
नई दिल्ली. बाबरी मस्जिद ढांचे को गिराए जाने के बारे में लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट में दर्ज अनेक सिफारिशों को सरकार ने स्वीकार कर लिया है और राजनीति के लिए धर्म का इस्तेमाल करने पर तुरंत कार्रवाई किए जाने की सिफारिश को चुनाव आयोग में भेजने का निर्णय लिया है। आयोग की रिपोर्ट के साथ संसद के दोनों सदनों में पेश की गई १३ पृष्ठों की कार्रवाई रिपोर्ट में सरकार की ओर से किसी व्यक्ति या दल विशेष के खिलाफ करने की बात शामिल नहीं हैं। सत्नह साल बाद आई रिपोर्ट
सत्नह साल पुराने बाबरी विध्वंस मामले की जांच करने वाले लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दी गई। केंद्रीय गृह मंत्नी पी चिदंबरम ने प्रश्नकाल के तुरंत बाद १२ बजे सदन में लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट और कार्रवाई रिपोर्ट पेश की।
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इस रिपोर्ट के लीक होने के मामले की जांच कराने की मांग की। पार्टी के कई सदस्यों ने उनका समर्थन करते हुये सरकार से जवाब देने की मांग की और वे अपनी सीटों पर खड़े हो गए।
लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने यह कहते हुये भाजपा सदस्यों को यह मुद्दा उठाने की अनुमति नही दी कि इस बारे में बहुत चर्चा हो चुकी है और रिपोर्ट भी पेश की जा चुकी है इसलिये सदन शून्यकाल की कार्यवाही चलने दीजिये। बाद में भाजपा सदस्य अपनी सीट पर बैठ गये और शून्यकाल की कार्यवाही शुरू हो गई।
उल्लेखनीय है कि कल एक अंग्रेजी समाचार पत्न में इस रिपोर्ट के कथित अंशों के लीक होने के बाद भारतीय जनता पार्टी, सपा और वाम दलों सहित समूचे विपक्ष ने सरकार पर चौतरफा हमला बोल दिया था और इस रिपोर्ट को तत्काल सदन में पेश किये जाने की मांग को लेकर लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी थी।
इसके बाद आज सुबह प्रधानमंत्नी मनमोहन सिंह की गैर मौजूदगी में वित्त मंत्नी प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में हुई मंत्निमंडल की आपात बैठक में रिपोर्ट को संसद में पेश करने का फैसला लिया गया।
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