
लिबरहान आयोग ने अटल बिहारी वाजपेयी समेत 68 लोगों को व्यक्तिगत रूप से बाबरी मस्जिद विध्वंस में हाथ होने का दोषी पाया है.
रिपोर्ट में जस्टिस लिबरहान ने जहां भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिंदू परिषद, शिवसेना और बजरंग दल के शीर्ष नेताओं को ज़िम्मेदारी के कटघरे में खड़ा किया है वहीं बल दे कर कहा है कि बाबरी मस्जिद गिरा कर वहां राम मंदिर बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने बरसों तक अभियान चलाया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोग यह नहीं मान सकता कि अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे शीर्ष नेता राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की इस योजना से अवगत नहीं थे.
साथ ही न्यायाधीश लिबरहान ने कहा है कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराने के लिए विनय कटियार, उमा भारती और साध्वी रितंभरा जैसे लोगों की अगुवाई को भारतीय जनता पार्टी के इन शीर्ष नेताओं का पूरा समर्थन प्राप्त था.
इस रिपोर्ट की कार्रवाई रिपोर्ट में सांप्रदायिक दंगों के ख़िलाफ़ विशेष क़ानून बनाने का प्रस्ताव है.

लगभग 1000 पन्नों की इस रिपोर्ट में एम एस लिबरहान ने कई उच्च अधिकारियों का भी नाम लिया है जिसमें पुलिस महानिरीक्षक ए के सरन और मुख्य सचिव वी के सक्सेना को भी ज़िम्मेदार पाया गया है.
जस्टिस लिबरहान का कहना है मुख्यमंत्री कल्याण सिंह समेत, पुलिस बल और राज्य प्रशासन सभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बीजेपी और शिवसेना के हाथों की कठपुतली बने हुए थे.
ये रिपोर्ट 17 जून को सरकार के सामने पेश की गई थी लेकिन इसे संसद के सामने मंगलवार 24 नवंबर को पेश किया गया.
सरकार ने इसके साथ 13 पन्नों की कार्रवाई रिपोर्ट (ऐक्शन टेकेन रिपोर्ट) भी पेश की है.
इसमें सांप्रदायिक हिंसा से निपटने के लिए एक विशेष क़ानून लाने की बात है और साथ ही विशेष अदालतें बनाने की भी बात है.
जहां तक बाबरी विध्वंस से जुड़े मुकदमों की बात है इस कार्रवाई रिपोर्ट में आठ अभियुक्तों और 47 अन्य और बेनाम कारसेवकों के ख़िलाफ़ रायबरेली की विशेष अदालत में चल रहे मुक़दमों का ज़िक्र है. इसमें कहा गया है कि इन मुकदमों की सुनवाई तेज़ की जाएगी.
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