जयपुर। मतदाताओं को मिले नो वोट के अधिकार ने जयपुर नगर निगम चुनाव में मतदान कर्मचारियों को उलझा दिया। ज्यादातर मतदानकर्मियों को मतदाता के इस अधिकार का ही पता नहीं था। जब उन्हें इस बारे में बताया गया तो नो वोट को रिकार्ड पर कैस ले, यह समस्या आ गई। मानसरोवर में एक मतदान केन्द्र पर ऎसी ही स्थिति सामने आई। एक मतदाता ने अपने इस अधिकार का इस्तेमाल करने की बात कही तो मतदाता को वोट डालने का आग्राह करते रहे।
बाद में पीठासीन अधिकारी ने जोनल मजिस्ट्रेट से जानकारी ली और रजिस्टर में नो वोट का इन्द्राज किया। ऎसे ही स्थिति आदर्श नगर सहित कई जगहों पर मतदान केन्द्रों पर भी हुई। दरअसल नो वोट (नकरात्मक) देने का अधिकार लोकसभा और विधानसभा चुनाव के साथ स्थानीय निकाय चुनाव में भी है। इससे मतदाता अंगुली पर स्याही लगवाने के बाद चाहे तो पार्षद और निकाय प्रमुख दोनों को ही वोट दे या दोनों में से एक को वोट दे सकता है। इसका रजिस्टर में इन्द्राज किया जाता है।
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