अनुभवी शिक्षक नहीं है
एचपीएस स्कूल के प्रिंसिपल रमेश सचदेवा भी मानते हैं कि कोचिंग में बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही है। इसके पीछे मुख्य कारण पढ़ाने वाले शिक्षकों में अनुभव की कमी है। उन्होंने शिक्षा विभाग के डायरेक्टर को भी इससे अवगत कराया है जिसमें लिखा है कि शिक्षकों को पढ़ाने का पूरा अनुभव नहीं है जिस कारण बच्चे कम आ रहे हैं। विज्ञान विषय के बच्चों को पढ़ाने के लिए दक्ष शिक्षक होने चाहिए।
गर्मियों की छुट्टियां होती हैं घूमने के लिए
हर साल गर्मियों में बच्चों की छुट्टियां होती है। इसके लिए बच्चे व उनके अभिभावक पूरी साल इंतजार करते हैं ताकि किसी दूसरे स्थान पर घूमने के लिए जा सके। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। एक जून को सरकारी विद्यालयों की छुट्टी हो गई। पहले से तय कार्यक्रम के तहत बच्चे घूमने के लिए चले गए। ऐसे में कोचिंग के लिए उतने बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं जितने जाने चाहिए थे। बच्चों व उनके अभिभावकों का कहना है कि छुट्टियों की बजाय पढ़ाई के दिनों में ही एक घंटा अलग से कोचिंग दी जाती तो बेहतर होता।
Young Flame Headline Animator
शनिवार, 4 जून 2011
छुट्टियों में कोचिंग, ना बाबा ना!
विज्ञान विषय में कक्षा 11 व 12 के बच्चों को पारंगत करने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा एक जून से शुरू की गई कोचिंग शुरूआत में ही दम तोड़ गई है। अनुभवी शिक्षकों के अभाव में बच्चे स्कूल में जाकर कोचिंग लेने की बजाय घर पर ही पढऩे को तव्वजों दे रहे हैं। इसी का कारण है कि कोचिंग के तीसरे ही दिन बच्चों की संख्या कम हो गई है। शिक्षा विभाग ने पूरे प्रदेश में विज्ञान विषय के 11वीं तथा 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को नि:शुल्क कोचिंग देने का निर्णय लिया था। कोचिंग सभी संस्कृति मॉडल विद्यालयों में एक जून से शुरू की जा चुकी है जो 30 जून तक चलेगी। कोचिंग का जिम्मा दो कंपनियों को दिया गया है जिसकी एवज में शिक्षा विभाग कंपनी को प्रति विद्यार्थी 6 हजार रुपये के हिसाब से भुगतान करेगी। कोचिंग के तहत बच्चों को नि:शुल्क पुस्तकें भी देने का प्रावधान रखा गया है। सिरसा जिले में भी कोचिंग संस्कृति मॉडल स्कूल में शुरू की गई है मगर तीसरे दिन ही कोचिंग की हवा निकल गई। जिले भर से विभिन्न सरकारी विद्यालयों में पढऩे वाले लगभग 1470 बच्चों के कोचिंग कक्षाओं में आने की उम्मीद थी। एक जून को उम्मीद के अनुसार करीब 1400 बच्चे स्कूल में पहुंचे। 2 जून को यह संख्या घटकर 990 तक पहुंच गई। तीन जून को कंपनी की ओर से एक टेस्ट लिया गया जिसमें लगभग 1094 बच्चों ने टेस्ट दिया मगर कोचिंग के लिए बच्चों में खास उत्साह दिखाई नहीं दिया। इससे आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में बच्चों की संख्या और कम हो सकती है। इससे साफ हो गया है कि बच्चों को छुट्टियों में दी जा रही कोचिंग रास नहीं आई है। इससे यही कहा जाएगा कि सरकार कोचिंग के नाम पर पैसों की बर्बादी कर रही है। इस मामले में सिरसा निवासी प्राध्यापक करतार सिंह ने कहा है कि यदि सरकार ने कोचिंग सिस्टम में बदलाव नहीं किया तो पैसों की इस बर्बादी के खिलाफ वे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
लेबल:
dabwali news,
Dr sukhpal singh,
YoungFlame
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें