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मंगलवार, 10 नवंबर 2009
बो रहे विभाजन के बीज ..
शिशिर शिंदे मुंबई के भांडुप विधानसभा क्षेत्र से चुने गए हैं। शिंदे शिवसेना के विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं और उन्हें संसदीय परंपराओं की जानकारी भी है। वह राज ठाकरे के नजदीकी हैं। उम्मीद थी कि वह मनसे विधायक दल के नेता बनेंगे, लेकि न शिवसेना से दो बार विधानसभा सदस्य रह चुके बाला नांदगांवकर बाजी मार ले गए। रमेश वांजले : पुणे की खड्गवासला सीट से निर्वाचित रमेश वांजले को गोल्डन मैन के नाम से जाना जाता है। चुनाव के दौरान भी वह अपने शरीर पर कम से कम ढाई किलो सोना पहनकर प्रचार अभियान पर निकलते थे। सोमवार को उन्होंने ही सपा विधायक अबू आसिम आजमी के हाथ से माइक छीनकर उनके कपड़े खींचने की शुरुआत की थी। राम कदम : मुंबई की घाटकोपर सीट से चुनकर आए राम कदम स्व. प्रमोद महाजन की पुत्री पूनम महाजन को हराकर विधानसभा में पहुंचे हैं। पेशे से भवननिर्माता कदम का मनसे में प्रवेश विधान सभा टिकट मिलने के साथ ही हुआ है। स्वयं को सच्चा कार्यकर्ता सिद्ध करने के लिए संभवत: उन्होंने अबू आसिम आजमी को सबसे आगे बढ़कर थप्पड़ जड़ा। वसंत गीते : वसंत गीते नासिक में मनसे के कर्णधार माने जाते हैं। वहां मनसे सबसे ज्यादा मजबूत मानी जाती है। वहां की मनसे इकाई पर अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए वसंत गीते को कुछ अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत थी। संभवत: इसी प्रयास के तहत वह संसदीय परंपराओं को ठेस पहुंचाने में सबसे आगे रहे।
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