
नई दिल्ली : बीते एक साल में भारत के आस-पड़ोस में हालात बद से बदतर हो रहे हैं। मुंबई हमले के बाद भारत में भले ही कोई बड़ा आतंकी हमला न हुआ हो लेकिन इस बारे में खुफिया सूचनाएं लगातार मिलती रहती हैं कि आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में लगे हुए हैं। काबुल में भारतीय दूतावास पर हुआ हमला ऐसी ही साजिशों का नमूना है जो एक बार फिर साबित करता है कि हम किस तरह की ताकतों से घिरे हैं। मुंबई आतंकी हमले के बाद पहली बार तीनों सेनाओं के कमांडरों से मंगलवार को मुखातिब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इन शब्दों में आगाह किया। उन्होंने कहा कि आतंक के खेल में सरकारी और गैर-सरकारी, दोनों ही किस्म के खिलाड़ी मौजूद हैं। भारत एक लोकतंत्र और खुला समाज है इसीलिए कई बार हमारे लिए आतंक का खतरा काफी ज्यादा होता है। प्रधानमंत्री ने सेनाओं को आतंक की हर सूरत से मुकाबले के लिए अपनी तैयारियों को मुस्तैद रखने की सलाह देते हुए कहा कि भारत के सैनिक दस्तों को किसी भी जगह, हर समय और किन्हीं भी हालात में लड़ने के लिए प्रशिक्षित होना चाहिए। मनमोहन ने भरोसा दिलाया कि सेनाओं को आधुनिक हथियारों और सुविधाओं के साथ-साथ बेहतर मानव संसाधन मुहैया कराने में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में नागरिक प्रशासन को मिलने वाली मदद के लिए सेनाओं को शाबाशी भी दी। रक्षा सेनाओं के कमांडरों को दिए संबोधन में पीएम ने परमाणु अप्रसार को लेकर नए सिरे से शुरू हुए कोशिशों का भी हवाला देते हुए कहा कि भारत बहुपक्षीय और भेदभाव रहित फिशाइल मैटीरियल कट-आफ ट्रीटी (नाभिकीय पदार्थो का प्रसार नियंत्रित करने के लिए समझौता) पर बातचीत के लिए तैयार है। सेना के आला कमांडर लेंगे हालात का जायजा सेना के आला कमांडर अगले तीन दिनों तक देश के सुरक्षा हालात और आस-पड़ोस की स्थिति की समीक्षा करेंगे। थलसेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर की अगुवाई में होने वाली कमांडरों की यह बैठक मौजूदा खतरों से निपटने की रणनीति पर भी विचार करेगी। सेना मुख्यालय के मुताबिक बैठक का जोर सैनिक रणनीति, तैयारियों की स्थिति के साथ-साथ संगठनात्मक मुद्दों पर भी होगा। इसके अलावा सेना के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का बेहतरी के मुद्दों पर भी सेना के आला अधिकारी चर्चा करेंगे।
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