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सोमवार, 23 नवंबर 2009

ऑक्सफोर्ड में पहली बार अफगान छात्रा को दाखिला


लंदन : शाहरजाद अकबर शायद अफगानिस्तान की उन लड़कियों में सबसे भाग्यशाली होगी जो पढ़ाई को अपनी जिंदगी की सबसे अहम पूंजी मानती हैं। तालिबानी हुकूमत के दौरान बंद दरों दीवारों के पीछे छुपकर पढ़ाई की हसरत पूरी करने वाली शाहरजाद अब ऑक्सफोर्ड विश्र्वविद्यालय में पढ़ाई करेंगी। वह अफगानिस्तान की पहली छात्रा हैं जिन्हें ऑक्सफोर्ड विश्र्वविद्यालय में दाखिला मिला है। 21 वर्षीय शाहरजाद आज भी नहीं भूलती हैं कि कैसे लड़कियों को स्कूल जाने से रोकने के लिए तालिबान ने उसकी इमारत को ही उड़ा दिया था। बुर्के के बिना घर से बाहर निकलने पर महिलाओं को अपने चहरों पर तेजाब फेंके जाने का डर सताता रहता था। आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी अभियान के बाद अब शाहरजाद को स्वतंत्रता से पढ़ाई करने का मौका मिला है। वह कहती हैं, अब मैं कुछ उम्मीद की किरण देख रही हूं। मैं महिलाओं को कई कार्यक्रमों में भाग लेते हुए देखती हूं और मेरी बहन भी स्कूल में पढ़ाई करने जाती है। तालिबान के दौर में यह संभव नहीं था। पिछले महीने ही ऑक्सफोर्ड विश्र्वविद्यालय के इंटरनेशनल डेवलपमेंट विभाग से स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू करने वाली शाहरजाद कहती हैं, मैं समझती हूं कि युद्ध ने ब्रिटेन पर कितना दबाव डाल दिया है। मुझे यह देखकर दुख होता है कि अफगानिस्तान में लोगों को कितना कुछ सहना पड़ता है। मैं कंधार हवाई अड्डे पर कुछ सैनिकों से मिली थी और उनमें से एक के साथ उसकी गर्भवती प्रेमिका भी थी। उन्होंने कहा, सैनिकों के लिए बेहद मुश्किल होता है। विदेश में वह अपने परिवार से कोसों दूर रहते हैं। उन्हें अफगानिस्तान में देखकर मुझे दुख होता है। मगर शाहरजाद ऑक्सफोर्ड में मिले मौके का इस्तेमाल अपने देश की महिलाओं की सहायता करने में करना चाहती हैं। उन्होंने कहा, जब मैं बच्ची थी तब ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई के बारे में सुनती थी मगर यह कभी नहीं सोचा था कि मैं यहां पढ़ने आ सकूंगी। यह ऐसा सपना है जो सच हो गया। शाहरजाद का जन्म उत्तरी अफगानिस्तान में हुआ था जब सोवियत संघ के नौ साल का दौर खत्म होने के करीब था। मगर उसे आज भी याद है जब काबुल को उत्तरी गठबंधन सेना ने सील कर दिया था और 40 दिन तक युद्ध चलता रहा था। इस दौरान हफ्तों तक उसे अपने परिवार के साथ घर के बेसमेंट में बंद रहना पड़ा था।

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