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मंगलवार, 24 नवंबर 2009

26/11 के शहीदों की अनदेखी


शहीदों के परिवारों को हम वक्त गुजरने के साथ कितनी तवज्जो देते हैं 26/11 के शहीदों के परिजनों की व्यथा-कथा इसका ज्वलंत नमूना है। सत्ताधीशों की सियासी दमड़ी इतनी मोटी न होती तो शायद मुंबई आतंकी हमले के शहीद नायक हेमंत करकरे की पत्‍‌नी कविता करकरे को अपनी और अन्य शहीद परिवारों की पीड़ा सुनाने शीर्ष सियासी दरबार में न आना पड़ता। शहीद परिवारों के साथ हो रहे सलूक से केंद्रीय सत्ता को अवगत कराने के लिए कविता करकरे को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलना पड़ा। इस मुलाकात के बाद बढ़ी उम्मीदों की आस लिए बाहर आई कविता ने कहा कि सोनिया गांधी ने बेहद संवेदनशीलता के साथ उनकी समस्याओं को सुना और इनके निराकरण का पूरा भरोसा दिया। मुलाकात के दौरान कविता करकरे ने जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब सहित मुंबई हमले के सभी दोषियों को फांसी पर लटकाने की मांग की। उनका कहना था कि सभी शहीदों के परिवार दोषियों को कठोर दंड की अपेक्षा कर रहे हैं। मुंबई आतंकी हमलों के बाद पहली जवाबी कार्रवाई की अगुवाई कर रहे पुलिस कमिश्नर हेमंत करकरे की पत्‍‌नी कविता के साथ इस हमले में शहीद संयुक्त पुलिस कमिश्नर विजय सालस्कर की पत्‍‌नी स्मिता सालस्कर भी कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात के लिए आई थीं। शहीदों के परिजनों की समस्याओं का ब्यौरा देने से इनकार करते हुए कविता ने कहा कि हमारी शिकायत ज्यादा नहीं है और जो है उस पर सोनिया ने काफी सकारात्मक रुख दिखाया है। महाराष्ट्र सरकार ने करकरे सहित सभी शहीद परिवारों को कई तरह की सहायता देने की घोषणा की थी। इसमें पेट्रोल पंप देने का भी वादा था। लेकिन मुंबई हमलों की पहली बरसी आने तक कई वादे अभी कागजों पर ही हैं। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने शहीद परिवारों के साथ इस तरह के व्यवहार के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यदि यह सच है तो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और महाराष्ट्र सरकार को शहीदों के परिजनों को तमाम इज्जत देना चाहिए जिसके वे हकदार हैं। हेमंत करकरे की बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं मिलने के बारे में पूछे जाने पर कविता ने कहा सच्चाई है कि यह गायब हो गया है। एजेंसियों को इसकी गंभीरता देखनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटना न हो। महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस से नाराजगी पर उनका कहना था कि उन्हें दोनों से शिकायत नहीं है।

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