
एक शोध के मुताबिक ब्रिटेन और अन्य धनी देशों में अब जन्म लेने वाले आधे से ज़्यादा बच्चे 100 वर्ष तक जीवित रहेंगे.
लेंसेट जर्नल में प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि उम्र के अंतिम पड़ाव में लोगों को कम गंभीर बीमारियों से जूझना पड़ेगा.
इस शोध में 30 से ज़्यादा विकसित देशों से मिले आंकड़ों के विश्लेषण के बाद पाया गया कि 80 वर्ष से ज़्यादा की उम्र तक जीवित रहने की संभावना, स्त्री और पुरुष दोनों के लिए, वर्ष 1950 के बाद से दोगुनी हो गई है.
इस शोध के प्रमुख दक्षिणी डेनमार्क विश्वविद्यालय के डैनिश एजिंग रिसर्च सेंटर में काम करने वाले प्रोफ़ेसर कारे क्रिस्टेनसेन ने बताया कि वर्ष 1840 से औसत आयु में वृद्धि हो रही है और इसमें किसी भी तरह की कमी का कोई संकेत नहीं दिख रहा है.
औसत आयु में वृद्धि
वर्ष 1950 में 80 से 90 वर्ष के बीच जीवित रहने वालों की संभावना स्त्रियों के लिए औसतन 15 से 16 प्रतिशत और पुरुषों के लिए 12 प्रतिशत थी. वर्ष 2002 में यह आंकड़ा स्त्रियों के लिए 37 प्रतिशत और पुरुषों के लिए 25 प्रतिशत हो गया
शोध के मुताबिक वर्ष 1920 तक बच्चों की जन्मदर में सुधार से औसत आयु में वृद्धि देखी गई जबकि वर्ष 1970 के बाद विशेष रूप से बुज़ुर्ग लोगों की उम्र में बढ़ोत्तरी से औसत आयु में वृद्धि देखी जा रही है.
प्रोफेसर क्रिस्टेनसेन ने बताया कि वृद्ध और अति वृद्ध लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी से स्वास्थ्य सुविधाओं के सामने परेशानी बढ़ सकती है. हालांकि उनका कहना था, "वर्तमान में जो तथ्य सामने हैं उससे पता चलता है कि न सिर्फ़ लोगों की आयु में बढ़ोत्तरी हुई है, बल्कि गंभीर बीमारियाँ और बुढ़ापे की अन्य शारीरिक परेशानियाँ भी कम हो रही है."
शोधार्थियों का कहना है कि अब जीवन को उम्र के हिसाब से चार चरणों में देखा जा सकता है- बचपन, युवावस्था, युवा बुढ़ापा और वृ्द्ध बुढ़ापा.
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