan launch the first mobile unit in Goa, which has so far tested 2075 people. Vaz, Britain's longest serving MP of Asian origin and represents Leicester East which boasts UK's largest South Asian population outside of London, said: "I am absolutely delighted that the Prime Minister will be presenting Bachchan with the second Mobile Diabetes Unit for India, especially because it will be a life saving service for the people of Mumbai.
"...Seven million people in the UK have diabetes and have not been diagnosed and over 50 million people in India are diabetic," he said.


Adverse effects of oral antidiabetic drugs

Insulin sensitizers — Pioglitazone and rosiglitazone are the two agents in clinical use. The major side-effects of rosiglitazone and pioglitazone are weight gain, fluid retention and fractures. These drugs should be avoided in active liver disease and heart failure.
Sulfonylureas — Glimepiride, glipizide and glibenclamide are agents in clinical use. They may produce hypoglycaemia, severe enough to produce hypoglycaemic coma (rarely). This class of drugs should be avoided in active liver disease.
Alpha glucosidase inhibitors — Acarbose, miglitol and voglibose are in common use and may produce flatulence and diarrhoea.
Metformin — Weight loss and abdominal pain are the common adverse effects. And very rarely is lactic acidosis seen which is a serious condition. Metformin should not be used in patients with kidney dysfunction and failure. It should also not be taken with simultaneous use of radio-contrast.
These oral antidiabetic tablets must never be used during pregnancy. These should also be avoided in type 1 diabetes.
The writer is Senior Consultant, Endocrinology, Fortis Hospital, Mohali, and can be contacted at k.singh@fortishealthcare.com
Gums — a boon for diabetes, cholesterol management
Dr Jaspreet Singh and Dr Lovedeep Kaur
Plant-derived gums are excellent stabilising and thickening agents, and are traditionally used for many food applications. There is a steady rise in the use of gums in the processed food products because of the rapid increase in the consumption of ready-made meals and novelty foods.
Some of the commonly used food gums are locust bean (or carob), gum arabic, guar gum and cassia gum, and most of them are grown or available in India.
A commercial gum may contain around 75-80 per cent soluble fibre, 5-7 per cent insoluble fibre, 2 per cent crude protein, 0-1 per cent total lipids, 7-10 per cent moisture, and 0.5-0.8 per cent of ash (minerals). Most of the gums are generally recognised as safe for use in food products.
An increased amount of dietary fibre and low quantity of fat and sugar are required in the diet due to our modern life styles and prevalence of diseases such as diabetes and hypercholesterolemia.
Diabetes mellitus is a metabolic disorder marked by chronic hyperglycemia and has harmful effects on the vital organs. The diets containing large amounts of rapidly available carbohydrates (such as starch) raise the blood glucose and insulin responses immediately and could have detrimental effects on the health.
In many countries, gums are now regarded as a soluble fibre and have also been used as fat replacers in low-calorie food products. During digestion, the soluble dietary fibre of gum acts like a sponge and absorbs water in the human intestine; mixes the food into gel and thereby slows down the rate of digestion and absorption of carbohydrates, which lowers postprandial blood glucose levels.
Gums, due to their viscous nature, slow down the gastric emptying, which generates a feeling of fullness and suppresses appetite. Therefore, it leads to a satiety-promoting effect and ultimately weight loss. The presence of gums thickens the intestinal contents that delay glucose absorption, resulting in a decrease in blood sugar spikes following a meal. Gums have also been reported to lower blood cholesterol levels (both total and low-density lipoprotein cholesterol, LDL-c) and prevent hypercholesterolemia with a decreased risk of coronary heart disease (CHD).
A study based on rat experiments proved that consuming traditional wheat flour chapattis containing guar gum and legumes had a significant cholesterol-lowering effect.
Enteral nutrition has become more popular during the last two decades in post-operative patients and as a supplement in artificial nutrition. The gums also play an important role in the preparation of therapeutic enteral diets. The formulation of enteral feeds with soluble dietary fibre in the form of gums can help overcome constipation and maintaining a health microflora in the large bowel in post-operative patients.
The writers are research scientists at Massey University, New Zealand. Email:j.x.singh@massey.ac.nz.

“T-10 Gully Cricket: Season 2"-Divya Dutta unveiled ‘Ludhiana Gullies’ Jerseys designed for Ludhiana
CHANDIGARH: “T-10 Gully Cricket: Season 2 -‘Ab Har Koi Khelega’ which completed its group matches at Jan Nayak Chaudhary Devi Lal National Cricket Academy, Sirsa, Haryana from 19th January – 26th January 2010 witnessed the 7 teams Jalandhar, Allahabad, Gorakhpur, Daman, Ballia, Ludhiana and Sirsa join Surat in the Super 8 stage of T 10 Gully Cricket – Season 2.
These 8 teams would now battle it out from 3rd March to 7th March 2010 at Sirsa, Haryana. Sixteen teams competed at the Group Stage. The live telecast commences 4.30 p.m between 3rd March to 7th March over DD-Sports . Ludhiana Gullies open their Super 8 campaign with a match against home team Sirsa on 4th March , owned by Sanjay Dutt .
The Super 8 teams are divided into 2 groups of 4 each, the Group 1 which includes Jalandhar, Allahabad, Gorakhpur, Daman and Group 2 includes Ludhiana, Surat, Ballia, Sirsa.
Fireworks are expected to fly between Sanjay Dutt, Prachi Desai and Divya Dutta when their teams will be at loggerheads at this stage of the tournament. Each team would play the other team of their group once during the Super 8 stage. The points tally would determine the passage of top four teams to the semi finals and then eventually the finals. The live telecast would be a far upgraded version of the Group Stage with all kind of technology being thrown in.
Divya Dutta who originally hails from Ludhiana now owns and patronizes "Ludhiana Gullies" - The Ludhiana Cricket Team of T 10 Gully Cricket Season 2 - A Unique Talent Hunt cum Social Initiative for all Cricket Enthusiasts & young Indians to showcase their talent.
Divya got herself into grass root involvement in all aspects of the team from call for entries to selection, grooming of the players, cheering the team and getting various corporate sponsorships for her team in this season.
Divya Dutta Team Owner, Ludhiana Gullies said: "I am genuinely delighted to be an owner of this wonderful team; it gives me an opportunity to connect with my root as I am primarily from Ludhiana. For decades this city and this state has always displayed extraordinary sporting skills in all disciplines, but many of these talents never got their due credit, Ludhiana Gullies being the runner up in the first season only consolidates their cricketing prowess. I will be personally involved in all the aspects of my team right from the starting and appeal to corporates, institutions and society as a whole to extend their cooperation & support for this social cause. T-10 Gully Cricket format comes across at an apt stage for the youngsters to showcase their talent. "
Divya Dutta, added, “Firstly, I would like to extend my best wishes to my team. It indeed is a very big moment today and it gives me immense pleasure to unveil this Jersey for the team. The entire team is so excited for their debut match at the Super 8 stage . Wearing this jersey and performing in the ground in front of the crowd will just be a huge motivating factor and an adrenaline rush. I am sure they will play well and showcase outstanding performance in the matches. I would also like to welcome all the other teams on board ”
An ecstatic Prachi Desai , owner of Surat Gullies, enthused, “I am grateful to T10 Gully Cricket for polishing the unpolished diamonds of my team.” She also warned Divya Dutta , the owner of Ludhiana Gullies to better tighten her laces as Surat has now entered the race and is in the same group of the Super 8.”
On her part , Divya has her battle lines clearly defined when she emphatically cautions Prachi “Last time Ludhiana lost to surat though but I was not the team owner then” . Now with the sahnewal lass owning this team the equation has changed . The boys are all pumped to prove a point to their owner . The Surat vs Ludhiana is scheduled to be played on 5th March .
Jimmy Shergill , the proud owner of Jalandhar Gullies was euphoric and stated ‘I am extremely thrilled to see my team reach the super 8 stage of T-10 Gully Cricket Season 2 . We feel pleased to welcome Divya Dutta’s Ludhiana Gullies into the super 8 and keenly look forward to contesting against them “ Being slotted in two different groups , they are likely to clash only at the semi final stage .

Sanjay Dutt, the owner of Sirsa Gullies is a happy man and proud of his foresightedness to have adopted the team. He says, “am very happy for my boys to have reached this stage . Welcome on board Divya and her team Ludhiana Gullies for the super 8 stage but be forewarned that we not only have a great team but also the home advantage on our side .” This needle clash takes place on 4th March at 9 P.M, Prime time .

Anoop Wadhwa, Director, Reasonable Communications Pvt. Ltd said, remarked, “The all new T-10 Gully Cricket Season 2, with Bollywood glitz and cricket razzmatazz combined will make another appearance in Sirsa, and I hope the first ever night T-10 tournament is going to be a huge success in the city. The performances by these cricketers in Season I have captured the imagination of the audiences and added to the popularity of the game and a phenomenal increase in the fan following in tier-II & III cities and I hope T-10 Gully cricket season 2 with all its glamour will encourage the pipeline of cricket development and further ignite the passion of cricket lovers in Punjab. It is definitely the format of the future

Anoop Wadhwa, added “We are happy to have this specially designed jersey for the team unveiled today. It will help as a unifying factor and bond the players well, it’s an epitome of oneness and team spirit as the team will be playing their first group matches soon.”



‘Smart Class’ has a digital edge
Rakesh Bharti

“The digital revolution is far more significant than the invention of writing or even of printing.”— Douglas Engelbart
TODAY, our education system demands changes to meet the local and global needs. From individuals to nations, innovations in information technology influence almost every sphere of life. Therefore, classrooms can no longer afford to be left behind. There is great need for a new approach, new methods and new tools in teaching. Mere the chalk-and-talk method of teaching does not add any spice in the teaching-learning process. Worldwide there has been a strong push to get educational technology into the hands of teachers and students. However, it remains a reality that most teachers across the country continue to struggle with their day-to-day challenges in classrooms and remain completely aloof from technology even today.
With technological changes many traditional methods of teaching have become obsolete. Bringing technology to the classroom has given vent to the ‘Smart Class’ programme, a digital initiative which is rapidly transforming the way teachers teach and students learn in schools with innovative and meaningful use of technology. It provides tools and contents for interactive self-paced learning by students, as well as rich-media presentations for teacher-led classroom learning. Whatever the teacher teaches would be in an animated form, so that the student could easily relate themselves to the visuals and it would be easier for them to understand and remember the concept.
Smart Class is actually a high-end educational technology in which the traditional class becomes all the more interactive with loads of streaming videos, animations, graphics and other digital contents. Each classroom is set up by fixing an interactive touch screen board, and through an LCD projection, the content is displayed on the screen. The content available consists of pedagogically sound- and visually-rich curriculum resources mapped and customised as per the school’s scheme of work. The content repository consists of highly animated, lesson specific, 3D and 2D multimedia modules. This content can be streamed into the classroom and shown by teachers in the classroom to make abstract concepts real. Students learn difficult and abstract curriculum concepts watching highly engaging visuals and animations. This makes learning an enjoyable experience for students while improving their overall academic performance in school. Smart Class has a unique delivery model for schools. A knowledge center is created inside the school equipped with the entire library of Smart Class digital content. The knowledge center is connected to the classrooms through the Intranet. Teachers get the relevant digital resources such as animations and videos, interactive virtual labs tools, etc., and use them as part of their lesson plans in every class. The classrooms are equipped with custom-designed electronic interactive white boards, projection systems, PCs and UPS. Teachers use the digital resources while teaching inside the classrooms enabling students to acquire a faster and a better understanding of the concepts taught. Towards the end of the class, the teacher displays a set of questions on a large screen and the students get ready to answer the questions with their personal answering device— a smart assessment system. Students click the answers instantly, while the teacher is able to get a score sheet for every student. At the end of the class, the teacher repeats those parts of the lesson which were not understood well by the students.
This results in faster and accurate understanding of the concept and helps improve the overall academic performance of students. Teachers are able to keep students engaged in the learning process and also get an instant and accurate assessment of learning outcomes achieved at the end of the class. In fact, Smart Class has been conceived and developed around the ideology that for technology to become an integral part of day-to-day teaching and learning practices in schools, it needs to be taken to the classrooms where students and teachers spend over 80 per cent of their teaching-learning time. With the blend of new technology, traditional classrooms can become interactive and more interesting. No doubt, the Smart Class programme is a comprehensive solution designed to assist teachers in meeting with classroom challenges and enhancing students’ academic performance with simple, practical and meaningful use of technology. I hope that sooner or later, this new-age technology movement will make its presence felt in every class and every progressive school in India.

British PM to present 'Amitabh' to Big B

London (PTI) British Prime Minister Gordon Brown will present 'Amitabh', a module diabetes unit-bus to be based in Mumbai, to Bollywood megastar Amitabh Bachchan ,The bus will help screen people in Mumbai for diabetes and has been donated by diabetes prevention charity organisation 'Silver Star' funded by Indian-origin Labour MP, Keith Vaz. Brown will present the bus to Big B on behalf of Silver Star at a dinner on Monday. The bus has been named 'Amitabh' in honour of the 67-year-old Bollywood star and will bring hope of diabetes diagnosis to thousands of Indians.
Silver Star, founded by Vaz in 2007, carries out free diabetes testing and promotes culturally sensitive healthcare, focusing particularly on the high prevalence of diabetes amongst the South Asian community in Britain and Internationally.
Since 2007, Silver Star has tested 4695 people in Britain.There are two such mobile units in the UK.
'Amitabh' will be the second Silver Star Mobile Diabetes Unit in India. Last year Bachchan launch the first mobile unit in Goa, which has so far tested 2075 people. Vaz, Britain's longest serving MP of Asian origin and represents Leicester East which boasts UK's largest South Asian population outside of London, said: "I am absolutely delighted that the Prime Minister will be presenting Bachchan with the second Mobile Diabetes Unit for India, especially because it will be a life saving service for the people of Mumbai.
"...Seven million people in the UK have diabetes and have not been diagnosed and over 50 million people in India are diabetic," he said.

Love relationships

What’s your relationship secret?
From keeping secret diaries to meeting up with ex-flames, couples keep a lot of secrets from each other. How much is too much, asks Kalpana Sharma. Wat's your secret?
I can’t sleep... I feel so lonely... Today, I kept looking at the cell phone, waiting for his sms or call... It’s 12:30 now, he must be busy with work or is he busy with her? Going to bed now, with this feeling of emptiness. Goodnight!” This is a page out of Anita Nath's secret diary. Anita (name changed) shares, “I don’t miss a day of writing my diary. I do it when my husband is sleeping or away. I keep it hidden in my bookshelf, so he has no clue. Sometimes, I’ve vented out my feelings after our rows and the next day, when I read it, I freak out imagining his reaction.” She adds, “It gives me my own personal space and a secret partner.”
Psychologists say that even the healthiest couples hide things from each other. Adds psychologist Seema Hingorrany, “We are social beings, but we all have this inner persona that we don’t want anyone to know. Such secrets give you space to grow and carve a personal identity. It is an extremely common phenomenon and termed the ‘Me & I’ syndrome. It provides a sense of contentment.” This sense of bliss is also attained through keeping up with clandestine hobbies. PR manager Aarti Jadhav lets out her secret, “I love photography and click random pictures. My sweetheart isn’t aware of it. I do this in my own time and love it. This is my way of unwinding.”
It’s her special “me” time that she doesn’t have any plans to share, not even with her soulmate. Some follow different hobbies, keep away email passwords and cell phones, some secretly watch porn, catch up with friends privately, and others do it for their families. Says Preeti Sharma (name changed), “I have been sending money to my parents without my husband’s knowledge. I don’t want him to think badly of my family, who need the money. I am not cheating my husband, this is a personal matter.”
Sometimes, this need to create a personal space comes from having a controlling partner. It can also be credited to one’s upbringing, where people who have been punished for owning up resort to such self-defence tactics. However, even small deceptions can rock a relationship and at times, there is a fine line between what’s harmless and what’s not. We have cases where people catch up with their ex-flames once in a while just to unwind. Of course, with their better halves having no idea of the rendezvous! Confesses Rishi Singh (name changed), “I am still in touch with my ex, but that doesn’t change my equation with my wife. We have met on rare occasions, but I know it won’t go down well with my wife, so I simply don't tell her.”
There’s a thin line dividing privacy and secrecy. Even if a secret is minor, honesty is always at a premium in a relationship, despite knowing that there may be an adverse reaction waiting. Suggests marriage counsellor Kamal Khurana, “As long as you are indulging in something harmless, which doesn’t change the importance you give your relationship, it is safe. ‘Privacy’ is good for a relationship but ‘secrecy’ can create havoc. For example, watching porn is ‘privacy’ as many do it for enjoyment. But having a net affair is ‘secrecy’, which can threaten the relationship. The rule is that if you want your relationship grounded in trust, walking on the secret zone should be avoided.” Psychologist Varsha remembers a case where a married woman had a few shots of vodka for the first time on New Year’s Eve in her husband’s absence and decided never to tell him. She explains, “She enjoyed the high but feared being judged. So, she kept it from him. In many cases, people text their exes, for the thrill.”
Coming clean with your past is a worthy achievement but people should tread this path carefully. Shares Roopa (name changed), “On the day of my marriage, I told my husband about my past, even showed him letters and gifts. He was receptive and I felt on top of the world. However, soon we started having tiffs and often he would bring up my ex. It made me feel foolish.” Many experts are against total honesty. Says Seema, “I advise couples not to divulge their past. In an insecure moment, the thought of you with another man or woman may create serious conflicts. I have known many couples who could never trust their partner again after knowing their colourful past.” Writer Shilpi Kaur believes that it may be wise to keep some stuff away from a partner’s watchful gaze. She says, “When a friend couldn’t return money I had loaned him on time, I ended up telling my boyfriend and regretted it. I don’t want them judged or be told how I should handle them.” When the partner comes face to face with revelations, it’s natural to feel hurt. Psychologist Rajendra Barve suggests, “If it’s harmless, give your partner space and it will strengthen your relationship.” Author Tuhin Sinha, who recently got married, echoes the thought. “Now that I am married, I try to involve my wife in everything I do, as far as possible.” He does miss a few things, “Earlier, I could just pack my bags and go away on vacation without anyone questioning my whereabouts. I can’t do that anymore.” Khurana concludes, “Whenever you plan to keep something secret, ask yourself if you should. Listen to what your heart says.” Sure, honesty is the best policy, but at the end of the day, it’s fine to keep some tidbits of your life to yourself as long as they don’t harm your marital ties.


KALPANA SHARMA

IMPORTANCE OF PRIMARY TEACHERS

Primary school teaching is the single most important profession in the world. Teachers pass on knowledge and values to children, prepare them for further education and for working life and are main contributors to good education. This most important profession however does not get the recognition it deserves. In the developed world, young people don’t want to become a primary school teacher anymore. In most developing countries like India the profession does not attract qualified and ambitious people because it is poorly remunerated. Gone are the days that a primary school teacher was a highly respected person. To attain the goal of universal and good primary school education, teaching has to become an attractive profession again.
Teachers are one of the main pillars of a sound and progressive society. They bear the weight and responsibility of teaching, and, apart from parents, are the main source of knowledge and values for children. For a child between 4 and 12, there are basically three options: get no primary education, get low quality primary education or get good quality primary education. In spite of our world being immensely rich, the majority of children have to settle for option 1 or 2. At this very moment, over a hundred million children get no primary education at all. And over 500 million of them get it but the quality is low: they have little or no books, their class-room is poorly equipped or simply doesn’t exist, or they have a teacher whose level of knowledge hardly surpasses that of a 6th grader or who is not motivated because he/she earns less than his/her neighbour who cleans the house of the local landlord. The universally subscribed goal that “by 2015 all children, particularly girls, children in difficult circumstances and those belonging to ethnic minorities, have access to complete free and compulsory primary education of good quality" (Declaration of The World Education Forum held in Dakar, Senegal in 2000) can only be achieved if children can have access to motivated and knowledgeable teachers. They are the resource by excellence. The books are important, the pencil and the blackboard are important and so are the chairs to sit on, but if there is no motivated teacher in front of the chairs, if there is no teacher to write on the blackboard and to teach reading, math and how to pick up knowledge and values, the goal will never be achieved.

Ramesh Sachdeva

Director

HPS DAY-BOARDING SR. SEC. SCHOOL,

SHERGARH (MANDI DABWALI)

पानी बना ज़हर

इकबाल
क्या पानी के बिना जीवन संभव हैं इसका उत्तर नहीं होगा। लेकिन अगर धरती का जल ही जहरीला हो जाए फिर जीवन कैसे बचेगा। कम से कम पांच दरिया वाली धरती पंजाब में तो भू-जल की स्थिति बेहद ङ्क्षचताजनक है। सूबे के तीन जिलों मुक्तसर, बठिण्डा ओर लुधियाना में नार्ईट्रेट की मात्रा बेइंतहा बढ़ चुकी है। इस जहरीले पानी के इस्तेमाल से लोग कैंसर और अन्य घातक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। यह सनसनीखेज खुलासा किसी सरकारी ऐजन्सी से नहीं, बल्कि बेंगलूर के एक गैर सरकारी संगठन ग्रीन पीस इण्डिया ने किया है। पंजाब के तीनों जिलों के विभिन्न गांवों से पानी के नमूनों की जांच के आधार पर ग्रीन पीस द्वारा तैयार रिपोर्र्ट के मुताबिक यह बात भी सामने आई कि इन जिलों में धरती के पानी में नाईटे्रट की खतरनाक मात्रा किसी कुदरती प्रकोप से नहीं बढ़ी है, बल्कि इसके लिए धरती पुत्र किसान सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। जिन्होंने अपनी जमीनों की फसल की पैदावार बढ़ाने के लालच में रासायनिक खादों का अंधाधुंध इस्तेमाल किया। नतीजतन नाईटे्रट ने मिट्टी को अपना निशाना बनाने के साथ धरती के पानी को भी अपनी चपेट में ले लिया है। उल्लेखनीय है कि पंजाब की धरती का पानी यूरेनियमयुक्त है। अब नाईट्रोजन की अधिकता ओर यूरेनियम के प्रभाव से प्रभावित जिलों में लोग कैंसर व अन्य गंभीर बीमारियों का शिकार बन रहे हैं। रिपाोर्ट में लुधियाना, मुक्तसर व बङ्क्षठडा जिलों के खेतों में रासायनिक खादों की सबसे अधिक खपत होने की तसदीक की गई है। यह परीक्षण करने के लिए लुधियाना और मुक्तसर में 18-18 और बङ्क्षठडा में 14 धान एवं गेहूं के खेतों से भू-जल के नमूने लिए गए। इस सर्वेक्षण में तीनों जिलों के 9 ब्लॉक और 14 गांव कवर किए गए। जांच के बाद जो नतीजा सामने आया, वो काफी भयावह था। मुख्यमंत्री के गृह जिले मुक्तसर के ब्लॉक गिद्दड़बाहा के गांव दोदा के नमूने में पानी में नाईटे्रट की मात्रा बहुत अधिक, सुरक्षित-निर्धारित मानक पांच मिलीग्राम प्रति लीटर से कहीं ज्यादा 143 पाई गई। बङ्क्षठडा जिले के सीमावर्ती गांव पथराला के भू-जल में भी नाईट्रेट की मात्रा 643 तक दर्ज की गई। जगरांव, लुधियाना व गिद्दड़बाहा के पानी के नमूनों में नाईट्रेट की उच्च उपस्थिति देखी गई। जबकि पायल, फल, रायकोट, मलोट के क्षेत्रों में पानी के नमूनों में नाईट्रेट पाई गई। इन नमूनों की जांच में बङ्क्षठडा के गांव रायकेकलां से लिए गए 7 नमूनों में से तीन में नाईट्रेट की उच्च उपस्थिति 611, 516 व 532 दर्ज की गई। भू-जल के नमूने वाले कुल 14 गांवों में से 8 में नाईट्रेट की उपस्थिति उच्च मात्रा में पाई गई। ग्रीन पीस इण्डिया की कम्युनिकेशन अधिकारी प्रीति हरमन का कहना है कि किसानों द्वारा खेतों में रासायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग से भू-जल दूषित हुआ है। भू-जल को पीने के लिए उपयोग करने के कारण नाईट्रेट मनुष्य के शरीर में जा रहा है। किसानों द्वारा अपनी फसलों की अधिक मात्रा में नाईट्रेट की तय दर 223 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से कहीं ज्यादा 322 किलो प्रति हैक्टेयर रासायनिक खादों का उपयोग किया गया। इतनी मात्रा में नाईट्रोजन सीधे तोर पर मनुष्य के स्वासथ्य को प्रभावित करने में सक्षम है। खेतों में रासायनिक खादों का अतयधिक उपयोग न केवल मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर खाद्य उत्पादन को प्रभावित करता है, बल्कि पेयजल को प्रदूषित कर लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। वैसे भी हरित क्रान्ति के बाद नाइ्रट्रोजन के बढ़ते प्रकोप से मनुष्य अदूता नहीं है। क्योंकि नाईटे्रटयुक्त फसलें ही मनुष्य के रोजाना खानपान का हिस्सा हैं। वहीं रही सही कसर नाईट्रोजन से दूषित भू-जल पूरी कर रहा है। इससे कैंसर व अन्य गंभीर बीमररियां फैल रही हैं। प्रीति हरमन का यह भी कहना है कि किसान तो अधिक फसल लेने के लालच में रासायनिक खाद का अधिक उपयोग करते हैं। जबकि सरकार इनके दुषपरिणामों से भलिभान्ति परिचित होने के बावजूद हर साल खाद पर सैंकड़ों करोड़ रूपए की सब्सिडी देकर बराबर की जिम्मेदार बनी हुई है। जिसके चलते रासायनिक खादें आम लोगों के लिए मौत का कारण बन रही हैं। उनका कहना है कि सरकार को चाहिए कि रासायनिक खादों पर सैंकड़ों करोड़ रूपए सबिसडी के तोर पर खर्च करने की बजाय वह किसानों को आर्गेनिक खेती के प्रति उत्साहित करें ताकि खेती के जरिए जीवन के साथ खिलवाड़ को बंद किया जा सके। खेती विरासत मिशन के कार्यकारी निदेशक व वरिष्ठ पर्यावरणविद् उङ्क्षमदर दत्त भू-जल में नाईट्रोजन की अत्यधिक मात्रा को बड़ा संकट मानते हैं। उन्होंने कहा कि इन जिलों में दूषित भू-जल के कारण कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों ने अपना जाल बिछाया हुआ है। इस क्षेत्र के गांवों में एक-एक घर में कैंसर से पीडि़त एक से ज्यादा मरीज होना आम बात है। जबकि इससे पहले बड़ी संख्या में लोग कैंसर व अन्य नामुराद बीमारियों के कारण अपनी जिन्दगी से हाथ धो चुके हैं। उमिन्दर दत्त कहते हैं, वक्त रहते लोगों को भू-जल के दूषित प्रभाव से मुक्त करने के लिए सरकार को रासायनिक खादों की जगह आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना चाहिए। वह चेताते हैं कि अगर सरकार ने पानी में जहर व किसानों को फॢटलाईजर्स के नुक्सान के प्रति सचेत नहीं किया तो मालवा के घर-घर में अपनी जड़ें फैला रही कैंसर की नामुराद बीमारी एक दिन पूरे पंजाब को निगल जाऐगी। रिपोर्ट में बङ्क्षठडा जिले के जज्जल व ग्याना कैंसर के पिन-प्वाईंट बताए गए हैं। जिसके चलते इन गांवों में बहुत से परिवार कैंसर से तबाह हो चुके हैं। हालात यह हैं कि राजस्थान के बीकानेर में कैंसर का इलाज कराने वाले मरीजों में ज्यादातर पंंजाब मालवा क्षेत्र के बङ्क्षठडा व मुक्तसर जिलों के हैं। यही नहीं, मालवा का कैंसर रेलवे पर भ दा गया है। अबोहर से बीकानेर वाया बङ्क्षठडा जाने वाली रेलगाड़ी 339 अप केंसर ट्रेन के नाम से जानी जाने लगी है। एक अनुमान के मुताबिक एक महीने में सिर्फ बङ्क्षठडा स्टेशन से बीकानेर जाने वाले यात्रियों की संख्या लगभग 200 हैै। जबकि क्षेत्र के दूसरे शहरों के रेलवे स्टेशनों से बीकानेर जाने वाले मरीजों की गिनती इससे जुदा है। यह भी एक जमीनी सच है कि माली हालत खराब होने के कारण कैंसर से पीडि़त बहुत सारे लोग अपना पूरा इलाज करवाने से भी महरूम हैं। कैंसर की रोकथाम के लिए पंजाब सरकार द्वारा साल भर पहले बङ्क्षठडा के सिविल हस्पताल कॉम्पलैक्स में एक कैंसर हस्पताल का शिलान्यास भी किया गया था लेकिन बात अभी तक उससे आगे नहीं बढ़ पाई। आदेश मेडिकल साइंसेज एण्ड रिसर्च (भुच्चो) निदेशक ङ्क्षप्रसीपल (लेफ्टिनेट) डॉ. जीपीआई ङ्क्षसह कहते हैं कि भू-जल नाईट्रेट ज्यादा होने से मनुष्य में कई तरह के कैंसर के अलावा बच्चों में ब्लू बेबी ङ्क्षसड्रोम और गर्भवती महिलाओं में कई तरह की बीमारियांंंंंंंं होने का खतरा रहता है। ग्रीन पीस इण्डिया के सहयोग से किए गए इस अभियान के तहत विदेशी वैज्ञानिक टोरांडो ने भू-जल जांच के बारे में सार्वजनिक जानकारी दे कर लोगों को सचेत किया। उन्होंने गांव पथराला के किसान गुरसेवक ङ्क्षसह के खेत में ट्यूबवैल से पानी लेकर विशेष मशीन से मौके पर ही परीक्षण किया। यहां जांच के दौरान भू-जल में नाईट्रेट की मात्रा 582 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्ूयूएचओ) के मानकों के अनुसार पानी में 5.2 मिलीग्राम प्रति लीटर तक नाईट्रेट की मौजूदगी स्वास्थ्य के अनुकूल मानी जाती है। उन्होंने बताया कि खेतों में किसानों द्वारा बेहिसाब रासायनिक खाद डालने के कारण नाईट्रेट अब भूमि को पार करके भू-जल में मिल गया है। उल्लेखनीय है कि जब इसी जगह मार्च में भू-जल परीक्षण किया गया था तो उस समय नाईटे्रट की मात्रा मात्र 643 के करीब दर्ज की गई थी। टोरांडों ने चिन्ता जताई कि भू-जल में नाईटे्रट की मात्रा अधिक होने से लेागों में कई तरह के कैंसर पुैलने के अलावा बच्चों में ब्लू बेबी ङ्क्षसड्रोम के लक्षण और गर्भवती महिलाओं में भी चातरनाक बीमारियां पनपने की आशंका रहती है। इस मौके पर मौजूद उमरिन्दर दत्त ने बताया कि ग्रीन पीस से पहले पंजाब सरकार के सहयोग से पीजीआई चंडीगढ़ ने भी कैंसर को लेकर सर्वेक्षण किया था। उन्होंने राय जाहिर की कि टुकड़ों में बंटे अध्ययन से कुछ फायदा होने वाला नहीं। अब जरूरत है केन्द्र व पंजाब सरकार को योजना बनाने की कि वह बठिण्डा में विशेष केन्द्र स्थापित कर पर्यावरण में पैदा हुए असंतुलन से लोगों की सेहत पर पडऩे वाले प्रभाव का पता लगाऐं एवं शोध द्वारा उसका निराकरण करें। उधर सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही गांव पथराला में साल 2009 से लेकर अब तक 13 लोग कैंसर का शिकार हो चुके हैं। गांव की डिस्पैंसरी में तेनात फार्मासिस्ट सुरेश शाद ने बताया कि कैंसर पीडि़तों में से 6 रोगियों की मौत भी हो चुकी है। पीडि़तों में से 6 को पेट, तीन को गले और बाकी को बच्चेदानी का कैंसर था। रासायनिक खादों के नुक्सान से जागरूक हुए जैतों गांव के किसान गुरमेल ङ्क्षसह ढिल्लों रासायनिक खाद को तैयार कर अपने चार एकउ़ में से दो एकड़ जमीन पर पिछले 6 साल से जैविक खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जैविक खेती से उत्पन्न फसलें मनुष्य की सुहत के लिजए हानिकारक भी नहीं और इसकी फसल का बाजार में अच्छा मूल्य भी हासिल होता है।

आठ साल में 1347 मौतें
बठिण्डा जिले में कैंसर अब अपना विकराल रूप ले चुका है। जिसकी चपेट में बच्चे व नौजवान भी तेजी से आ रहे हैं। अगर सेहत विभाग के आंकड़ों पर नज़र डाली जाए तो जिले में 28 ऐसे कैंसर रोगियों का पता चला है। जिनकी आयु मात्र 2 वर्ष से लेकर 25 साल की है। इनमें से 2 साल तक की आयु के बच्चों को ब्लॅड कैंसर भी है। जबकि 7 से 14 साल तक की आयु के बच्चे कैंसर के चलते जिन्दा लाश में तबदील हो चुके हैं। कैंसर पीडि़तों के अभिभावक अपने बच्चों के इलाज करवाने के चक्कर में एक तरह से कंगाल हो चुके हैं। जो क्षमतावान है,वह अपने परिवार के कैंसर पीडि़त सदस्यों को राजस्थान के बीकानेर हस्पताल तक ले जाते हैं तथा शेष दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। जिले में कैंसर के मद्देनज़र करवाए गए सर्वेक्षण के अनुसार साल 2001 से 2009 के दौरान कुल 1347 लोग काल का ग्रास बन चुके हैं। जबकि 871 लोग अभी भी कैंसरा के चलते जिन्दगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। इस बददतर स्थिति के बावजूद बठिण्डा में अब राज्य सरकार को ध्यान आया कि यहां कैंसर हस्पताल खोला जाए। उधर जिला प्रशासन के माध्यम से राज्य सरकार ने एक साल के दौरान 166 कैंसर रोगियों को इलाज के लिए 25 लाख रूपए की आॢथक सहायाता दी। सेहत विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में साल 2001 से लेकर 2009 के दौरान मरने वाले कैंसर पीडि़त रोगियों में से 623 पुरूष व 724 महिलाऐं थी फिलहाल 240 पुरूष और 631 महिलाओं का उपचार किया जा रहा है। महिला रोगियों में ब्रस्ट व यूराईटिस के मामले सबसे ज्यादा हैं। मुख्यमन्त्री प्रकाश ङ्क्षसह बादल ने बठिण्डा के सिविल हस्पताल कॉम्लैक्स में मैक्स हैल्थ केयर द्वारा स्थापित कैंसर हस्पताल का शिलान्यास हाल ही में किया है। जिसमें कैंसर व दिल के रोगियों के उपचार के लिए आधुनिक सुविधाऐं होंगी। हालांकि इस हस्पताल में उपचार करवा पाना आम रोगियों के लिए कितना संभव होगा। यह भी जग जाहिर है।

मुन्ना भाई ने जताया ऐलनाबाद की जनता का आभार

ऐलनाबाद उपचुनावों में इनेलो प्रत्याशी अभयसिंह चौटाला की जीत पर क्षेत्र की जनता का आभार जताने के लिए रविवार को बॉलीवुड स्टार संजय दत्त ने क्षेत्र में रोड शो किया। उन्होंने दड़बा क्षेत्र से अपना दौरा शुरु किया और शाम करीब 4 बजे स्थानीय अनाजमंडी व चौ. देवीलाल चौक में पहुंचे। उनके साथ विधायक अभयसिंह चौटाला, डबवाली के विधायक अजयसिंह चौटाला, रानियां के विधायक कृष्ण कम्बोज, पूर्व विधायक भागीराम, पवन बेनीवाल सहित अन्य कई नेता भी उपस्थित थे। संजय दत्त सहित सभी नेतागण एक शीशा बंद बस नुमा रथ में सवार थे। जिसकी छत्त पर खड़े होकर उन्होंने जनता का आभार जताया। संजय दत्त को देखने सैंकड़ों की संख्या में लोग उमड़े। वे जहां-जहां से गुजरे सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण लोग सड़क के दोनो ओर आ जुटे। संजय दत्त ने अपने संबोधन में कहा कि चुनावों से पूर्व उन्होंने क्षेत्र की जनता से अभयसिंह चौटाला को जिताने का आह्वान किया था। ऐलनाबाद क्षेत्र की जनता ने उनकी बात को मानकर अभयसिंह चौटाला को अपना जनप्रतिनिधि चुना है। जिसके लिए पूरे क्षेत्रवासी बधाई एवं आभार के पात्र हंै। उन्होंने कहा कि चौटाला परिवार से से उनके पारिवारिक रिश्ते हैं तथा वे तथा अभयसिंह चौटाला दोनों आपस में भाई के समान हैं। चुनावों से पूर्व उन्होंने लोगों से वादा किया था कि वे अभयसिंह की जीत के बाद क्षेत्र की जनता का आभार जताने आएंगे। इसलिए आज उन्होंने अपना वादा पूरा कर दिया है। संजय दत्त ने उम्मीद जताई की अभयसिंह ऐलनाबाद क्षेत्र की प्रत्येक छोटी-बड़ी जनसमस्या को दूर करेंगे। उन्होंने लोगों से एक बार पुन: आह्वान किया कि वे हर बार चुनावों में अभयसिंह चौटाला को जिताएं। संजय दत्त ने लोगों की मांग पर कई फिल्मी डायलॉग भी सुनाए जिस पर उपस्थित लोगों की भीड़ ने खूब तालियां बजाई। उन्होंने फिल्मी अंदाज में लोगों से कहा कि अब 'यहां के लोग मुन्नाभाई हैं और वे स्वयं सर्किटÓ। उन्होंने कहा कि चुनावों से पूर्व कांग्रेस की ओर से जो बहुरूपिये नेता यहां लोगों को झूठे आश्वासन देने आए थे वे अब भाग चुके हैं।

बुधवार, 28 अप्रैल 2010

संपादकीय

डा. सुखपाल सिंह सांवतखेड़ा
भारतीय लोकतान्त्रिक प्रणाली अपने 6वें दशक में जिस उतार-चढ़ाव से आगे बढ़ रही है। वह काफी सराहनीय है। लेकिन लोकतान्त्रिक प्रणाली के मुख्य तीनों अंगों में भ्रष्टाचार का बोलबाला बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में लोगों के विश्वास को कायम रखने के लिए लोकतन्त्र व्यवस्था के चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकारिता से ही उम्मीदें हैं पर देखने में आ रहा है कि जिस तरह से हमारी भारतीय राजनीति में गैर समाजिक तत्वों का बोलबाला बढ़ता जा रहा है उसी तरह से पत्रकारिता के क्षेत्र में भी स्वार्थी लोगों ने सेंध लगाना शुरू कर दिया है। जिससे आजकल पत्रकारिता के पवित्र पेशे पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण प्रदेश में विगत दिनों हुए विधान सभा व लोकसभा चुनावों में देखने को मिला कि किस तरह भिन्न - भिन्न राजनीतिक दलों ने ख्रबर की सुॢखयों को विज्ञापनों का रूप देकर आम मतदाता को भ्रमित कर वोट बैंक बढ़ाने का कार्य किया। इससे चाहे इन राजनीतिक दलों को कोई फायदा हुआ हो या नहीं परन्तु समाचार पत्रों को आॢथक लाभ अवश्य हुआ है। जहां एक ओर मतदाताओं को भ्रमित कर उनसे विश्वासघात किया गया। वहीं यह लोकतान्त्रिक प्रणाली के लिए अति घातक सिद्ध हो रहा है। क्योंकि कलम से निकला एक-एक लफ्ज कईयों को घायल करने की क्षमता रखता है। जबकि बन्दूक से निकली गोली केवल एक को ही घायल कर सकती है। अब समय आ गया है कि इस पवित्र पेशे की पवित्रता को कायम रखने के लिए माथापच्ची करने की जरूरत है ताकि लोगों का दृढ़ विश्वास पत्रकारिता से उठने न पाए। इसलिए ऐसी व्यवस्था की जरूरत है जिससे पीली पत्रकारिता करने वाले स्वार्थी लोगों से बचा जा सके। यंग फ्लेम समाचार पत्र का मुख्य उद्देश्य निष्पक्ष एवं सकारात्म पत्रकारिता करना है। जो अपने निजी स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि समाज के हित व विकास के लिए आपकी आवाज को बुलन्द करेगा। लेकिन हमारा यह प्रयास इस बड़े समुन्द्र में ऐसी बूंद की तरह है जो इस जल को अमृत में तबदील करने की क्षमता रखता है। यंग फ्लेम एक ऐसी मशाल है जो सच्चाई की रोशनी को हर दिल में जगाए रखने का वायदा करती है। लेकिन यह सब हकीकत में तभी साकार हो सकता है। जब आप जैसे महानुभाव इस मशाल को जगाए रखने के लिए हमारे हाथ से हाथ मिला कर चले ताकि हम पत्रकारिता के इस मुकाम की ऊंचाईयों को आसमान में उन टिमटिमाते तारों के समान चमका सकें। जैसे अनेक तारों में धु्रव तारा। यंग फ्लेम समाचार पत्र पत्रकारिता के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू करने जा रहा है। युवा पीढ़ी की रूचि को मद्देनज़र रखते हुए राष्ट्र भाषा हिन्दी के साथ - साथ अन्तर्राष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी में एक साथ प्रकाशित किया गया है। हमारा प्रयास है कि जहां हम अपनी राष्ट्रीय भाषा हिन्दी से ओत-प्रोत भारतीय संस्कृति से जुडें रहेंगे। वहीं आधुनिक सूचना क्रान्ति व प्रतिस्पर्धा के इस युग में अपने को पिछड़ा महसूस न समझकर अंग्रेजी भाषा के माध्यम से युवाओं को अपने साथ जोड़ इस मशाल की लौ को इतना तीव्र करना चाहते हैं कि हमारे समाज से कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा व नशाखोरी जैसी सामाजिक बुराईयों को जड़ से जला दें। हमें आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि यंग फ्लेम समाचार पत्र आपके दिलों में सच्चाई की मशाल जलाने में सफल होगा।

टाईटल यंग फ्लेम ही क्यूं?

यंग फ्लेम अपने आप में एक ऐसा नाम है। जो अपने अन्दर दो लफ्जों को समाए हुए है। जिसका अर्थ ही है कि यंग यानि युवा व फ्लेम यानि अग्रि। युवा शक्ति में वह आग है जो देश व समाज को नई दिशा प्रदान कर सकती है। भारतीय संस्कृति में अग्रि का विशेष महत्व है, कोई भी कार्य का शुभारम्भ करने से पूर्व पवित्र अग्रि को जलाया जाता है। इसी अग्रि को जलाने का हमारा यह तुच्छ प्रयास है कि युवाओं में आग तो है परन्तु उस आग की लकडिय़ों में नशों की दीमक लग रही है उससे हम उन्हें बचा सकें।

शनिवार, 17 अप्रैल 2010

सांवत खेड़ा में खेतों में स्पार्किंग के चलते लगी आग

डबवाली-उपमण्डल के गांव सांवत खेड़ा में स्थित खेतों में स्पार्किंग के चलते लगी आग से बलकौर सिंह पुत्र गुरदेव सिंह के 6 किलों में खड़ी गेहूँ की फसल राख हो गई। इसके अतिरिक्त इसी गांव के दूसरे हिस्से में स्थित चेत सिंह पुत्र महिन्द्र सिंह के भी खेतों में लगी आग से दो किलों की फसल तबाह हो गई। जबकि बलकौर सिंह के तीन किलों में भूसा भी पड़ा था वह भी आग की भेंट चढ़ गया। आग की सूचना मिलते ही फायर बिग्रेड डबवाली की दो गाडिय़ां तथा फायर बिग्रेड कालांवाली की दो गाडिय़ां भी घटना स्थल पर पहुंची तथा आग पर काबू पाया। इससे पूर्व ग्रामीणों ने ट्रालियों द्वारा पानी लाकर आग बुझाने का सफल प्रयास किया। जिससे साथ लगते दूसरे खेतों तक आग नहीं पहुंच पाई। जिससे कुछ राहत तो मिली परन्तु तब तक लाखों की फसल जलकर राख हो चुकी थी।

सिम्पा जैन के गैरजिम्मेदाराना रवैये के चलते शहर में अनियमित कॉलोनियों में प्लॉटों की रजिस्ट्रीयां शुरू होने के आसार मन्द-- गुरजीत सिंह

डबवाली-पालिकाध्यक्षा सिम्पा जैन के गैरजिम्मेदाराना रवैये के चलते शहर में अनियमित कॉलोनियों में प्लॉटों की रजिस्ट्रीयां शुरू होने के आसार मन्द पड़ गए हैं। यह आरोप पूर्व पालिका उपाध्यक्ष गुरजीत सिंह पार्षद एवं टेक चन्द छाबड़ा पार्षद ने एक प्रैस विज्ञप्ति में लगाते हुए कहा है कि इन हालातों में आम आदमी के लिए मकान बनाना स्वप्न बन कर रह गया है। इनेलो नेताओं ने कहा कि प्रदेश स्तर पर रजिस्ट्रीय लम्बे समय से बन्द पड़ी है। जनदवाब के चलते प्रदेश सरकार ने अपनी नीति में बदलाव करते हुए नगरपालिकाओं व नगर परिषदों से तय किए गए मानदण्डों के मुताबिक प्रस्ताव भिजवाने के निर्देश दिए। जिसके तहत सिरसा, कालांवली, राणीयां, ऐलनाबाद से 48 कॉलोनियों के प्रस्ताव चण्डीगढ़ भेज दिए गए तथा जल्द ही इन प्रस्तावों में अधिकांश के मन्जूर होने व उपरोक्त शहरों, कस्बों में रजिस्ट्रीयां खुलने के आसार बन गए हैं। लेकिन डबवाली की नगरपालिका की ओर से प्रस्ताव इस बाबत चण्डीगढ़ नहीं भेजा गया। हालांकि पार्षदों द्वारा सर्वसम्मति से एक मीटिंग में प्रस्ताव पास किया गया था कि अवैध कॉलोनियों को नियमित करने हेतु चण्डीगढ़ प्रस्ताव नियमानुसार भिजवाया जाए। लेकिन बावजूद इसके पालिकाध्यक्षा ने इस मामले में पूरी तरह से गैर जिम्मदाराना रवैये अपनाया हुआ है तथा शहरवासियों के हितों की घोर अनदेखी की है। आज शहर में मध्यम एवं गरीब वर्ग के लोगो को बाहरी क्षेत्रों में रजिस्ट्रीयां बन्द होने के चलते मकान बनाना असम्भव हो गया है तथा पालिकाध्यक्षा की कार्यप्रणाली के चलते ऐसे कोई आसार नहीं हैं कि निकट भविष्य में रजिस्ट्रीयां खुल जाऐंगी। उधर प्रदेश सरकार ने प्रोपर्टी डीलरों पर 25 हजार रूपये वार्षिक कर लगा दिया है। लेकिन रजिस्ट्रीयां बन्द होने के चलते इस वर्ग के लिए गुजर-बसर करना ही दूभर हो गया है। इनेलो नेताओं ने आरोप लगाया कि पालिकाध्यक्षा की कार्यप्रणाली से शहरवासी बुरी तरह से आजिज आ चुके हैं तथा शहरवासियों का गुस्सा किसी भी समय फूट कर पालिका प्रशासन के खिलॉफ एक आन्दोलन का रूप ले सकता है।

सेंट जोसफ हाई स्कूल में मनोरंजन एवं उत्साह वद्र्धक खेलों का आयोजन

डबवाली- स्थानीय बठिण्डा रोड़ पर स्थित सेंट जोसफ हाई स्कूल में मनोरंजन एवं उत्साह वद्र्धक खेलों आयोजन किया गया। जिसमें एलकेजी से चतुर्थ कक्षा के 340 बच्चों ने बढ़-चढ़ का हिस्सा लिया। जिसमें बच्चों के लिए 50 मीटर दोड़, बनान रेस, गुब्बारा फोड़ रेस, जल्दी बोतल भरना रेस, शूज पहनना रेस व अन्य खेलों की प्रतियोगिता करवाई गई। जिसमें मुख्यातिथि के तौर पर सिस्टर प्रैजेन्टेशन गीतांजलि ट्रस्ट से सिस्टर आईवोना ने शिरकत की। एलकेजी के बच्चों की किताब पकड़ रेस में लड़कियों में इस्सरत प्रथम व प्रीति द्वितीय रही। जबकि लड़कों की किताब पकड़ रेस में प्राकूल प्रथम व अरमान द्वितीय रहे तथा यूकेजी के बच्चों के मध्य हुई मेंढक दौड़ में लड़कियों में कीर्त व सेजल प्रथम व द्वितीय रही और लड़कों की मेंढक दौड़ में देवप्रीत व जसमीत प्रथम व द्वितीय रहे। पहली कक्षा के बच्चों की टोकरी में बाल भरना प्रतियोगिता में लड़कियों में अनसीता प्रथम व रमनीक द्वितीय रही। जबकि लड़कों में जश्रदीप ने प्रथम व आर्यन ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। प्रथम बी की कक्षा के बच्चों में पत्थर इक_े करना की प्रतियोगिता करवाई गई। जिसमें गुरमेहर प्रथत व लवकेश गुप्ता द्वितीय रहे। जबकि लड़कियों में हरमनदीप कौर व कोमलप्रीत कौर क्रमश: प्रथम व द्वितीय स्थान हासिल किया। लड़कों व लड़कियों की स्पून रेस में महकदीप प्रथम व अशमन द्वितीय रही। जबकि लड़कों में हिम्मत व पूर्व क्रमश: पहला व दूसरा स्थान प्राप्त किया। बैल्ट बांधकर दौडऩा रेस में अनीश प्रथम व जतिन गर्ग द्वितीय रहे। जबकि महकदीप प्रथम व शिवानी द्वितीय रही। बच्चों की टॉफी रेस में जश्रदीप प्रथम व भारत सोनी द्वितीय रहे। जबकि लड़कियों में मुस्कान प्रथम व इसलीन द्वितीय स्थान पाया। इस अवसर पर फादर पाशो गोंजालविस ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हरियाणा से निकले महान खिलाड़ी कपिल देव व कल्पना चावला ने पूरे विश्व में अपने नाम का ढंका बजाकर अपने अभिभावकों व देश का नाम रोशन किया है उसी तरह आपको भी अपने विद्यालय, अभिभावकों व देश का नाम रोशन करना है। प्रतियोगिता के अन्त में विद्यालय के पिं्रसीपल गोंजालविस ने विजेता व उपविजेता बच्चों को स्वर्ण पदक, रजत पदक व कांस्य पदक देकर सम्मानित किया। खेल प्रतियोगिता दलबीर कौर व वीरपाल कौर की देखरेख में सम्पन्न करवाई गई।

दो ट्रकों में आमने - सामने हुई टक्कर

डबवाली - संगरिया सड़क मार्ग पर स्थित गांव शेरगढ़ के समीप दो ट्रकों में आमने - सामने हुई टक्कर में एक व्यक्ति के घायल होने का समाचार है। ट्रक के क्लीनर औम प्रकाश पुत्र दुल्ला राम धहन्नोक तहसील फिल्लौदी निवासी ने बताया कि वह गुजरात से ट्रक में बारदाना भर कर संगरूर पंजाब में जा रहे थे ट्रक को नैना राम पुत्र लाल चन्द निवासी गांव आऊका जोधपुर चला रहा था कि सामने तेज गति से आ रहे ट्रक - ट्राला पीबी 03-टी-8656 ने जोरदार टक्कर मार दी। जिसके फलस्वरूप ट्रक - ट्राला में सवार गुरदीप सिंह पुत्र बूटा सिंह निवासी रामपुरा गम्भीर रूप से घायल हो गया। उसे उपचार हेतु डबवाली के राजकीय हस्पताल में दाखिल करवाया गया। जहां ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों ने उसकी गम्भीर हालत को देखते हुए उसे बठिण्डा रैफर कर दिया। ट्रक के क्लीनर औम प्रकाश ने बताया कि हम अपनी साईड पर आ रहे थे कि सामने आ रहे ट्रक - ट्राला ने रांग साईड पर आकर टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि दोनों ट्रकों के परखच्चे उड़ गए। ट्रक के क्लीनर औम प्रकाश ने बताया कि दो घन्टे तक यातायात जाम रहा। सूचना मिलते ही शहर थाना से एएसआई कैलाश चन्द्र घटनास्थल पर पहुंचे तथा घटनास्थल का मुआयना किया। उन्होंने तुरन्त एक क्रेन मंगवाई तथा ट्रक व ट्रक - ट्राला को सड़क से नीचे उतरवा कर किनारे करवाया तथा जाम को खुलवाया। इस सड़क मार्ग पर दो घन्टों से लगे जाम में फंसे अन्य वाहन चालकों ने राहत की सांस ली तथा जाम खुलने पर अपने रास्ते की तरफ बढ़े।

गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

बापू बाजार में चोरी

उदयपुर--शहर के बापू बाजार में मंगलवार की रात 6 व्यापारिक प्रतिष्ठानों से नकदी सहित लाखों का माल चोरी हो गया। चोरो ने एक छत से दुकान में प्रवेश किया और एक के बाद एक छह प्रतिष्ठानों से माल चुराया। पिछले पंद्रह दिनों में एक ही अंदाज में चोरी की इस दूसरी बड़ी वारदात से व्यापारियों में दहशत का माहौल है। चोरी की बढ़ती वारदातों से पुलिस कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। गौरतलब है कि शक्तिनगर में गत 30 मई को चोरों ने छत और रोशनदान से दुकानों में घुसकर लाखों की चोरी की वारदात को अंजाम दिया है।
साड़ी शोरूम से एक लाख की नकदी चोरी : शक्तिनगर निवासी अशोक पुत्र गोविंदराम कालरा के महाराजा साड़ी पैलेस के चार मंजिला शोरूम से एक लाख रुपए नकद व कुछ सिक्के ले गए। तिजोरी भी तोड़ दी।
विज्ञापन एजेंसी व फोटोग्राफर की दुकान में चोरी : बापूबाजार टाउनहॉल लिंक रोड के सामने स्थित सेक्टर 11 निवासी शिवकुमार पुत्र मांगीलाल कसारा की विज्ञापन एजेंसी शिवा एडवरटाइजिंग एवं मार्केटिंग में चोरी हुई। शिवकुमार का बेटा दीपक ऑफिस खोलने आया तो देखा कि दरवाजा कब्जे सहित उखाड़ा हुआ था और अलमारी सहित सारा सामान बिखरा पड़ा था। यहां से चोर 19 हजार 987 रुपए और एक मोबाइल चुरा लिया।
इसी इमारत में दूसरे फ्लोर पर फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और एलबम तैयार करने की एजेंसी पुष्पक डिजिटल से चोर लकड़ी का दरवाजे का तोड़ अंदर घुसे। यहां से 15 सौ रुपए नकद, दो तोला सोने का लॉकेट और एक अंगूठी चुरा ले गए। यहां काम करने वाला पायड़ा निवासी लोकेश सालवी जब सुबह आया तो घटना का पता चला। उसने मालिक उमेश चौहान को सूचना दी। चोरों ने यहां बल्लियां फंसाकर दरवाजा तोड़ा।

यहां भी हुई चोरी
चार मंजिला रेडिमेड शोरूम मालिक मेहता भवन, सुंदरवास निवासी प्रकाश पुत्र गोविंदलाल मेहता ने बताया कि चोर15 हजार नकद, रेडिमेड कपड़े चुरा कर ले गए।
भूपालपुरा निवासी हरकलाल पुत्र भोलीलाल दुग्गड़ की क्वालिटी प्लास्टिक एजेंसी में गल्ला तोड़कर दो हजार रुपए ले गए।
रामा इंजीनियरिंग की इमारत के प्रथम तल पर मेडिकल व्यवसायी प्रकाश डिस्ट्रीब्यूटर्स से तिजोरी तोड़कर करीब 30 हजार नकदी चोरी हुई। दुकान मालिक जवाहरनगर निवासी रामप्रकाश पुत्र लोकुमल सिंधी ने बताया कि चोर उनके पड़ोस में निर्माणाधीन इमारत से उनकी इमारत पर चढ़े और दरवाजा उखाड़ कर वारदात कर गए।

सिपाही थके हारे, चोरों के वारे न्यारे!

पुलिस गश्त के बावजूद पंद्रह दिनों में पुलिस नियंत्रण कक्ष से कुछ ही दूरी पर हुई चोरी की दो बड़ी वारदातों पर पुलिस कार्रवाई पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। शक्तिनगर में हुई चोरी की वारदात के अनुसंधान में पुलिस अब तक यह पता लगा पाई है कि इस प्रकार की वारदात डेरों में रहने वाले युवक करते हैं। पुलिस किसी डेरे में दबिश देती, उससे पहले चोरों ने दूसरी बड़ी वारदात को अंजाम दे दिया। दोनों ही वारदातों में एक ही मोडस ऑपरेंडी सामने आई है। दूसरी वारदात में घटना स्थल पर मिले फिंगर प्रिंट, फुटमार्क से मिलान करवाया जा रहा है। अगर ये प्रिंट मिलते हैं तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि दोनों वारदातों को एक ही गिरोह ने अंजाम दिया है। इस गिरोह में शामिल युवाओं की उम्र भी 20 से 25 साल के बीच बताई जा रही है। चोरों ने शक्तिनगर में वारदात के दौरान मोमबत्ती जलाई थी और बापूबाजार में इमरजेंसी लाइट। पहली वारदात में धूम्रपान किया था और दूसरी में शौच करके चले गए।

दुकानदार : गश्त बढ़ाएं
विज्ञापन एजेंसी के शिवकुमार रावत का कहना है कि अब तक सुरक्षित माने जाने वाला बापूबाजार भी चोरों के निशाने पर है। पुलिस सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध करें ताकि भविष्य में ऐसी वारदातें नहीं हो।

पुलिस : गिरोह की तलाश
एएसपी तेजराजसिंह का कहना है कि शक्तिनगर और बापू बाजार की वारदात को एक ही तरीका है। ऐसे गिरोह के सदस्यों के फिंगर प्रिंट निकलवाए हैं। खानाबदोश के डेरों में तलाशी की जा रही है। पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है।

अंबेडकर पर राहुल-माया टकराए

अंबेडकर नगर/लखनऊ अंबेडकर नगर में दलितों के जिस मसीहा की जयंती पर राजनीतिक घमासान मचा था, उसमें दोनों ही पक्ष अपने-अपने रुख से टस से मस नहीं हुए। माया सरकार ने राहुल को अंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण नहीं करने दिया तो कांग्रेस महासचिव ने मंच पर ही उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर उनके प्रति सम्मान व्यक्त किया। दस मिनट के अपने संबोधन में राहुल ने मायावती के मूर्तिप्रेम पर अपरोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि केंद्र से वह गरीबों के लिए धन भेजते हैं, लेकिन लखनऊ आकर न जाने वह कहां चला जाता है। जवाब मायावती ने लखनऊ से दिया। उन्होंने कहा कि इन स्थलों-स्मारकों का किसी भी स्तर पर कितना ही विरोध क्यों न हो, उनकी पार्टी और सरकार तिल भर भी नहीं झुकेगी। राहुल गांधी जिस वक्त मंच पर चढ़े, उस वक्त अंबेडकर नगर का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस पार कर रहा था, लेकिन राहुल के भाषण ने प्रदेश के सियासी पारे को और बढ़ा दिया। राहुल ने कहा कि वह जब गरीबों के घर जाते हैं, उनकी बात करते हैं तो कुछ लोगों को ऐतराज होता है। लोग सवाल उठाते हैं कि राहुल ऐसा क्यों कर रहे हैं। प्रदेश सरकार को तो मनरेगा और शिक्षा के अधिकार जैसे कानून भी पसंद नहीं आ रहे, जबकि दोनों का सबसे ज्यादा लाभ दलितों को मिलना है। राहुल ने चुनौती देने के अंदाज में कहा, मैं गरीबों की आवाज उठाता रहूंगा। युवाओं के लिए रोजगार लाऊंगा। सवाल करने वाले सवाल करते रहें, हम पीछे हटने वाले नहीं। उन्होंने व्यंगात्मक लहजे में कहा कि वह प्रदेश के विकास के लिए पैसा भेजते हैं, लखनऊ पहुंचकर वह पैसा न जाने कहां चला जाता है? राहुल की इच्छा कार्यक्रम स्थल से 500 मीटर की दूरी पर स्थित डा. अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने की भी थी, किन्तु प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। उसका कहना था कि राहुल चाहे तो बसपा रैली के बाद ऐसा कर सकते हैं। इसके लिए उसने सुरक्षा का हवाला दिया। राहुल गांधी ने यहां से दस यात्राओं को भी रवाना किया। उधर, लखनऊ में मायावती ने साफ कहा कि स्थलों-स्मारकों का किसी भी स्तर पर कितना ही विरोध क्यों न हो, उनकी पार्टी और सरकार तिलभर भी नहीं झुकने वाली। आजादी के 63 वर्षो के दौरान, कांग्रेस ने 50 सालों तक केंद्र में और 38 वर्षो तक यूपी में राज किया। इस दौरान उसने अपनी जातिवादी मानसिकता के चलते न केवल बाबा साहब बल्कि अन्य की घोर उपेक्षा की। उसने बाबा साहब को भारत रत्‍‌न से सम्मानित करना भी उचित नहीं समझा। केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकार होने पर बसपा के दबाव में डॉ. अंबेडकर को भारत रत्‍‌न से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि आज जब बसपा सरकार भव्य स्मारक, पार्क, विश्र्वविद्यालय, जिला आदि बनाकर इन महापुरुषों को उचित आदर सम्मान दे रही है तो कांग्रेस, भाजपा और अन्य विरोधी पार्टियों को बहुत बुरा लग रहा है। ये पार्टियां इन मामलों को कोर्ट कचहरी तक में खींचने का काम कर रही हैं। बसपा प्रमुख ने कहा कि चाहे जितना विरोध हो, बसपा सरकार इन महापुरुषों को आदर सम्मान देने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेगी।

भटक गए बाहरी राज्यों के महाकुंभ श्रद्धालु

हरिद्वार- महाकुंभ शाही स्नान की इच्छा रखने वाले दूसरे राज्यों के लाखों श्रद्धालु वेस्ट यूपी में ही भटकते रहे। इनमें से हजारों श्रद्धालुओं ने ग्रामीणों की सलाह पर मुख्य गंगनहर में ही डुबकी लगा ली। इसके बाद उन्होंने हरिद्वार का रुख किया। भोला की झाल, खतौली और गढ़ में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मंगलवार को हरिद्वार में बढ़ी भीड़ के कारण शाम पांच बजे ही सारे रास्ते सील कर दिए गए। इसी कारण नागालैंड, राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, दिल्ली, गुजरात से आए हजारों वाहनों को गाजियाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बागपत से डायवर्ट कर दिया गया। अलग-अलग रास्तों से हरिद्वार पहुंचे लोगों को कई किलोमीटर अतिरिक्त रास्ता तय करना पड़ा। बहुत से वाहन तो रास्ता भटककर कहीं और ही पहुंच गए। ऐसे वाहनों के बारे में लगातार सूचना मिलती रही। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर इन चालकों को रास्ता बताया लेकिन तब तक सुबह हो चुकी थी। गुजरात से आई बस के चालक राम अवतार पटेल ने बताया कि उसे जब रास्ता नहीं मिला तो वह बुढ़ाना रोड से होते हुए मुख्य गंगनहर कांवड़ पटरी पर पहुंच गया। कोई रास्ता बताने वाला नहीं था, तो वह भोला की झाल पर आ गया। यहां ग्रामीणों ने बताया कि मुख्य गंगनहर में भी हरिद्वार गंगा का पानी आ रहा है तो श्रद्धालुओं ने यहीं स्नान कर लिया।

भाजपा फिर बचाव में आई ममता ने आंखें दिखाई

दिल्ली/कोलकाता, एजेंसी: नक्सल मुद्दे पर जहां मुख्य विपक्षी दल भाजपा पी. चिदंबरम का खुला समर्थन कर रही है वहीं सरकार में शामिल तृणमूल कांग्रेस गृह मंत्री के लिए लगातार मुसीबत खड़ी कर रही है। तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि माकपा ने पश्चिमी मिदनापुर जिले में माओवाद निरोधी संयुक्त अभियान को अगवा कर लिया है और चिदंबरम इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। ममता ने कहा कि लालगढ़ में एक भी माओवादी नहीं है। वहां माकपा कैडरों के इशारे पर आदिवासियों व विपक्षी समर्थकों के खिलाफ केंद्र और राज्य सरकार का संयुक्त पुलिस अभियान चल रहा है। ममता ने कहा कि उनके पास इस बात के साक्ष्य हैं कि जंगल महल में 200 माकपा कैडरों के कैंप चल रहे हैं। उन्होंने चिदंबरम से सवाल किया कि वह बताएं कि क्या माकपा कैडरों को संरक्षण देने और विपक्षी समर्थकों की हत्या के लिए लालगढ़ में संयुक्त ऑपरेशन चलाया जा रहा है? ममता ने कहा कि दर्जनों कैंपों में हथियारों का जखीरा मौजूद है। इसके सहारे प्रतिदिन तृणमूल समर्थकों की हत्या की जा रही है। बंगाल में तुगलकी शासन चल रहा है। जब दंगे के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से पूछताछ हो सकती है तो नंदीग्राम में मारे गए लोगों के लिए बुद्धदेव से क्यों नहीं हो सकती। ममता के इतर भाजपा ने चिदंबरम का समर्थन करते हुए कहा है कि इस युद्ध जैसी स्थिति में देश को एक स्वर में बोलने की जरूरत है। भाजपा ने कहा कि इस समस्या से लड़ने के बारे में सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी में एक राय नहीं है। भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दिग्विजय सिंह द्वारा चिदंबरम के दृष्टिकोण की सार्वजनिक आलोचना इस बात का सुबूत है कि माओवाद के खिलाफ लड़ाई के मामले पर कांग्रेस में मतभेद हैं। उन्होंने कहा कि दिग्विजय के बयान ने हमारी इस आशंका को पक्का कर दिया है कि केंद्रीय बल बिना किसी उचित तैयारी के भेजे गए थे।

मुस्लिमों को आवास आरक्षण के पक्ष में शरद पवार

मंुबई, एजेंसियां: एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को आवासीय योजनाओं में मुस्लिमों को आरक्षण देने की संभावना तलाश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अनेक गरीब मुस्लिम यह शिकायत करते हैं कि वे आवासीय योजना में भाग नहीं ले पाते। पवार ने इस मुद्दे पर आवास राज्य मंत्री सचिन अहीर को गौर करने के लिए कहा है। एनसीपी की मुंबई इकाई की एक बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पवार ने कहा कि नवी मुंबई निगम परिषद के चुनावी परिणामों ने यह साबित कर दिया है कि लोग लंबे समय तक संकीर्ण राजनीति को समर्थन नहीं देते। एनसीपी प्रमुख ने कहा कि मुंबई की सबसे बड़ी खासियत यही ह कि यहा आने वाला हर भारतीय पूरे सम्मान के साथ रह सकता है। उन्होंने कहा कि अगर मुंबई में इस लोकतांत्रिक और जनवादी रवैए को चोट पहुंचती है तो इसका भविष्य खतरे में पड़ सकता है। पवार ने कहा कि अगर हम जमीन से जुड़े और नई पीढ़ी के नेताओं को मौका देंगे तो एनसीपी का खुद-ब-खुद विस्तार होगा और इसकी पकड़ मजबूत होगी। पवार ने पार्टी की शहर इकाई से अगले दो साल में होने वाले बंबई नगर निगम चुनाव के लिए रणनीति तय करने को कहा। उन्होंने कहा कि 15 साल से बीएमसी पर काबिज शिवसेना-भाजपा को बिजली और पानी के मुद्दे पर घेरने की तैयारी की जाए।

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