
नई दिल्ली- रक्षा सेनाओं के आला कमांडरों की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आगाह किया है कि बीते एक साल में भारत के पास-पड़ोस के हालात बद से बदतर हो रहे हैं। पीएम ने सेनाओं को आतंक की हर सूरत से मुकाबले के लिए अपनी तैयारियों को मुस्तैद रखने की सलाह दी। मुंबई आतंकी हमले के बाद पहली बार तीनों सेनाओं के कमांडरों से मुखातिब हुए पीएम ने कहा कि आतंक के खेल में सरकारी और गैर-सरकारी, दोनों ही किस्म के खिलाड़ी मौजूद है। भारत एक लोकतंत्र और खुला समाज बताते हुए पीएम ने कहा कि इसीलिए कई बार हमारे लिए आतंक का खतरा काफी ज्यादा होता है। उन्होंने कहा कि इस बीच भले ही कोई बड़ा आतंकी हमला न हुआ हो लेकिन इस बारे में खुफिया सूचनाएं लगातार मिलती रहती हैं कि आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में लगे हुए हैं। काबुल में भारतीय दूतावास पर हुए हमले को ऐसी की साजिशों का नमूना बताते हुए पीएम ने कहा कि इस घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि हम किस तरह की ताकतों से घिरे हैं। प्रधानमंत्री ने रक्षा सेनाओं को हर तरह के खतरे से मुकाबले के लिए तैयारी की सलाह भी दी। पीएम ने सलाह दी कि भारत के सैनिक दस्तों को किसी भी जगह, हर समय और किन्हीं भी हालात में लड़ने के लिए प्रशिक्षित होना चाहिए। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सेनाओं को आधुनिक हथियारों और सुविधाओं के साथ-साथ बेहतर मानव संसाधन मुहैया कराने की कोशिशों में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में नागरिक प्रशासन को मिलने वाली मदद के लिए सेनाओं को शाबासी भी दी। वहीं रक्षा सेनाओं के कमांडरों को दिए संबोधन में पीएम ने परमाणु अप्रसार को लेकर नए सिरे से शुरू हुए कोशिशों का भी हवाला दिया। पीएम ने कहा कि भारत बहुपक्षीय और भेदभाव रहित फिसाइल मटेरियल कट-आफ ट्रीटी (नाभिकीय पदार्थो का प्रसार नियंत्रित करने के लिए समझौता) पर बातचीत के लिए तैयार है।
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