
भारत के सबसे धनी व्यावसायी और उद्योगपति मुकेश अंबानी ने अपने वेतन में दो तिहाई कटौती करने की घोषणा की है.
उन्होंने अपने वेतन में कटौती की घोषणा ऐसे समय में की है जब देश में कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के वेतन को लेकर बहस चल रही है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के प्रमुख मुकेश अंबानी ने कहा है कि वे वर्ष 2009 में सिर्फ़ 15 करोड़ रुपयों का वेतन लेंगे जबकि वर्ष 2008 में उनका वेतन 44 करोड़ रुपए था.
अपने मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी) के इस फ़ैसले की घोषणा करते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमि़टेड (आरआईएल) ने कहा है, "यह कंपनियों के कार्यकारी अधिकारियों को मिलने वाले वेतनों के लिए आत्मसंयंम का उदाहरण पेश करने की उनकी इच्छा को प्रदर्शित करता है."
उल्लेखनीय है कि भारत के कंपनी मामलों के मंत्री सलमान ख़ुर्शीद ने सलाह दी थी कि कंपनियों को 'अश्लील' तनख़्वाहों में कटौती करनी चाहिए, बाद में योजना आयोग के उप सभापति मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी इससे सहमत होते हुए कहा था कि वेतन 'अशोभनीय' नहीं होने चाहिए.
लेकिन कंपनियों ने इससे असहमति जताते हुए कहा था कि सबसे बेहतर है कि तनख़्वाहें कंपनियों के बोर्ड रुम में तय हों.
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने कहा है, "कंपनी बोर्ड की वेतन संबंधी समिति ने फ़ैसला किया है कि आरआईएल के सीएमडी की तनख़्वाह अब 15 करोड़ होगी."
कंपनी के अनुसार यह फ़ैसला लिया गया है कि अब लाभांश देने की बजाय सभी अधिकारियों के वेतन के लिए अधिकतम सीमा तय कर दी जाएगी.
मुकेश अंबानी का वेतन अब भारत के कई कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के वेतन से कम हो गया है.
इसी साल मार्च में उनके छोटे भाई अनिल अंबानी ने भी घोषणा की थी कि वे वर्ष 2008-09 के लिए अपने समूह की पाँच कंपनियों में से किसी से भी वेतन और कमीशन नहीं लेंगे.
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