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बुधवार, 21 अक्टूबर 2009

एक एसएमएस ने जगाया इंसानियत का जज्बा


मोबाइल पर महज एसएमएस पढ़कर एक अनजान शख्स की जान बचाने के लिए देखते ही देखते 280 लोग अपना खून देने के लिए तैयार हो गए। इनमें से तो कई तो तुरंत अस्पताल भी पहुंच गए। इन्हीं में से एक ने खून दिया और डेंगू पीडि़त युवक को मौत के मुंह से बाहर खींच लिया। शास्त्री नगर के सेक्टर-13 निवासी दर्शनलाल तिवारी मेरठ में माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय में क्लर्क हैं। उनका बेटा अतुल चौ. चरण विश्वविद्यालय में एमए का छात्र है। 10 दिन पहले अचानक हालत बिगड़ने पर अतुल को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच के बाद डाक्टरों ने उसे डेंगू से पीडि़त बताया और तुरंत खून का इंतजाम करने को कहा। अतुल का ब्लड ग्रुप एबी पॉजीटिव है। दर्शनलाल ने तमाम भागदौड़ की, लेकिन इस ग्रुप का ब्लड कहीं नहीं मिला। उधर, अतुल की हालत बिगड़ती जा रही थी और डॉक्टरों ने खून के बिना उसे बचाने में असमर्थता जता दी। दर्शनलाल को मायूस देख एक टेलीकॉम कंपनी में कार्यरत उनके पड़ोसी प्रवीण तिवारी ने उन्हें एसएमएस के जरिये ब्लड की मांग करने की सलाह दी। वह उन्हें कंपनी के रीजनल कार्यालय लेकर गए। अधिकारियों से बातचीत के बाद 14 अक्टूबर को कंपनी के उपभोक्ताओं के मोबाइल पर एसएमएस कराया। एसएमएस में एबी पॉजीटिव ग्रुप का ब्लड देने की अपील की गई। फिर क्या था, एसएमएस जारी होने के कुछ ही समय बाद दर्शनलाल के पास खून देने के इच्छुक लोगों के फोन आने लगे। उनके पास उसी दिन लगभग 280 फोन आए। फोन करने वालों में मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, सहारनपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, अलीगढ़, आगरा जिलों के लोग थे। इतना ही नहीं, कई लोग तो खून देने अस्पताल में पहुंच भी गए। इन्हीं में से एक युवक ने अतुल को खून दिया। इसके बाद से उसकी हालत में सुधार होता चला गया। अब वह खतरे से बाहर है। दर्शनलाल कहते हैं कि वह एक एसएमएस फिर कराएंगे और मदद के लिए आगे आने वाले सभी लोगों का आभार जताएंगे।

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