IMPORTANT-------ATTENTION -- PLEASE

-----------------------------------"यंग फ्लेम" परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। "यंग फ्लेम" परिवार आपका अपना परिवार है इसमें आप अपनी गजलें, कविताएं, लेख, समाचार नि:शुल्क प्रकाशित करवा सकते है तथा विज्ञापन का प्रचार कम से कम शुल्क में संपूर्ण विश्व में करवा सकते है। हर प्रकार के लेख, गजलें, कविताएं, समाचार, विज्ञापन प्रकाशित करवाने हेतु आप 093154-82080 पर संपर्क करे सकते है।-----------------------------------------------------------------------------------------IF YOU WANT TO SHOW ANY KIND OF VIDEO/ADVT PROMOTION ON THIS WEBSITE THEN CONTACT US SOON.09315482080------

Young Flame Headline Animator

सोमवार, 19 अक्टूबर 2009

तसलीमा की कोलकाता वापसी पर ममता भी मौन



पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ वाम मोर्चा सरकार द्वारा मशहूर बांग्ला लेखिका तसलीमा नसरीन को प्रदेश बदर किए जाने का मामला भले ही राष्ट्रीय स्तर पर खूब उठा मगर उसकी गूंज दब कर रह गई है। यहां तक कि प्रदेश में बदलाव का नारा देने वाली ममता बनर्जी भी वोटों की राजनीति के चलते इस बारे में कुछ भी बोलने से कतरा रही हैं। हाल ही में तसलीमा ने केंद्रीय रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो को अपनी घर वापसी के बावत पत्र लिखा लेकिन इस पर मंत्री मौन हो गईं। हिन्दी के प्रख्यात कवि गजानन माधव मुक्तिबोध ने कभी कहा था- अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने होंगे, तोड़ने होंगे मठ और गढ़ सब, लेकिन आज इन पंक्तियों पर धूल जम गई है। अभिव्यक्ति के खतरे उठाने पर लेखनी बंद कर दी जाती है वह भी लोकतांत्रिक देश में। ऐसे लेखकों को पसंदीदा शहर से दूर अन्य शहर और देश में रहने के लिए जगह तलाशनी पड़ रही है। बांग्लादेश की निर्वासित एवं विवादित लेखिका तसलीमा नसरीन की भी जिंदगी भी कुछ ऐसे ही राहों से फिलहाल गुजर रही है। तसलीमा लगभग दो वर्षो से शहर का मुंह नहीं देख पाई हैं। अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े कुछ नेताओं के दबाव में आकर राज्य सरकार भी तसलीमा को शहर में पनाह देने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। लेखिका ने बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य व रेलमंत्री एवं तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी को पत्र भेजा लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं मिला। वजह साफ है कि वोट बैंक की राजनीति में अभिव्यक्ति दरबदर हो रही है। यह भी स्पष्ट हो गया है कि तसलीमा की लेखनी के ममता व कद्रदान नहीं हैं। वैसे दोनों की साहित्य में बेहद रुचि है। ममता पंद्रह से अधिक पुस्तकें लिख चुकी हैं और बुद्धदेव द्वारा लिखित नाटक दु:समय चर्चित रहा है। लेखक होकर भी दोनों तसलीमा की कोलकाता वापसी के पक्ष में नहीं हैं। डेढ़ दशक पहले तसलीमा विवादित उपन्यास लज्जा से सुर्खियों में आईं। वह कई बार कह चुकी हैं कि कोलकाता में उनकी लेखनी और जान बसती है। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लेखिका महाश्र्वेता देवी कहती हैं कि तसलीमा के साथ लगातार अन्याय हो रहा है। पीडि़त महिलाओं के लिए अपनी लेखनी में आवाज उठाने वाली तसलीमा आज खुद पीडि़ता बन गई हैं। बुद्धिजीवियों का कहना है कि तसलीमा की कोलकाता वापसी के लिए प्रयासरत है पर दोनों प्रमुख पार्टियां कान बंद किए हुए हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

SHARE ME

IMPORTANT -------- ATTENTION ---- PLEASE

-----------------------------------"यंग फ्लेम" परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। "यंग फ्लेम" परिवार आपका अपना परिवार है इसमें आप अपनी गजलें, कविताएं, लेख, समाचार नि:शुल्क प्रकाशित करवा सकते है तथा विज्ञापन का प्रचार कम से कम शुल्क में संपूर्ण विश्व में करवा सकते है। हर प्रकार के लेख, गजलें, कविताएं, समाचार, विज्ञापन प्रकाशित करवाने हेतु आप 093154-82080 पर संपर्क करे सकते है।-----------------------------------------------------------------------------------------IF YOU WANT TO SHOW ANY KIND OF VIDEO/ADVT PROMOTION ON THIS WEBSITE THEN CONTACT US SOON.09315482080------

SITE---TRACKER


web site statistics

ब्लॉग आर्काइव

  © template Web by thepressreporter.com 2009

Back to TOP