
हिमाचल प्रदेश में पुलिस जवानों की वर्दी बदलने को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ जहां पुलिस जवान खाकी वर्दी की बजाए नई प्रस्तावित नीली वर्दी पर विरोध जता रहे हैं, वहीं विभाग ने जवानों को नीली वर्दी मुहैया करवाने के लिए खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी है। वर्दी न बदलने का प्रस्ताव कई जिलों से कर्मियों ने पुलिस मुख्यालय को भेजा है, लेकिन विभाग अपने निर्णय पर कायम है। गोवा को छोड़कर देश के दूसरे राज्यों में अब भी पुलिस की वर्दी खाकी ही है। अब हिमाचल में यह पहल की जा रही है। पुलिस की वर्दी में बदलाव के पीछे यही तर्क दिया जा रहा है कि आम लोगों में पुलिस की खाकी वर्दी को लेकर जो धारणा है उसे बदला जाए और आम जनता पुलिस को मित्रवत समझे। पुलिस और आम जनता के बीच दोस्ताना संबंध बनाने के मकसद से प्रदेश पुलिस के पूर्व डीजीपी व वर्तमान सीबीआई निदेशक अश्वनी कुमार ने जवानों की वर्दी नीली करने की योजना बनाई थी। जिसके बाद सरकार ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी। हालांकि पिछले एक साल से विभाग जवानों को नीली वर्दी मुहैया करवाने पर जुटा है। लेकिन अब तक विभाग को अच्छी क्वालिटी की वर्दी नहीं मिल पाई है। दूसरी ओर नई वर्दी को लेकर पुलिस जवानों का विरोध भी जारी है। प्रदेश पुलिस फोर्स में 16 हजार से अधिक जवान हैं। इन जवानों को इस साल अभी तक न तो खाकी वर्दी मिल पाई और न ही नीली वर्दी। पुलिस जवानों को वर्दी न मिलने की मुख्य वजह खाकी वर्दी का रेट कंटै्रक्ट रद करना और नीली वर्दी के सेंपल फेल होना है। शिमला सहित प्रदेशभर के पुलिस जवान नई वर्दी से हाय-तौबा कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश पुलिस महासंघ ने भी नीली वर्दी का विरोध किया है। महासंघ का आरोप है कि विभाग के आला अधिकारी छोटे कर्मचारियों में भिन्नता लाने के मकसद से ही वर्दी में बदलाव कर रहे हैं। उन्होंने चेताया कि अगर पुलिस की खाकी वर्दी में बदलाव किया गया तो महासंघ अदालत में इस मामले को ले जाने से नहीं हिचकेगा। पुलिस विभाग के प्रवक्ता विनोद कुमार धवन का कहना है कि नीली वर्दी को लेकर कोई विवाद नहीं है। सरकार ने पुलिस की वर्दी नीली करने के लिए मंजूरी प्रदान कर दी है और विभाग नई वर्दी की खरीद की प्रक्रिया में जुटा है। अच्छी क्वालिटी की नीली वर्दी आ जाने के बाद जवानों को आवंटित कर दी जाएगी।
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