
नई दिल्ली(डॉ सुखपाल)-अमेरिकी कमांडो के साथ एक विमान बिना अनुमति भारतीय वायुसीमा में घुसा। फिर मामूली जांच के बाद उसे रवाना करने की मंजूरी मिल गई। हालांकि यह सोमवार को कूच करेगा। पिछले चार महीनों के दौरान भारत की वायुसीमा में सेंधमारी की यह चौथी घटना है। वायुसीमा में सेंधमारी की हालिया तीन में से दो घटनाओं में खलनायक अमेरिकी वायुसेना रही। रविवार को वायुसीमा उल्लंघन करने वाले अमेरिकी विमान को मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया गया। उत्तरी अमेरिकन एयरलाइंस का बोइंग 767 विमान संयुक्त अरब अमीरात के फुजीरिया से बैंकाक के उतापाओ हवाई अड्डे जा रहा था। विमान में सवार 205 यात्रियों में कई अमेरिकी नौसैनिक भी थे। विमान को प्राथमिक जांच-पड़ताल के बाद गंभीर न मानते हुए छोड़ दिया। वायुसीमा के उल्लंघन को लेकर इस तथ्य की अनदेखी नहीं की जा सकती कि जब से अफगानिस्तान और इराक सहित मध्यपूर्व के देशों में अमेरिकी सैन्य बल बढ़ा है तब से भारतीय वायुसीमा के उल्लंघन के मामले भी बढ़े हैं। साथ ही हमें नब्बे के दशक में वायुसीमा का उल्लंघन कर भारतीय सरजमीं पर हथियार गिराने के पुरुलिया कांड को भी नहीं भूलना चाहिए। सुरक्षा को लेकर देश की सतर्कता और तैयारी के तमाम दावों के बीच पिछले चार महीने में सीमा उल्लंघन की घटनाएं बढ़ी हैं। इसी वर्ष जून में अमेरिकी एएन-32 कार्गो विमान ने वायुसीमा का उल्लंघन किया था। उसमें भी अमेरिकी सैनिक मौजूद थे। बताया गया कि सैनिक अफगानिस्तान जा रहे थे। उस विमान को भी मुंबई में उतरने को बाध्य किया गया था। सितंबर की घटना ज्यादा गंभीर थी। उस समय हथियारों से लदे सउदी अरब के एक सैन्य विमान ने चीन जाते हुए भारतीय वायुसीमा में प्रवेश किया था। भारत को यह जानकारी नहीं दी गई थी कि उसमें हथियार हैं। पूछताछ के बाद सउदी अधिकारियों ने खेद जताकर छुटटी पा ली। रविवार की घटना में भी भारतीय एजेंसियों को यह जानकारी नहीं दी गई थी कि उनके विमान में नौसेनिक कमांडो यात्रा कर रहे हैं। मुंबई की घटना के बाद समुद्री चौकसी का दावा भी ढीला साबित हुआ। करीब एक पखवाड़े पहले तूतीकोरिन के पास एक विदेशी जहाज पकड़ा गया था। इस पर सिंगापुर का झंडा लगा था। सुरक्षा एजेंसियों की आंख से चूकता हुआ वह जहाज कोडईकनाल के संवेदनशील न्यूक्लियर संयंत्र के दस किलोमीटर दायरे में पहुंच गया था। यह तो संयोग ही था कि मछुआरों ने उसे देख लिया और जहाज में कोई आपत्तिजनक वस्तु भी नहीं थी। साफ है कि चाहे सिंगापुर जहाज के न्यूक्लियर प्लांट के निकट पहुंचने का मामला हो या अमेरिकी सैन्य विमान के वायुसीमा में सेंध लगाने का, दोनों हमारे सुरक्षा दावों पर सवालिया निशान तो लगाते ही हैं।
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